अमर उजाला, सोनीपत (हरियाणा)
Updated Sat, 09 Jan 2021 05:30 PM IST
सोनीपत पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत।
– फोटो : अमर उजाला
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भारतीय किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने 26 जनवरी की प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड को लेकर किसानों को सलाह दी है कि वे ज्यादा से ज्यादा तिरंगे झंडे खरीदकर रख लें। टिकैत का कहना है कि 26 जनवरी को इनकी ज्यादा जरूरत पड़ेगी। हर किसान ट्रैक्टर पर तिरंगा लगाकर आगे बढ़ेगा। तिरंगे पर सरकार न वाटर कैनन से बौछारें करेगी और न ही गोली चलाएगी। सरकार अगर डंडे चलाएगी तो हम राष्ट्रीय गान गाएंगे।
राकेश टिकैत सोनीपत में चौ. छोटूराम के निर्वाण दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में टिकैत ने कहा कि किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। इसके लिए वे किसी भी शहादत के लिए तैयार हैं। उन्होंने फैसला किया है कि 26 जनवरी की परेड के लिए वे 23 को ही दिल्ली के लिए निकलेंगे।
किसानों ने तय किया है कि हर टैंक के साथ ट्रैक्टर चलेगा और बराबर स्पीड में चलेगा। हर ट्रैक्टर पर तिरंगा झंडा लगा होगा। 26 जनवरी किसी पार्टी का त्यौहार नहीं है बल्कि पूरे देश का त्यौहार है, इसलिए किसान इसे दिल्ली में पहुंचकर मनाएंगे।
उन्होंने धरनारत किसानों तक सामग्री पहुंचाने वाले लोगों से कहा कि वे अब आटा दाल छोड़कर तिरंगा पहुंचाना शुरू करें। टिकैत ने कहा कि हमने आजादी की लड़ाई तो नहीं देखी लेकिन इस बार हम एक तरह से शहादत ही देंगे। हम घर बोल कर आए हैं कि वापस आएंगे या नहीं, इसका कुछ पता नहीं। हमारे 70 किसान शहीद हो चुके हैं, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों को कोई सुविधा नहीं दे रही। सरकार के पास बस एक ही रास्ता बचा है और वह है तीन कृषि कानून वापस लेने का। इसके अलावा सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है।यह तय है कि वे मांगें माने जाने तक पीछे नहीं हटेंगे। यह लड़ाई 2024 तक भी चल सकती है, इसलिए अब उन्हें साढ़े 3 साल की तैयारियां करनी हैं।
उन सैनिकों की बनेगी सूची, जिनके परिजन आंदोलन में शामिल
टिकैत ने कहा कि किसान उन सैनिकों की सूची तैयार कर रहे हैं जिनके पिता या भाई या अन्य परिजन किसान आंदोलन में शामिल हैं। 26 जनवरी के दिन परिवार के दोनों सदस्य राजपथ पर बराबर-बराबर चलेंगे। एक तरफ सैनिक चलेगा तो दूसरी तरफ आंदोलन में शामिल उसका पिता या भाई। आंदोलन की अगुवाई महिलाएं करेंगी। सरकार को साफ तौर पर कह दिया गया है कि कानून रद्द किए जाने से कम कुछ मंजूर नहीं। अब गेंद पूरी तरह से सरकार के पाले में है।
भारतीय किसान संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने 26 जनवरी की प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड को लेकर किसानों को सलाह दी है कि वे ज्यादा से ज्यादा तिरंगे झंडे खरीदकर रख लें। टिकैत का कहना है कि 26 जनवरी को इनकी ज्यादा जरूरत पड़ेगी। हर किसान ट्रैक्टर पर तिरंगा लगाकर आगे बढ़ेगा। तिरंगे पर सरकार न वाटर कैनन से बौछारें करेगी और न ही गोली चलाएगी। सरकार अगर डंडे चलाएगी तो हम राष्ट्रीय गान गाएंगे।
राकेश टिकैत सोनीपत में चौ. छोटूराम के निर्वाण दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में टिकैत ने कहा कि किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है। इसके लिए वे किसी भी शहादत के लिए तैयार हैं। उन्होंने फैसला किया है कि 26 जनवरी की परेड के लिए वे 23 को ही दिल्ली के लिए निकलेंगे।
किसानों ने तय किया है कि हर टैंक के साथ ट्रैक्टर चलेगा और बराबर स्पीड में चलेगा। हर ट्रैक्टर पर तिरंगा झंडा लगा होगा। 26 जनवरी किसी पार्टी का त्यौहार नहीं है बल्कि पूरे देश का त्यौहार है, इसलिए किसान इसे दिल्ली में पहुंचकर मनाएंगे।
उन्होंने धरनारत किसानों तक सामग्री पहुंचाने वाले लोगों से कहा कि वे अब आटा दाल छोड़कर तिरंगा पहुंचाना शुरू करें। टिकैत ने कहा कि हमने आजादी की लड़ाई तो नहीं देखी लेकिन इस बार हम एक तरह से शहादत ही देंगे। हम घर बोल कर आए हैं कि वापस आएंगे या नहीं, इसका कुछ पता नहीं। हमारे 70 किसान शहीद हो चुके हैं, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
टिकैत ने कहा कि सरकार किसानों को कोई सुविधा नहीं दे रही। सरकार के पास बस एक ही रास्ता बचा है और वह है तीन कृषि कानून वापस लेने का। इसके अलावा सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है।यह तय है कि वे मांगें माने जाने तक पीछे नहीं हटेंगे। यह लड़ाई 2024 तक भी चल सकती है, इसलिए अब उन्हें साढ़े 3 साल की तैयारियां करनी हैं।
उन सैनिकों की बनेगी सूची, जिनके परिजन आंदोलन में शामिल
टिकैत ने कहा कि किसान उन सैनिकों की सूची तैयार कर रहे हैं जिनके पिता या भाई या अन्य परिजन किसान आंदोलन में शामिल हैं। 26 जनवरी के दिन परिवार के दोनों सदस्य राजपथ पर बराबर-बराबर चलेंगे। एक तरफ सैनिक चलेगा तो दूसरी तरफ आंदोलन में शामिल उसका पिता या भाई। आंदोलन की अगुवाई महिलाएं करेंगी। सरकार को साफ तौर पर कह दिया गया है कि कानून रद्द किए जाने से कम कुछ मंजूर नहीं। अब गेंद पूरी तरह से सरकार के पाले में है।
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