100 साल पुराने नाजी यातना शिविर के गार्ड पर 3,518 लोगों की हत्या का आरोप

ऑस्त्विज कैंप के अंदर बना गैस चेंबर
– फोटो : Social media
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
इस महिला की पहचान इरगार्ड एफ के तौर पर हुई है। महिला पर यहूदी कैदियों की व्यवस्थित हत्याओं में उसके वरिष्ठों की सहायता करने का आरोप है। किसी महिला स्टाफ के खिलाफ इतने सालों में इस तरह का यह पहला मामला है। ये महिला जुवेनाइल कोर्ट में पेश होगी क्योकि जब नरसंहार किया गया था तब वो नाबालिग थी। हालांकि अभी ये महिला रिटायरमेंट के दौर में है।
जर्मन अभियोजन पक्ष ने कहा कि महिला पर 10,000 से ज्यादा मामलों में हत्या या मदद करने का आरोप है। इसके अलावा हत्या की कोशिश में जटिलता का भी आरोप लगाया गया है। इधर महिला ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि उसने कभी शिविर में पैर नहीं रखा था और उसने युद्ध के बाद होने वाले अत्याचारों से कुछ सीखा था।
सबूतों के आधार पर 70 साल पहले महिला ने अपने बॉस एसएस ऑफिसर पॉल हॉपी के साथ काम करने की बात कबूली थी लेकिन महिला ने कहा कि उसे गैस चैंबर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। 1939 में स्टुटथॉफ शिविर की स्थापना की गई थी, जब जर्मनी ने पोलैंड पर आक्रमण किया था और 1943 में इस बढ़ाया गया था और इसके पास विद्युतीकृत कांटेदार तार बाड़ से घिरा एक नया शिविर बनाया गया था।
एक लाख से ज्यादा लोगों को इस शिविर में भेजा गया। इस शिविर में 60,000 लोगों के मरने की आशंका जताई जाती थी। आखिरकार मई 1945 में सोवियत सेना की ओर से कैंप को मुक्त किया गया, ये शिविर अब एक बार फिर पोलैंड की सीमा में ही है। पिछले साल स्टुटथॉफ के एक अधिकारी का ट्रायल हुआ और 93 की उम्र में वो दोषी पाया गया। युद्ध के अंतिम महीने में 5,322 लोगों की हत्या करने मे मदद के लिए इसे दोषी पाया गया।
इसके अलावा साल 2018 में एक और स्टुटथॉफ गार्ड का ट्रायल हुआ, लेकिन बाद में उसका ट्रायल रोक दिया गया क्योंकि उसे दिल की बीमारी थी, वो लंबे समय के लिए खड़ा नहीं हो सकता था। 2011 में एक ऐतिहासिक मामले ने स्थापित किया कि जो लोग नाजी यातना शिविरों में काम करते थे, उन्हें दोषी पाया जा सकता है।
जनवरी 2020 में हुए एक सर्वेक्षण में 76 फीसदी जर्मनों ने इस बात पर सहमति जताई कि नाजी युद्ध अपराधियों से बचे हुए लोगों को अभी ट्रायल पर रखा जाना चाहिए। इस सर्वे में 77 फीसदी लोगों ने सहमति जताई कि ये जर्मनी की जिम्मेदारी है कि नरसंहार के इतिहास और नाजी तानाशाही को कभी भुलाया ना जाए।