सुप्रीम जुर्माना: अपील दायर करने में देरी पर गुजरात सरकार को 25 हजार का फटका

सर्वोच्च न्यायालय
– फोटो : पीटीआई
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न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपील दायर करने में ‘‘ढुलमुल रवैया’’ अपनाए जाने पर राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया और उसकी याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी पीठ का हिस्सा थे।
यह होती है मंशा
पीठ ने कहा कि इस तरह के मामलों को ठंडे बस्ते में डालने की मंशा से न्यायालय में विलंब से अपील दायर की जाती है ताकि वह खारिज हो जाए और इसी आधार पर मामले को खत्म कर दिया जाए। राज्य सरकार ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा मार्च 2019 में पारित एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील 427 दिनों की देरी से दायर की थी।
न्यायालय ने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य महज औपचारिकता पूरी करना और अपने उन अधिकारियों को बचाना है जो निर्धारित प्रक्रिया को पूरा नहीं कर सके और हो सकता है कि उन्होंने ऐसा जानबूझकर किया हो।’’
सुप्रीम कोर्ट ने अदालत का समय बर्बाद करने के लिए गुजरात सरकार पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। न्यायालय ने अपील दायर करने में एक वर्ष से ज्यादा का विलंब करने पर राज्य सरकार की ‘‘निष्क्रियता और अक्षमता’’ को लेकर नाराजगी जताई।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपील दायर करने में ‘‘ढुलमुल रवैया’’ अपनाए जाने पर राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया और उसकी याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय भी पीठ का हिस्सा थे।
यह होती है मंशा
पीठ ने कहा कि इस तरह के मामलों को ठंडे बस्ते में डालने की मंशा से न्यायालय में विलंब से अपील दायर की जाती है ताकि वह खारिज हो जाए और इसी आधार पर मामले को खत्म कर दिया जाए। राज्य सरकार ने गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा मार्च 2019 में पारित एक आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील 427 दिनों की देरी से दायर की थी।
न्यायालय ने कहा, ‘‘इसका उद्देश्य महज औपचारिकता पूरी करना और अपने उन अधिकारियों को बचाना है जो निर्धारित प्रक्रिया को पूरा नहीं कर सके और हो सकता है कि उन्होंने ऐसा जानबूझकर किया हो।’’
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