कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला।
– फोटो : फाइल फोटो
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हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की गठबंधन सरकार राज्य की जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है। रविवार को करनाल के गांव कैमला में किसानों द्वारा मुख्यमंत्री मनोहर लाल की किसान महापंचायत का विरोध इसी की एक और तस्वीर है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार ने पंचायतों में राइट टू रिकॉल का प्रावधान किया है, उसी तरह से यदि मौजूदा समय में भाजपा-जजपा सरकार पर राइट टू रिकॉल अपनाया जाए तो यह सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आएगी।
उन्होंने किसानों के मुद्दे पर तुरंत प्रभाव से विधानसभा का सत्र बुलाने और सरकार से विश्वास मत हासिल करने की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कृषि कानूनों पर प्रदेशवासियों को गुमराह करने के लिए करनाल के गांव कैमला में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया था। इस महापंचायत को किसानों का ही समर्थन नहीं मिला। यदि मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही यह हाल है तो प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ पनपे विरोध का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। विधायक सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं और सरकार में शामिल विधायक भी उसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर सरकार में शामिल विधायकों से अपील की है कि विधायक अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनते हुए इस जनविरोधी सरकार का साथ छोड़ें, नहीं तो प्रदेशवासी उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
सरकार किसानों को तारीख पर तारीख दे रही है। 46 दिन से लाखों अन्नदाता दिल्ली की सीमाओं पर काले कानून खत्म करने की गुहार लगा रहे हैं। इस कड़कड़ाती ठंड-बारिश में 60 से अधिक किसानों ने अपना बलिदान दे दिया है। किसानों की आवाज दबाने के लिए उन पर अत्याचार किए जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। 15 जनवरी को इन कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में हरियाणा कांग्रेस द्वारा चंडीगढ़ स्थित राजभवन का घेराव किया जाएगा।
भाजपा की सरकारी महापंचायत को किसानों ने दिखाया आईना : सुरजेवाला
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के गांव कैमला में बुलाई किसान महापंचायत को सरकारी महापंचायत करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकारी महापंचायत को किसानों ने आईना दिखा दिया है। सुरजेवाला ने सरकार पर किसान अन्नदाताओं की संवेदनाओं एवं भावनाओं से खिलवाड़ कर कानून व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश करने आरोप भी लगाया।
रणदीप सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री से कहा कि सरकारी महापंचायत का ढोंग बंद करिए। अगर आपको संवाद ही करना है तो पिछले 46 दिनों से सीमाओं पर धरना दे रहे अन्नदाताओं से कीजिए। आपको शर्म आनी चाहिए कि जब आप किसान महापंचायत कर रहे हैं तो किसानों को ही रोकने का मतलब क्या है? मतलब साफ है कि आपको किसानों से सरोकार न होकर केवल कार्यक्रमों से मतलब है। तमाम कोशिशों के बावजूद कैमला में हालात जवान बनाम किसान होने से बच गए।
उन्होंने कहा कि इतिहास में पहला मौका है जब दूसरे कार्यकाल के सवा साल के भीतर मुख्यमंत्री का अपने निर्वाचन वाले जिले में इतना जोरदार विरोध हुआ है। रणदीप ने कहा कि याद रखिए, यही हाल रहा तो बिना पुलिस के आपका घर से निकलना नामुमकिन हो जाएगा। किसानों को डराइए नहीं। इनकी जिंदगी, रोजी-रोटी मत छीनिए।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार अभिमान त्याग कर तुरंत किसानों की मांगों को स्वीकार करे। उकसाने वाली भाषा का इस्तेमाल न किया जाए। प्रजातंत्र में जनभावना का सम्मान करना चाहिए। सरकार जितना जल्दी किसानों की मांग मान ले, उतना अच्छा है। उन्होंने किसानों से भी अनुरोध किया कि वे अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से अनुशासन के साथ चलाएं, जैसा पिछले डेढ़ महीने से चला रहे हैं।
प्रजातंत्र में शांति व अनुशासन से बड़ा कोई हथियार नहीं होता। दीपेंद्र ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश में ऐसी सरकार बनी है जो खेल-खिलाड़ियों के मान-सम्मान की तरफ तो असंवेदनशील है ही, उसने पदक लाओ, पद पाओ जैसी खिलाड़ियों के हित की योजनाओं को भी बंद कर दिया। सरकार युवाओं को रोजगार देने के बजाय उनका रोजगार छीनने में लगी है।
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की गठबंधन सरकार राज्य की जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है। रविवार को करनाल के गांव कैमला में किसानों द्वारा मुख्यमंत्री मनोहर लाल की किसान महापंचायत का विरोध इसी की एक और तस्वीर है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार ने पंचायतों में राइट टू रिकॉल का प्रावधान किया है, उसी तरह से यदि मौजूदा समय में भाजपा-जजपा सरकार पर राइट टू रिकॉल अपनाया जाए तो यह सरकार दोबारा सत्ता में नहीं आएगी।
उन्होंने किसानों के मुद्दे पर तुरंत प्रभाव से विधानसभा का सत्र बुलाने और सरकार से विश्वास मत हासिल करने की मांग की है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कृषि कानूनों पर प्रदेशवासियों को गुमराह करने के लिए करनाल के गांव कैमला में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया था। इस महापंचायत को किसानों का ही समर्थन नहीं मिला। यदि मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही यह हाल है तो प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में सरकार के खिलाफ पनपे विरोध का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। विधायक सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं और सरकार में शामिल विधायक भी उसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर सरकार में शामिल विधायकों से अपील की है कि विधायक अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनते हुए इस जनविरोधी सरकार का साथ छोड़ें, नहीं तो प्रदेशवासी उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे।
किसानों के साथ मजबूती से खड़ी है कांग्रेस
सरकार किसानों को तारीख पर तारीख दे रही है। 46 दिन से लाखों अन्नदाता दिल्ली की सीमाओं पर काले कानून खत्म करने की गुहार लगा रहे हैं। इस कड़कड़ाती ठंड-बारिश में 60 से अधिक किसानों ने अपना बलिदान दे दिया है। किसानों की आवाज दबाने के लिए उन पर अत्याचार किए जा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी किसानों के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। 15 जनवरी को इन कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में हरियाणा कांग्रेस द्वारा चंडीगढ़ स्थित राजभवन का घेराव किया जाएगा।
भाजपा की सरकारी महापंचायत को किसानों ने दिखाया आईना : सुरजेवाला
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के गांव कैमला में बुलाई किसान महापंचायत को सरकारी महापंचायत करार दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकारी महापंचायत को किसानों ने आईना दिखा दिया है। सुरजेवाला ने सरकार पर किसान अन्नदाताओं की संवेदनाओं एवं भावनाओं से खिलवाड़ कर कानून व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश करने आरोप भी लगाया।
रणदीप सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री से कहा कि सरकारी महापंचायत का ढोंग बंद करिए। अगर आपको संवाद ही करना है तो पिछले 46 दिनों से सीमाओं पर धरना दे रहे अन्नदाताओं से कीजिए। आपको शर्म आनी चाहिए कि जब आप किसान महापंचायत कर रहे हैं तो किसानों को ही रोकने का मतलब क्या है? मतलब साफ है कि आपको किसानों से सरोकार न होकर केवल कार्यक्रमों से मतलब है। तमाम कोशिशों के बावजूद कैमला में हालात जवान बनाम किसान होने से बच गए।
उन्होंने कहा कि इतिहास में पहला मौका है जब दूसरे कार्यकाल के सवा साल के भीतर मुख्यमंत्री का अपने निर्वाचन वाले जिले में इतना जोरदार विरोध हुआ है। रणदीप ने कहा कि याद रखिए, यही हाल रहा तो बिना पुलिस के आपका घर से निकलना नामुमकिन हो जाएगा। किसानों को डराइए नहीं। इनकी जिंदगी, रोजी-रोटी मत छीनिए।
सरकार तुरंत किसानों की मांगों को स्वीकार करे : दीपेंद्र
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार अभिमान त्याग कर तुरंत किसानों की मांगों को स्वीकार करे। उकसाने वाली भाषा का इस्तेमाल न किया जाए। प्रजातंत्र में जनभावना का सम्मान करना चाहिए। सरकार जितना जल्दी किसानों की मांग मान ले, उतना अच्छा है। उन्होंने किसानों से भी अनुरोध किया कि वे अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से अनुशासन के साथ चलाएं, जैसा पिछले डेढ़ महीने से चला रहे हैं।
प्रजातंत्र में शांति व अनुशासन से बड़ा कोई हथियार नहीं होता। दीपेंद्र ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश में ऐसी सरकार बनी है जो खेल-खिलाड़ियों के मान-सम्मान की तरफ तो असंवेदनशील है ही, उसने पदक लाओ, पद पाओ जैसी खिलाड़ियों के हित की योजनाओं को भी बंद कर दिया। सरकार युवाओं को रोजगार देने के बजाय उनका रोजगार छीनने में लगी है।
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