CRPF और DRDO ने मिलकर बनाई बाइक एंबुलेंस, नक्सली इलाकों में होगी मददगार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 18 Jan 2021 08:05 AM IST
बाइक एंबुलेंस (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला
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इस बाइक एंबुलेंस को इसलिए बनाया गया है ताकि मेडिकल इमरजेंसी और विवादित क्षेत्रों में घायल होने की स्थिति में सुरक्षा बलों के कर्मचारियों को तत्काल निकासी में मदद मिल सके। सूत्रों का कहना है कि किसी एनकाउंटर के दौरान घायल होने की स्थिति में यह एंबुलेंस बाइक सीआरपीएफ के जवानों की मदद करेगी।
एक सीआरपीएफ के सूत्र का कहना है कि यह बाइक एंबुलेंस बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा जैसे इलाकों में ज्यादा मददगार साबित होंगी, क्योंकि इन इलाकों में सुरक्षा बल के कर्मचारियों के लिए एंबुलेंस या बड़ा वाहन ले जाना मुश्किल हो जाता है। इन बाइक को इसलिए बनाया गया क्योंकि सीआरपीएफ के जवानों को नक्सली इलाकों या घने जंगलों में बनी संकीर्ण सड़क पर चलने के लिए ऐसी बाइक को बनाने की जरूरत महसूस हुई।
ऐसे कई उदाहरण हैं कि इन इलाकों में मेडिकल की सुविधाएं देरी से पहुंतची हैं, जिसकी वजह से मरीज का हालत पहले से और गंभीर हो जाती है। इसलिए सीआरपीएफ की तरफ से ऐसी बाइक को बनाने की जरूरत महसूस की गई। इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंस बायोमेडिकल और क्लिनिकल रिसर्च के क्षेत्र में काम करता है। ये भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के तहत काम करता है।
इस बाइक एंबुलेंस को इसलिए बनाया गया है ताकि मेडिकल इमरजेंसी और विवादित क्षेत्रों में घायल होने की स्थिति में सुरक्षा बलों के कर्मचारियों को तत्काल निकासी में मदद मिल सके। सूत्रों का कहना है कि किसी एनकाउंटर के दौरान घायल होने की स्थिति में यह एंबुलेंस बाइक सीआरपीएफ के जवानों की मदद करेगी।
एक सीआरपीएफ के सूत्र का कहना है कि यह बाइक एंबुलेंस बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा जैसे इलाकों में ज्यादा मददगार साबित होंगी, क्योंकि इन इलाकों में सुरक्षा बल के कर्मचारियों के लिए एंबुलेंस या बड़ा वाहन ले जाना मुश्किल हो जाता है। इन बाइक को इसलिए बनाया गया क्योंकि सीआरपीएफ के जवानों को नक्सली इलाकों या घने जंगलों में बनी संकीर्ण सड़क पर चलने के लिए ऐसी बाइक को बनाने की जरूरत महसूस हुई।
ऐसे कई उदाहरण हैं कि इन इलाकों में मेडिकल की सुविधाएं देरी से पहुंतची हैं, जिसकी वजह से मरीज का हालत पहले से और गंभीर हो जाती है। इसलिए सीआरपीएफ की तरफ से ऐसी बाइक को बनाने की जरूरत महसूस की गई। इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंस बायोमेडिकल और क्लिनिकल रिसर्च के क्षेत्र में काम करता है। ये भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के तहत काम करता है।
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