लॉकडाउन के दौरान की तस्वीरें।
– फोटो : अमर उजाला
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2020 के तीसरे महीने में कोरोना ने दस्तक दी और पूरे देश मेें लॉकडाउन का सन्नाटा पसर गया। पंजाब में एक एनआरआई बुजुर्ग के संक्रमित होने से शुरू हुआ सिलसिला अब तक जारी है। कोरोना की ऐसी दहशत फैली जो जहां था वहीं रुक गया। विदेश में बैठे लोग घर आने को तरस गए। पंजाब से लाखों लोग पैदल ही घर लौटने को मजबूर हो गए।
वहीं जान हथेली पर रखकर कोरोना वारियर्स मरीजों की सेवा में दिन रात एक कर दिया। अनलॉक से कुछ रौनक लौटी तो साल के आखिरी महीनों में कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब का माहौल गरमा गया। अन्नदाता सड़कों पर उतर आए, खूब राजनीति भी हुई। जब कोई हल न निकला तो पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच किया। कड़ाके की ठंड में लगभग 35 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे किसान कृषि कानूनों के रद्द होने तक लौटने को तैयार नहीं हैं….
कोरोना से फैली दहशत और सन्नाटा
कोविड-19 के कारण प्रदेश में दहशत और सन्नाटे का आलम रहा। 23 मार्च से लगे लॉकडाउन ने लोगों के दिलों की धड़कनें बढ़ा दी। एनआरआई हब होने के कारण लोग डरे रहे। विदेश से लौटे एक एनआरआई बुजुर्ग के कोरोना संक्रमित मिलते ही मानो प्रदेश में सन्नाटा पसर गया। पूर्ण लॉकडाउन के कारण कई पंजाबी विदेश में ही फंस गए। प्रदेश में 1 लाख 66 हजार लोग कोरोना संक्रमित हुए। एक लाख 57 हजार ठीक होकर अपनों के बीच लौटे। वहीं 5331 लोग काल का ग्रास बन गए।
पहली बार टेलीविजन पर पढ़ाई्र
2020 में पहली बार बच्चों ने टेलीविजन पर पढ़ाई की। स्कूल बंद होने पर 45 लाख बच्चों को शिक्षा देना चुनौती से कम नहीं था। पंजाब सरकार ने निजी स्कूलों की तर्ज पर जूम एप पर कक्षाएं लगानी शुरू कीं लेकिन गांवों में इंटरनेट की स्पीड न होने और स्मार्ट फोन की कमी के कारण एक प्रयोग ज्यादा कारगर नहीं रहा। इस पर शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने के लिए पंजाब शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुमार ने पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया और प्रसार भारती से इस बारे में बात की। इसके बाद 45 लाख बच्चों ने डीडी पंजाबी चैनल के जरिए शिक्षा ग्रहण की।
पंजाब में 21 सितंबर से दो नवंबर तक पराली जलाए के मामलों में पिछले साल की तुलना में 49 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई। राज्य में 21 सितंबर से 2 नवंबर तक पराली जलाने के 36,755 मामले सामने आए। वहीं 2019 में इस अवधि में ऐसी घटनाओं की संख्या 24,726 थी। एक तरफ शुरुआती लॉकडाउन में प्रकृति ने खुलकर सांस ली तो वहीं सितंबर से नवंबर के बीच ये संतुलन बिगड़ गया और हवा पहले से ज्यादा खराब हो गई।
कृषि कानूनों पर हाहाकार
2020 में कृषि कानूनों के लागू होेने के बाद विरोध में किसान सड़कों पर उतर आए। पहले ट्रेन की पटरियों पर प्रदर्शन किए गए। हल न निकलता देख किसानों ने 25 नवंबर को दिल्ली कूच किया और सिंघू व टिकरी बॉर्डर पर ट्रॉलियों को ही आशियाना बनाकर धरने में जुट गए। वहीं किसान आंदोलन के प्रभाव से कारपोरेट घराने भी नहीं बच पाए। प्रदेश में 1500 से ज्यादा जियो के मोबाइल टावरों पर किसानों गुस्सा उतारा।
हरसिमरत बादल का इस्तीफा, अकाली-भाजपा गठबंधन टूटा
किसान आंदोलन के प्रभाव से राजनीतिक गलियारा भी अछूता नहीं रहा। भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का 24 साल पुराना गठबंधन टूट गया। पहले केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया फिर अकाली दल ने भाजपा से नाता तोड़ दिया। केंद्र में सत्तारूढ़ राजग का गठन 1998 में हुआ था और शरद यादव इसके पहले संयोजक बनाए गए थे। शिअद इसका संस्थापक सदस्य था। भाजपा के सहारे ही प्रकाश सिंह बादल पंजाब में पांच बार सीएम की कुर्सी पर बैठे थे।
किसान आंदोलन के समर्थन में पंजाब की नामचीन हस्तियों ने अवार्ड लौटाए। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा व साहित्यकार सुरजीत पातर ने अपने पुरस्कार वापस किए। भारतीय साहित्य अकादमी पुरस्कार के विजेता पंजाब के प्रसिद्ध शायर डॉ. मोहनजीत, प्रख्यात विचारक डॉ. जसविंदर सिंह व पंजाब के 27 खिलाड़ियों ने किसानों के समर्थन में अपने पुरस्कार लौटाए। इनमें पद्मश्री करतार सिंह पहलवान, ब्रिगेडियर हरचरण सिंह, दविंदर सिंग गरचा, सुरिंदर सोढ़ी, गुनदीप कुमार प्रमुख थे।
भाजपा पर गुस्सा, प्रदेश प्रधान की गाड़ी पर पथराव
प्रदेश में भाजपा के 117 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर सरकार बनाने के दावे पर भाजपा प्रदेश प्रधान की गाड़ी पर हमला भारी रहा। एक तरफ प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा की गाड़ी पर पथराव किया गया तो वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यक्रमों में किसानों ने तोड़फोड़ कर अपने इरादे साफ कर दिए।
चार साल बाद ईडी ने खोली रणइंदर की फाइल
2020 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर की फाइल चार साल बाद खोली गई। विदेश में अघोषित संपत्ति छिपाने के मामले में ईडी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे को चार बार तलब किया और पेशी के लिए बुलाया। रणइंदर सिंह एक बार पेश हुए और बयान दर्ज करवाए।
एसजीपीसी के पब्लिकेशन विभाग की ओर से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूपों का रिकॉर्ड सही ढंग से नहीं की किया गया था। 2013-14 व 2014-15 के ओपनिंग व क्लोजिंग लेजर में कटिंग की गई है। 2013 से 2016 तक 328 स्वरूप रिकॉर्ड में कम मिले। मानवाधिकार से जुड़ी कुछ संस्थाओं ने सूचना के अधिकार के तहत इसकी जानकारी मांगी थी। एसजीपीसी ने बताया कि 267 स्वरूप लापता हैं। इसके बाद जांच तेलंगाना हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज ईशर सिंह की कमेटी को सौंपी गई।
जांच में सामने आया कि 328 स्वरूप लापता हैैं। प्रकाशन विभाग ने छपाई के दौरान स्वरूपों के खराब हुए अंगों को जोड़कर गैर कानूनी ढंग से बिना बिलों के एक बार 61 और एक बार 125 स्वरूप तैयार कर बेचे। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह भी पाया गया कि वर्ष 2015 से 2020 तक के रिकॉर्ड में बिलों और अन्य दस्तावेजों में भी काफी अंतर है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इसकी जांच की। इसमें कई एसजीपीसी कर्मचारी दोषी पाए गए। सिख जत्थेबंदियों ने एसजीपीसी कार्यालय के बाहर धरने भी दिए। इस दौरान खूनी संघर्ष भी हुआ।
धर्मसोत के कारण कैप्टन की किरकिरी
पंजाब के अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए केंद्र सरकार की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तहत मिले धन में पंजाब के कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत पर 64 करोड़ रुपये का घोटाला करने के आरोप लगे। मामले में कैप्टन सरकार की काफी किरकिरी हुई। सड़कों से लेकर विधानसभा में खासा बवाल और हंगामा हुआ।
माझा में लॉकडाउन के दौरान जमकर जहरीली शराब बेची गई। नतीजतन इस शराब को पीने से 123 लोगों की जान चली गई। तरनतारन, अमृतसर और बटाला क्षेत्र में जहरीली शराब ने खूब तांडव मचाया। इसके बाद विपक्षी दलों ने खासा हंगामा किया और कैप्टन सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।
पैदल ही पलायन को मजबूर हुए मजदूर
पंजाब में लॉकडाउन व कर्फ्यू लगने के बाद मजदूर पैदल ही बिहार और यूपी की तरफ निकल पड़े। करीब 10 लाख लोगों ने पंजाब से पलायन किया। कई लोग परिवारों समेत 2-2 हजार किलोमीटर तक पैदल चलकर घर पहुंचे। इसका असर पंजाब की खेतीबाड़ी के अलावा उद्योग जगत पर भी हुआ।
बीबी जागीर ने तीसरी बार संभाली एसजीपीसी की कमान
बीबी जागीर कौर ने 2020 में तीसरी बार एसजीपीसी अध्यक्ष पद की सेवा संभाली। जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने एसजीपीसी-शिअद के रिश्तों को मां-बेटा के रिश्ते के साथ जोड़ नई चर्चा को जन्म दिया।
2020 के तीसरे महीने में कोरोना ने दस्तक दी और पूरे देश मेें लॉकडाउन का सन्नाटा पसर गया। पंजाब में एक एनआरआई बुजुर्ग के संक्रमित होने से शुरू हुआ सिलसिला अब तक जारी है। कोरोना की ऐसी दहशत फैली जो जहां था वहीं रुक गया। विदेश में बैठे लोग घर आने को तरस गए। पंजाब से लाखों लोग पैदल ही घर लौटने को मजबूर हो गए।
वहीं जान हथेली पर रखकर कोरोना वारियर्स मरीजों की सेवा में दिन रात एक कर दिया। अनलॉक से कुछ रौनक लौटी तो साल के आखिरी महीनों में कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब का माहौल गरमा गया। अन्नदाता सड़कों पर उतर आए, खूब राजनीति भी हुई। जब कोई हल न निकला तो पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच किया। कड़ाके की ठंड में लगभग 35 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे किसान कृषि कानूनों के रद्द होने तक लौटने को तैयार नहीं हैं….
कोरोना से फैली दहशत और सन्नाटा
कोविड-19 के कारण प्रदेश में दहशत और सन्नाटे का आलम रहा। 23 मार्च से लगे लॉकडाउन ने लोगों के दिलों की धड़कनें बढ़ा दी। एनआरआई हब होने के कारण लोग डरे रहे। विदेश से लौटे एक एनआरआई बुजुर्ग के कोरोना संक्रमित मिलते ही मानो प्रदेश में सन्नाटा पसर गया। पूर्ण लॉकडाउन के कारण कई पंजाबी विदेश में ही फंस गए। प्रदेश में 1 लाख 66 हजार लोग कोरोना संक्रमित हुए। एक लाख 57 हजार ठीक होकर अपनों के बीच लौटे। वहीं 5331 लोग काल का ग्रास बन गए।
पहली बार टेलीविजन पर पढ़ाई्र
2020 में पहली बार बच्चों ने टेलीविजन पर पढ़ाई की। स्कूल बंद होने पर 45 लाख बच्चों को शिक्षा देना चुनौती से कम नहीं था। पंजाब सरकार ने निजी स्कूलों की तर्ज पर जूम एप पर कक्षाएं लगानी शुरू कीं लेकिन गांवों में इंटरनेट की स्पीड न होने और स्मार्ट फोन की कमी के कारण एक प्रयोग ज्यादा कारगर नहीं रहा। इस पर शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने के लिए पंजाब शिक्षा विभाग के सचिव कृष्ण कुमार ने पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया और प्रसार भारती से इस बारे में बात की। इसके बाद 45 लाख बच्चों ने डीडी पंजाबी चैनल के जरिए शिक्षा ग्रहण की।
पराली जलाने के 49 फीसदी मामले बढ़े
पंजाब में 21 सितंबर से दो नवंबर तक पराली जलाए के मामलों में पिछले साल की तुलना में 49 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई। राज्य में 21 सितंबर से 2 नवंबर तक पराली जलाने के 36,755 मामले सामने आए। वहीं 2019 में इस अवधि में ऐसी घटनाओं की संख्या 24,726 थी। एक तरफ शुरुआती लॉकडाउन में प्रकृति ने खुलकर सांस ली तो वहीं सितंबर से नवंबर के बीच ये संतुलन बिगड़ गया और हवा पहले से ज्यादा खराब हो गई।
कृषि कानूनों पर हाहाकार
2020 में कृषि कानूनों के लागू होेने के बाद विरोध में किसान सड़कों पर उतर आए। पहले ट्रेन की पटरियों पर प्रदर्शन किए गए। हल न निकलता देख किसानों ने 25 नवंबर को दिल्ली कूच किया और सिंघू व टिकरी बॉर्डर पर ट्रॉलियों को ही आशियाना बनाकर धरने में जुट गए। वहीं किसान आंदोलन के प्रभाव से कारपोरेट घराने भी नहीं बच पाए। प्रदेश में 1500 से ज्यादा जियो के मोबाइल टावरों पर किसानों गुस्सा उतारा।
हरसिमरत बादल का इस्तीफा, अकाली-भाजपा गठबंधन टूटा
किसान आंदोलन के प्रभाव से राजनीतिक गलियारा भी अछूता नहीं रहा। भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का 24 साल पुराना गठबंधन टूट गया। पहले केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया फिर अकाली दल ने भाजपा से नाता तोड़ दिया। केंद्र में सत्तारूढ़ राजग का गठन 1998 में हुआ था और शरद यादव इसके पहले संयोजक बनाए गए थे। शिअद इसका संस्थापक सदस्य था। भाजपा के सहारे ही प्रकाश सिंह बादल पंजाब में पांच बार सीएम की कुर्सी पर बैठे थे।
कई नामचीन हस्तियों ने लौटाए पदक
किसान आंदोलन के समर्थन में पंजाब की नामचीन हस्तियों ने अवार्ड लौटाए। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा व साहित्यकार सुरजीत पातर ने अपने पुरस्कार वापस किए। भारतीय साहित्य अकादमी पुरस्कार के विजेता पंजाब के प्रसिद्ध शायर डॉ. मोहनजीत, प्रख्यात विचारक डॉ. जसविंदर सिंह व पंजाब के 27 खिलाड़ियों ने किसानों के समर्थन में अपने पुरस्कार लौटाए। इनमें पद्मश्री करतार सिंह पहलवान, ब्रिगेडियर हरचरण सिंह, दविंदर सिंग गरचा, सुरिंदर सोढ़ी, गुनदीप कुमार प्रमुख थे।
भाजपा पर गुस्सा, प्रदेश प्रधान की गाड़ी पर पथराव
प्रदेश में भाजपा के 117 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर सरकार बनाने के दावे पर भाजपा प्रदेश प्रधान की गाड़ी पर हमला भारी रहा। एक तरफ प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा की गाड़ी पर पथराव किया गया तो वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यक्रमों में किसानों ने तोड़फोड़ कर अपने इरादे साफ कर दिए।
चार साल बाद ईडी ने खोली रणइंदर की फाइल
2020 में कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर की फाइल चार साल बाद खोली गई। विदेश में अघोषित संपत्ति छिपाने के मामले में ईडी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे को चार बार तलब किया और पेशी के लिए बुलाया। रणइंदर सिंह एक बार पेश हुए और बयान दर्ज करवाए।
लापता हुए श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 328 पावन स्वरूप
एसजीपीसी के पब्लिकेशन विभाग की ओर से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूपों का रिकॉर्ड सही ढंग से नहीं की किया गया था। 2013-14 व 2014-15 के ओपनिंग व क्लोजिंग लेजर में कटिंग की गई है। 2013 से 2016 तक 328 स्वरूप रिकॉर्ड में कम मिले। मानवाधिकार से जुड़ी कुछ संस्थाओं ने सूचना के अधिकार के तहत इसकी जानकारी मांगी थी। एसजीपीसी ने बताया कि 267 स्वरूप लापता हैं। इसके बाद जांच तेलंगाना हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज ईशर सिंह की कमेटी को सौंपी गई।
जांच में सामने आया कि 328 स्वरूप लापता हैैं। प्रकाशन विभाग ने छपाई के दौरान स्वरूपों के खराब हुए अंगों को जोड़कर गैर कानूनी ढंग से बिना बिलों के एक बार 61 और एक बार 125 स्वरूप तैयार कर बेचे। इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। यह भी पाया गया कि वर्ष 2015 से 2020 तक के रिकॉर्ड में बिलों और अन्य दस्तावेजों में भी काफी अंतर है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इसकी जांच की। इसमें कई एसजीपीसी कर्मचारी दोषी पाए गए। सिख जत्थेबंदियों ने एसजीपीसी कार्यालय के बाहर धरने भी दिए। इस दौरान खूनी संघर्ष भी हुआ।
धर्मसोत के कारण कैप्टन की किरकिरी
पंजाब के अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए केंद्र सरकार की पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के तहत मिले धन में पंजाब के कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत पर 64 करोड़ रुपये का घोटाला करने के आरोप लगे। मामले में कैप्टन सरकार की काफी किरकिरी हुई। सड़कों से लेकर विधानसभा में खासा बवाल और हंगामा हुआ।
माझा में जहरीली शराब का तांडव…123 लोगों की जान गई
माझा में लॉकडाउन के दौरान जमकर जहरीली शराब बेची गई। नतीजतन इस शराब को पीने से 123 लोगों की जान चली गई। तरनतारन, अमृतसर और बटाला क्षेत्र में जहरीली शराब ने खूब तांडव मचाया। इसके बाद विपक्षी दलों ने खासा हंगामा किया और कैप्टन सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।
पैदल ही पलायन को मजबूर हुए मजदूर
पंजाब में लॉकडाउन व कर्फ्यू लगने के बाद मजदूर पैदल ही बिहार और यूपी की तरफ निकल पड़े। करीब 10 लाख लोगों ने पंजाब से पलायन किया। कई लोग परिवारों समेत 2-2 हजार किलोमीटर तक पैदल चलकर घर पहुंचे। इसका असर पंजाब की खेतीबाड़ी के अलावा उद्योग जगत पर भी हुआ।
बीबी जागीर ने तीसरी बार संभाली एसजीपीसी की कमान
बीबी जागीर कौर ने 2020 में तीसरी बार एसजीपीसी अध्यक्ष पद की सेवा संभाली। जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने एसजीपीसी-शिअद के रिश्तों को मां-बेटा के रिश्ते के साथ जोड़ नई चर्चा को जन्म दिया।
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