न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी
Updated Fri, 15 Jan 2021 08:49 PM IST
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बनारस की गंगा जमुनी तहजीब के अजीम उस्ताद शायर मेयार सनेही का शुक्रवार को निधन हो गया। 84 साल की अवस्था में उन्होंने हरहुआ स्थित एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। परिजनों ने बताया कि हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ है। हिंदी और उर्दू के जाने माने शायर के अचानक चले जाने से साहित्यजगत में शोक की लहर है। शायर और कवियों ने उनके निधन पर शोक जताया। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
युवा गजलकार अभिनव अरूण ने बताया कि मेयार सनेही साहब का जन्म सात मार्च 1936 को बाराबंकी में हुआ था। साहित्यरत्न तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने गजल लेखन का अटूट सिलसिला कायम किया। उनकी गजलों की किताब ख्याल के फूल की पंक्तियां कारवां से आंधियों की छेड़ भी क्या खूब थी, होश वाले उड़ गए ओ बावले चलते रहे…बेहद पसंद की जाती थी। एक बड़े शायर के साथ-साथ एक बड़े इंसान थे। नई पीढ़ी को दिल खोलकर प्रोत्साहित करना उनका स्वभाव था। दौरे हाजिर के शोर-शराबे से हटकर उनका सादा अंदाज, उनकी अजीम शख्सियत का अहसास कराता था।
गीतकार सुरेंद्र वाजपेयी ने बताया कि सनेही साहब की गजलें रवायती ढांचे में ढली होने के बावजूद अपने अनोखे अंदाज के कारण भीड़ से अलग दिखाई देती हैं। अपने समय और समाज को बेहद सादगी और साफ गोई के साथ चित्रित करना सनेही साहब की खासियत थी। हिंदी उर्दू के लफ्जों में वो बहुत खूबसूरती से अपनी गजलों में ढालते थे। गजल का रिवायती तगज्जुल बरकरार रखते हुए निजी और घर संसार के संवेदना को अनुभव की सुई में पिरो कर शायरी का सुंदर हार बना देना कमाल का फ न तो है ही, साथ ही यह मेयार सनेही की शायराना तबियत का पुख्ता प्रमाण भी था। विगत पचास वर्षों से गजलों की अविरल धारा बहाने वाले विलक्षण शायर का जाना दुखद है। मूल रूप से उर्दू के शायर सनेही साहब की गजलों में हिंदी के लफ्जों का प्रयोग अद्भुत है।
सम्मान
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सौहार्द सम्मान, साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं की ओर से सम्मान।
पुस्तक
वतन के नाम पांच फूल और ख्याल के फूल।
बनारस की गंगा जमुनी तहजीब के अजीम उस्ताद शायर मेयार सनेही का शुक्रवार को निधन हो गया। 84 साल की अवस्था में उन्होंने हरहुआ स्थित एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। परिजनों ने बताया कि हृदय गति रुकने से उनका निधन हुआ है। हिंदी और उर्दू के जाने माने शायर के अचानक चले जाने से साहित्यजगत में शोक की लहर है। शायर और कवियों ने उनके निधन पर शोक जताया। शनिवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
युवा गजलकार अभिनव अरूण ने बताया कि मेयार सनेही साहब का जन्म सात मार्च 1936 को बाराबंकी में हुआ था। साहित्यरत्न तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने गजल लेखन का अटूट सिलसिला कायम किया। उनकी गजलों की किताब ख्याल के फूल की पंक्तियां कारवां से आंधियों की छेड़ भी क्या खूब थी, होश वाले उड़ गए ओ बावले चलते रहे…बेहद पसंद की जाती थी। एक बड़े शायर के साथ-साथ एक बड़े इंसान थे। नई पीढ़ी को दिल खोलकर प्रोत्साहित करना उनका स्वभाव था। दौरे हाजिर के शोर-शराबे से हटकर उनका सादा अंदाज, उनकी अजीम शख्सियत का अहसास कराता था।
गीतकार सुरेंद्र वाजपेयी ने बताया कि सनेही साहब की गजलें रवायती ढांचे में ढली होने के बावजूद अपने अनोखे अंदाज के कारण भीड़ से अलग दिखाई देती हैं। अपने समय और समाज को बेहद सादगी और साफ गोई के साथ चित्रित करना सनेही साहब की खासियत थी। हिंदी उर्दू के लफ्जों में वो बहुत खूबसूरती से अपनी गजलों में ढालते थे। गजल का रिवायती तगज्जुल बरकरार रखते हुए निजी और घर संसार के संवेदना को अनुभव की सुई में पिरो कर शायरी का सुंदर हार बना देना कमाल का फ न तो है ही, साथ ही यह मेयार सनेही की शायराना तबियत का पुख्ता प्रमाण भी था। विगत पचास वर्षों से गजलों की अविरल धारा बहाने वाले विलक्षण शायर का जाना दुखद है। मूल रूप से उर्दू के शायर सनेही साहब की गजलों में हिंदी के लफ्जों का प्रयोग अद्भुत है।
सम्मान
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सौहार्द सम्मान, साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं की ओर से सम्मान।
पुस्तक
वतन के नाम पांच फूल और ख्याल के फूल।
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