पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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वैवाहिक विवाद के एक मामले में पंचकूला फैमिली कोर्ट द्वारा पत्नी का अंतरिम गुजारा भत्ता 20000 से 28000 करने को सही करार देते हुए हाईकोर्ट ने इसमें दखल से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि पति का वेतन बढ़ा है तो पत्नी भी बढ़े हुए अंतरिम गुजारे भत्ते की हकदार है।
पंचकूला निवासी वरुण जगोट्टा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए पंचकूला फैमिली कोर्ट के पांच मार्च 2020 के आदेश को चुनौती दी थी। याची ने बताया कि फैमिली कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि याची का वेतन 95 हजार से बढ़कर 114000 हो गया है जो सही नहीं है। याची ने बताया कि सभी कटौतियों के बाद उसे 92175 रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं और ऐसे में 28 हजार अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश कैसे दिया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने याची की दलीलें खारिज करते हुए कहा कि रिविजन याचिका में हाईकोर्ट के दखल की संभावना बेहद कम होती है। ऐसा तब होता है जब आदेश कानून के खिलाफ या पक्षपात वाला हो। इस मामले में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता है।
एक ओर जहां पति के वेतन में इजाफा हुआ है वहीं दूसरी ओर पत्नी के घर के किराए में भी 1500 रुपये की वृद्धि हुई है। ऐसे में फैमिली कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी तथ्यों पर गौर किया है और आदेश विस्तृत है। हाईकोर्ट ने याची को किसी भी प्रकार की राहत से इनकार करते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया।
वैवाहिक विवाद के एक मामले में पंचकूला फैमिली कोर्ट द्वारा पत्नी का अंतरिम गुजारा भत्ता 20000 से 28000 करने को सही करार देते हुए हाईकोर्ट ने इसमें दखल से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि पति का वेतन बढ़ा है तो पत्नी भी बढ़े हुए अंतरिम गुजारे भत्ते की हकदार है।
पंचकूला निवासी वरुण जगोट्टा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए पंचकूला फैमिली कोर्ट के पांच मार्च 2020 के आदेश को चुनौती दी थी। याची ने बताया कि फैमिली कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि याची का वेतन 95 हजार से बढ़कर 114000 हो गया है जो सही नहीं है। याची ने बताया कि सभी कटौतियों के बाद उसे 92175 रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं और ऐसे में 28 हजार अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश कैसे दिया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने याची की दलीलें खारिज करते हुए कहा कि रिविजन याचिका में हाईकोर्ट के दखल की संभावना बेहद कम होती है। ऐसा तब होता है जब आदेश कानून के खिलाफ या पक्षपात वाला हो। इस मामले में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता है।
एक ओर जहां पति के वेतन में इजाफा हुआ है वहीं दूसरी ओर पत्नी के घर के किराए में भी 1500 रुपये की वृद्धि हुई है। ऐसे में फैमिली कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी तथ्यों पर गौर किया है और आदेश विस्तृत है। हाईकोर्ट ने याची को किसी भी प्रकार की राहत से इनकार करते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया।
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