corona vaccination in India: ठीक होने के बाद भी मास्क व छह फुट की दूरी बनेगी बूस्टर डोज

अमर उजाला रिसर्च टीम, नई दिल्ली
Updated Mon, 11 Jan 2021 07:27 AM IST
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क्या वैक्सीन के लिए बूस्टर डोज भी होगा?
वैक्सीन अभी इमरजेंसी ब्लॉक में स्वास्थ्य कर्मियों अन्य जरूरी लोगों और बुजुर्गों को लगनी है। बूस्टर डोज का विकल्प अभी नहीं है। टीका बनाने वालों कंपनियों ने भी बूस्टर डोज का पर कुछ नहीं बोला है। ऐसे में टीका लगने के बाद मास्क और 6 फुट की दूरी ही जरूरी बूस्टर डोज है।
वैक्सीन के दो डोज क्यों लगाई जा रहे हैं, एक क्यों नहीं?
वैक्सीन एक मानक के अनुसार, की तैयार होती है। किसी मरीज को 200 एमजी की दवा दिन में दो बार खानी होती है। कुछ मरीजों को 500 एमजी की दवा 24 घंटे पर खानी होती है। वैक्सीन के दो डोज कुछ समय के अंतराल पर लगाने का मकसद इसे असरदार बनाना है। पहला डोज शरीर को उसके अनुसार तैयार करेगा और वायरस से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करेगा। दूसरा डोज टीके को और ताकतवर बनाएगा, जिससे सुरक्षा कवच मजबूत होगा।
वैक्सीन का एक डोज कितनी सुरक्षित हो सकती है
दुनिया में जिस भी टीके का प्रयोग हो रहा है। उसमें किसी का परीक्षण एक या आधा डोज का नहीं हुआ है। टीका के दो डोज के बाद वे 60 से 95 प्रतिशत असरदार मिले हैं। अगर सोच रहे हैं कि टीके का एक डोज लेकर वायरस से सुरक्षित हो जाएंगे तो इसमें कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं है। संभव है कि टीके के एक डोज से आपके शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र पर कोई असर ही नहीं पड़े और आप में संक्रमण का खतरा बरकरार रहे।
टीके का शरीर पर असर हो रहा है पता कैसे चलेगा?
टीके का असर जानने का आसान तरीका एंटीबॉडी जांचे खून के सैंपल से होने वाली इस जांच से पता चलेगा। लगेगा कि टीका कितना असरदार है। टीके के दोनों डोज लगने के 35 से 40 दिन बाद जांच कराएंगे तो नतीजा दिख सकता है।
दो कंपनियों का टीका लगवा सकते हैं?
किसी भी रोग का टीका अपने मन से नहीं लगवाना चाहिए। अगर आप सोच रहे हैं कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका लगवाने के बाद आप मॉडर्ना या फाइजर का भी टीका लगवाकर खुद को वायरस से सुरक्षित कर लेंगे तो यह गलत होगा। कोई भी टीका लगने पर शरीर की कोशिकाएं संबंधित वायरस के खिलाफ सक्रिय हो जाती हैं। 1 से अधिक तरह का टीका लगवाने से कोशिकाएं अति सक्रिय हो जाएंगी जिससे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।
क्या वैक्सीन के लिए बूस्टर डोज भी होगा?
वैक्सीन अभी इमरजेंसी ब्लॉक में स्वास्थ्य कर्मियों अन्य जरूरी लोगों और बुजुर्गों को लगनी है। बूस्टर डोज का विकल्प अभी नहीं है। टीका बनाने वालों कंपनियों ने भी बूस्टर डोज का पर कुछ नहीं बोला है। ऐसे में टीका लगने के बाद मास्क और 6 फुट की दूरी ही जरूरी बूस्टर डोज है।
वैक्सीन के दो डोज क्यों लगाई जा रहे हैं, एक क्यों नहीं?
वैक्सीन एक मानक के अनुसार, की तैयार होती है। किसी मरीज को 200 एमजी की दवा दिन में दो बार खानी होती है। कुछ मरीजों को 500 एमजी की दवा 24 घंटे पर खानी होती है। वैक्सीन के दो डोज कुछ समय के अंतराल पर लगाने का मकसद इसे असरदार बनाना है। पहला डोज शरीर को उसके अनुसार तैयार करेगा और वायरस से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करेगा। दूसरा डोज टीके को और ताकतवर बनाएगा, जिससे सुरक्षा कवच मजबूत होगा।
वैक्सीन का एक डोज कितनी सुरक्षित हो सकती है
दुनिया में जिस भी टीके का प्रयोग हो रहा है। उसमें किसी का परीक्षण एक या आधा डोज का नहीं हुआ है। टीका के दो डोज के बाद वे 60 से 95 प्रतिशत असरदार मिले हैं। अगर सोच रहे हैं कि टीके का एक डोज लेकर वायरस से सुरक्षित हो जाएंगे तो इसमें कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं है। संभव है कि टीके के एक डोज से आपके शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र पर कोई असर ही नहीं पड़े और आप में संक्रमण का खतरा बरकरार रहे।
टीके का शरीर पर असर हो रहा है पता कैसे चलेगा?
टीके का असर जानने का आसान तरीका एंटीबॉडी जांचे खून के सैंपल से होने वाली इस जांच से पता चलेगा। लगेगा कि टीका कितना असरदार है। टीके के दोनों डोज लगने के 35 से 40 दिन बाद जांच कराएंगे तो नतीजा दिख सकता है।
दो कंपनियों का टीका लगवा सकते हैं?
किसी भी रोग का टीका अपने मन से नहीं लगवाना चाहिए। अगर आप सोच रहे हैं कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका लगवाने के बाद आप मॉडर्ना या फाइजर का भी टीका लगवाकर खुद को वायरस से सुरक्षित कर लेंगे तो यह गलत होगा। कोई भी टीका लगने पर शरीर की कोशिकाएं संबंधित वायरस के खिलाफ सक्रिय हो जाती हैं। 1 से अधिक तरह का टीका लगवाने से कोशिकाएं अति सक्रिय हो जाएंगी जिससे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।
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