कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के आह्वान पर शनिवार दोपहर 12 से तीन बजे तक देशव्यापी चक्काजाम शांति से निपट गया। पंजाब, हरियाणा में आंदोलन का असर देखा गया। दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड को चक्काजाम से पहले ही मुक्त रखा गया था। अन्य राज्यों में कोई खास असर नजर नहीं आया। आंदोलन के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, केंद्र सरकार के पास कृषि कानून वापस लेने के लिए दो अक्तूबर तक का वक्त है। इसके बाद हम आगे की प्लानिंग करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे, कंडीशनल बातचीत होगी। उन्होंने एक बार फिर कहा कि केवल तीनों कानून की वापसी के बाद ही हम अपने घर जाएंगे। टिकैत ने कहा कि जब तक तीनों कानून की वापसी और एमएसपी को कानूनी दर्जा नहीं मिलता तब तक हम नहीं जाने वाले हैं। पूरे देश में गैर-राजनीतिक आंदोलन होगा, दिल्ली में एक-एक कील काट के जाएंगे।
किसान संगठनों ने छह फरवरी को देशव्यापी ‘चक्का जाम’ की घोषणा की थी, जिसके तहत वे दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध करने की बात कही थी। प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन स्थलों के पास के क्षेत्रों में इंटरनेट प्रतिबंध, अधिकारियों द्वारा कथित रूप से किए जा रहे उत्पीड़न और अन्य मुद्दे को लेकर चक्का जाम किया। हालांकि, कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के समूह ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने शुक्रवार को कहा कि ‘चक्का जाम’ के दौरान प्रदर्शनकारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सड़कों को अवरुद्ध नहीं करेंगे।
दिल्ली में 50 हिरासत में लिए गए किसानों के समर्थन में कथित रूप से प्रदर्शन करने के लिए शनिवार को मध्य दिल्ली के शहीदी पार्क के पास 50 व्यक्तियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया। दिल्ली पुलिस ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली अर्धसैनिक बलों सहित हजारों कर्मियों को तैनात किया था। गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बादए दिल्ली पुलिस ने अतिरिक्त उपाय किए थे।
पंजाबः अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाइवे जाम रहा
पंजाब में भी किसान संगठनों ने आह्वान पर किसानों ने अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाईवे पर चक्का जाम किया। लुधियाना-फिरोजपुर हाइवे पर भी जाम किया गया। इस दौरान हाइवे पर जाम के साथ ही लंगर भी किया गया। इसी दौरान एक ट्रैक्टर पर अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर लगा झंडा भी देखा गया।
जम्मू-पठानकोट हाइवे जाम किया
जम्मू-कश्मीर: जम्मू में भी किसानों ने चक्का जाम किया। किसान संगठनों ने जम्मू-पठानकोट हाईवे को जाम कर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। चक्का जाम के समर्थन में जम्मू के किसान भी सड़कों पर उतरे।
महिलाएं भी शामिल हुईं
चक्काजाम आंदोलन में कई स्थानों पर महिलाएं भी शामिल हुई। पंजाब समेत कुछ जगह वे खुद ट्रैक्टर चलाकर हाइवे पर पहुंचीं। महिलाओं का आरोप था कि केंद्र सरकार को अपना हठ छोड़ना चाहिये और तुरंत इन तीनो कानूनों को वापस लेना चाहिए।
महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड शहर में चक्काजाम किया गया। कोल्हापुर नाके पर दोपहर के समय व्यस्त सड़क पर प्रदर्शन करने के चलते पुलिस ने कम से कम 40 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। इनमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण की पत्नी सत्वशीला चव्हाण भी शामिल रहीं। बाद में सभी को रिहा कर दिया गया।
राजस्थानः कई जगह किया गया चक्काजाम
राजस्थान में कई जगह चक्का जाम किया गया। गंगानगर, हनुमानगढ़, धौलपुर व झालावाड़ में ज्यादा असर देखा गया। किसान मुख्य सड़कों या राजमार्गों पर धरने पर बैठे। चक्काजाम को विभिन्न किसान संगठनों के साथ-साथ कांग्रेस ने भी समर्थन दिया।
कर्नाटक: मैसूर-बंगलूरू हाइवे पर जाम
कर्नाटक में किसान संगठनों ने दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक चक्का जाम किया। इस दौरान मैसूर-बंगलुरु हाइवे पर चक्का जाम किया। इसके अलावा बनकापुर टोल पर और टोल के पास नेशनल हाइवे पर चक्का जाम किया गया।
इधर, उत्तर प्रदेश में कहीं चक्काजाम तो नहीं किया गया, लेकिन शामली जिले के भैंसवाल गांव में आयोजित किसान महापंचायत में बहुत बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। प्रशासन की तरफ से मंजूरी नहीं देने के बाद भी यह महापंचायत हुई। बता दें कि इस महापंचायत के लिए प्रशासन ने कोरोना महामारी की वजह से अनुमति न देने की बात कही थी। शामली जिला प्रशासन ने कहा था कि कोविड की वजह से अप्रैल तक बड़े समारोह पर रोक लगी हुई है। जबकि भारतीय किसान यूनियन और राष्ट्रीय लोकदल समेत सभी आयोजकों ने महापंचायत हर हाल में करने की ठानी थी। महापंचायत में जनसैलाब देख कर जयंत चौधरी ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि क्या पंचायत थी! शानदार जज़्बा, जोश और एकता! धन्यवाद भैंसवाल गांव।
कांग्रेस ने दिया पूरा समर्थन
किसानों के चक्काजाम आंदोलन को कांग्रेस ने पूर्ण समर्थन का एलान किया था। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि चक्काजाम आंदोलन को कांग्रेस अपना पूर्ण समर्थन देगी।
गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा से लिया सबक
शनिवार को चक्काजाम आंदोलन के दौरान देश में कहीं किसी अप्रिय घटना या हिंसा की खबर नहीं आई। इससे पूर्व 26 जनवरी के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा व बवाल के कारण चक्काजाम को लेकर भी भय का माहौल था, लेकिन शासन-प्रशासन के साथ ही किसानों व किसान संगठनों ने भी गणतंत्र दिवस की घटना से सबक लेकर जनता को राहत दी।
कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के आह्वान पर शनिवार दोपहर 12 से तीन बजे तक देशव्यापी चक्काजाम शांति से निपट गया। पंजाब, हरियाणा में आंदोलन का असर देखा गया। दिल्ली-एनसीआर, उत्तराखंड को चक्काजाम से पहले ही मुक्त रखा गया था। अन्य राज्यों में कोई खास असर नजर नहीं आया। आंदोलन के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, केंद्र सरकार के पास कृषि कानून वापस लेने के लिए दो अक्तूबर तक का वक्त है। इसके बाद हम आगे की प्लानिंग करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे, कंडीशनल बातचीत होगी। उन्होंने एक बार फिर कहा कि केवल तीनों कानून की वापसी के बाद ही हम अपने घर जाएंगे। टिकैत ने कहा कि जब तक तीनों कानून की वापसी और एमएसपी को कानूनी दर्जा नहीं मिलता तब तक हम नहीं जाने वाले हैं। पूरे देश में गैर-राजनीतिक आंदोलन होगा, दिल्ली में एक-एक कील काट के जाएंगे।
किसान संगठनों ने छह फरवरी को देशव्यापी ‘चक्का जाम’ की घोषणा की थी, जिसके तहत वे दोपहर 12 बजे से अपराह्न तीन बजे के बीच राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को अवरुद्ध करने की बात कही थी। प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन स्थलों के पास के क्षेत्रों में इंटरनेट प्रतिबंध, अधिकारियों द्वारा कथित रूप से किए जा रहे उत्पीड़न और अन्य मुद्दे को लेकर चक्का जाम किया। हालांकि, कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों के समूह ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने शुक्रवार को कहा कि ‘चक्का जाम’ के दौरान प्रदर्शनकारी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सड़कों को अवरुद्ध नहीं करेंगे।
राज्यों में चक्काजाम का कैसा रहा असर, जानिए
दिल्ली में 50 हिरासत में लिए गएकिसानों के समर्थन में कथित रूप से प्रदर्शन करने के लिए शनिवार को मध्य दिल्ली के शहीदी पार्क के पास 50 व्यक्तियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया। दिल्ली पुलिस ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली अर्धसैनिक बलों सहित हजारों कर्मियों को तैनात किया था। गणतंत्र दिवस पर हिंसा के बादए दिल्ली पुलिस ने अतिरिक्त उपाय किए थे।
पंजाबः अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाइवे जाम रहा
पंजाब में भी किसान संगठनों ने आह्वान पर किसानों ने अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाईवे पर चक्का जाम किया। लुधियाना-फिरोजपुर हाइवे पर भी जाम किया गया। इस दौरान हाइवे पर जाम के साथ ही लंगर भी किया गया। इसी दौरान एक ट्रैक्टर पर अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर लगा झंडा भी देखा गया।
जम्मू-पठानकोट हाइवे जाम किया
जम्मू-कश्मीर: जम्मू में भी किसानों ने चक्का जाम किया। किसान संगठनों ने जम्मू-पठानकोट हाईवे को जाम कर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। चक्का जाम के समर्थन में जम्मू के किसान भी सड़कों पर उतरे।
महिलाएं भी शामिल हुईं
चक्काजाम आंदोलन में कई स्थानों पर महिलाएं भी शामिल हुई। पंजाब समेत कुछ जगह वे खुद ट्रैक्टर चलाकर हाइवे पर पहुंचीं। महिलाओं का आरोप था कि केंद्र सरकार को अपना हठ छोड़ना चाहिये और तुरंत इन तीनो कानूनों को वापस लेना चाहिए।
महाराष्ट्रः पृथ्वीराज चव्हाण की पत्नी समेत 40 हिरासत में
महाराष्ट्र के सतारा जिले के कराड शहर में चक्काजाम किया गया। कोल्हापुर नाके पर दोपहर के समय व्यस्त सड़क पर प्रदर्शन करने के चलते पुलिस ने कम से कम 40 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। इनमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण की पत्नी सत्वशीला चव्हाण भी शामिल रहीं। बाद में सभी को रिहा कर दिया गया।
राजस्थानः कई जगह किया गया चक्काजाम
राजस्थान में कई जगह चक्का जाम किया गया। गंगानगर, हनुमानगढ़, धौलपुर व झालावाड़ में ज्यादा असर देखा गया। किसान मुख्य सड़कों या राजमार्गों पर धरने पर बैठे। चक्काजाम को विभिन्न किसान संगठनों के साथ-साथ कांग्रेस ने भी समर्थन दिया।
कर्नाटक: मैसूर-बंगलूरू हाइवे पर जाम
कर्नाटक में किसान संगठनों ने दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक चक्का जाम किया। इस दौरान मैसूर-बंगलुरु हाइवे पर चक्का जाम किया। इसके अलावा बनकापुर टोल पर और टोल के पास नेशनल हाइवे पर चक्का जाम किया गया।
उप्र: शामली महापंचायत में उमड़ा सैलाब
इधर, उत्तर प्रदेश में कहीं चक्काजाम तो नहीं किया गया, लेकिन शामली जिले के भैंसवाल गांव में आयोजित किसान महापंचायत में बहुत बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। प्रशासन की तरफ से मंजूरी नहीं देने के बाद भी यह महापंचायत हुई। बता दें कि इस महापंचायत के लिए प्रशासन ने कोरोना महामारी की वजह से अनुमति न देने की बात कही थी। शामली जिला प्रशासन ने कहा था कि कोविड की वजह से अप्रैल तक बड़े समारोह पर रोक लगी हुई है। जबकि भारतीय किसान यूनियन और राष्ट्रीय लोकदल समेत सभी आयोजकों ने महापंचायत हर हाल में करने की ठानी थी। महापंचायत में जनसैलाब देख कर जयंत चौधरी ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि क्या पंचायत थी! शानदार जज़्बा, जोश और एकता! धन्यवाद भैंसवाल गांव।
कांग्रेस ने दिया पूरा समर्थन
किसानों के चक्काजाम आंदोलन को कांग्रेस ने पूर्ण समर्थन का एलान किया था। पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि चक्काजाम आंदोलन को कांग्रेस अपना पूर्ण समर्थन देगी।
गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा से लिया सबक
शनिवार को चक्काजाम आंदोलन के दौरान देश में कहीं किसी अप्रिय घटना या हिंसा की खबर नहीं आई। इससे पूर्व 26 जनवरी के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा व बवाल के कारण चक्काजाम को लेकर भी भय का माहौल था, लेकिन शासन-प्रशासन के साथ ही किसानों व किसान संगठनों ने भी गणतंत्र दिवस की घटना से सबक लेकर जनता को राहत दी।