70 साल बाद समुद्र से निकाला 14 अरब रुपये का भारतीय खजाना, दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान डूबा था जहाज

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 12 Jan 2021 10:36 AM IST
खजाना (फाइल फोटो)
– फोटो : सोशल मीडिया
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दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एसएस गैरसोप्पा जहाज कलकत्ता से ब्रिटेन चांदी लेकर जा रहा था। ऐसा बताया जाता है कि इस चांदी के खजाने का इस्तेमाल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल दूसरे विश्वयुद्ध के समय जंग में करने वाले थे। खबरों के मुताबिक, भारत से चांदी लादकर ये जहाज आयरलैंड जा रहा था लेकिन रास्ते में ही ईंधन खत्म हो गया।
इस दौरान एक जर्मन यू बोट ने टॉरपीडो से हमला कर दिया, इस हमले के बाद जहाज पानी में डूब गया और इस पर मौजूद 85 लोग मारे गए। पानी में डूबने के बाद जहाज में रखा खजाना भी समुद्र में सालों के लिए डूबा रहा। साल 2011 में गोताखोरों के एक दल ने इस खजाने का पता लगाया।
इस खजाने की मौजूदा कीमत 14 लाख रुपये है। इस चांदी की खोज करने वाले दल ओडसी मरीन ग्रुप के शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने जहाज से 99 फीसदी चांदी निकाल ली है। जहाज पर इसलिए हमला किया गया था कि जर्मनी के यू बोट के कमांडर ने अनुमान लगाया था कि ब्रिटेन के विदेशों से व्यापार को यूबोट के इस्तेमाल से खत्म करके इंग्लैंड के विदेशों से व्यापार को काटा जा सकता है।
उनका मानना था कि ऐसा करने से ब्रिटेन को बढ़त मिल जाएगी। इधर जर्मनी ने युद्ध के समय अटलांटिक समुद्र पर बादशाहत कायम करने के लिए अपनी पनडुब्बी के बेड़े को समुद्र में उतार दिया था। इस विवाद के बीच दिसंबर 1940 में भारत के कलकत्ता से मालवाहक जहाज एसएस गैरसोप्पा सात हजार टन सामान लेकर निकला था। इसमें चांदी, लोहा और चाय शामिल थी।
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एसएस गैरसोप्पा जहाज कलकत्ता से ब्रिटेन चांदी लेकर जा रहा था। ऐसा बताया जाता है कि इस चांदी के खजाने का इस्तेमाल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल दूसरे विश्वयुद्ध के समय जंग में करने वाले थे। खबरों के मुताबिक, भारत से चांदी लादकर ये जहाज आयरलैंड जा रहा था लेकिन रास्ते में ही ईंधन खत्म हो गया।
इस दौरान एक जर्मन यू बोट ने टॉरपीडो से हमला कर दिया, इस हमले के बाद जहाज पानी में डूब गया और इस पर मौजूद 85 लोग मारे गए। पानी में डूबने के बाद जहाज में रखा खजाना भी समुद्र में सालों के लिए डूबा रहा। साल 2011 में गोताखोरों के एक दल ने इस खजाने का पता लगाया।
इस खजाने की मौजूदा कीमत 14 लाख रुपये है। इस चांदी की खोज करने वाले दल ओडसी मरीन ग्रुप के शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने जहाज से 99 फीसदी चांदी निकाल ली है। जहाज पर इसलिए हमला किया गया था कि जर्मनी के यू बोट के कमांडर ने अनुमान लगाया था कि ब्रिटेन के विदेशों से व्यापार को यूबोट के इस्तेमाल से खत्म करके इंग्लैंड के विदेशों से व्यापार को काटा जा सकता है।
उनका मानना था कि ऐसा करने से ब्रिटेन को बढ़त मिल जाएगी। इधर जर्मनी ने युद्ध के समय अटलांटिक समुद्र पर बादशाहत कायम करने के लिए अपनी पनडुब्बी के बेड़े को समुद्र में उतार दिया था। इस विवाद के बीच दिसंबर 1940 में भारत के कलकत्ता से मालवाहक जहाज एसएस गैरसोप्पा सात हजार टन सामान लेकर निकला था। इसमें चांदी, लोहा और चाय शामिल थी।
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