सीडीएस जनरल बिपिन रावत बोेले- लद्दाख पर हमारा वर्चस्व कर्नल नरेंद्र कुमार की साहसिक यात्राओं का हिस्सा है

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 01 Jan 2021 12:24 PM IST
सीडीएस जनरल बिपिन रावत
– फोटो : एएनआई
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इसके अलावा सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि कर्नल नरेंद्र कुमार के दृढ़ संकल्प और ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने की जिद्द से हमें ऐसे स्थानों पर कब्जा करने में मदद मिली, जिनसे हमारी रक्षात्मक मुद्रा को और मजूबत करने में आसानी हुई।
बता दें कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा लहराने वाले अदम्य साहस के प्रतीक कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार (87) का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। उनकी रिपोर्ट पर ही सेना ने 13 अप्रैल, 1984 को ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाकर सियाचिन पर कब्जा बरकरार रखा था। यह दुनिया की सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में पहली कार्रवाई थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है।
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर फतह
कर्नल बुल नंदादेवी चोटी पर चढ़ने वाले पहले भारतीय थे। इसके अलावा वह माउंट एवरेस्ट, माउंट ब्लैंक और कंचनजंघा पर भी तिरंगा फहरा चुके थे। शुरुआती अभियानों में चार उंगलियां खोने के बाद भी उन्होंने इन चोटियों पर जीत हासिल की। कर्नल बुल 1965 में भारत की पहली एवरेस्ट विजेता टीम के उपप्रमुख थे। उन्होंने निकनेम ‘बुल’ हमेशा नाम के साथ लिखा। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और कीर्ति चक्र जैसे सैन्य सम्मान के अलावा पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि कर्नल बुल की रिपोर्ट्स के आधार पर ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को ऑपरेशन मेघदूत चलाने की अनुमति दी थी। इसके बाद ही भारतीय सेना सियाचीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ी। अगर यह ऑपरेशन नहीं होता तो पूरा सियाचीन पाकिस्तान के कब्जे में चला जाता।
इसके अलावा सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि कर्नल नरेंद्र कुमार के दृढ़ संकल्प और ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने की जिद्द से हमें ऐसे स्थानों पर कब्जा करने में मदद मिली, जिनसे हमारी रक्षात्मक मुद्रा को और मजूबत करने में आसानी हुई।
Our strong posturing on the Saltoro Ridge and in other areas of Ladakh are a part of his adventurous travels. His name will forever remain etched in the rich history of our Army: Chief of Defence Staff General Bipin Rawat https://t.co/8AYToH7Sxm
— ANI (@ANI) January 1, 2021
बता दें कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों पर तिरंगा लहराने वाले अदम्य साहस के प्रतीक कर्नल नरेंद्र ‘बुल’ कुमार (87) का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। उनकी रिपोर्ट पर ही सेना ने 13 अप्रैल, 1984 को ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाकर सियाचिन पर कब्जा बरकरार रखा था। यह दुनिया की सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में पहली कार्रवाई थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है।
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर फतह
कर्नल बुल नंदादेवी चोटी पर चढ़ने वाले पहले भारतीय थे। इसके अलावा वह माउंट एवरेस्ट, माउंट ब्लैंक और कंचनजंघा पर भी तिरंगा फहरा चुके थे। शुरुआती अभियानों में चार उंगलियां खोने के बाद भी उन्होंने इन चोटियों पर जीत हासिल की। कर्नल बुल 1965 में भारत की पहली एवरेस्ट विजेता टीम के उपप्रमुख थे। उन्होंने निकनेम ‘बुल’ हमेशा नाम के साथ लिखा। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और कीर्ति चक्र जैसे सैन्य सम्मान के अलावा पद्मश्री तथा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि कर्नल बुल की रिपोर्ट्स के आधार पर ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय सेना को ऑपरेशन मेघदूत चलाने की अनुमति दी थी। इसके बाद ही भारतीय सेना सियाचीन पर कब्जा करने के उद्देश्य से आगे बढ़ी। अगर यह ऑपरेशन नहीं होता तो पूरा सियाचीन पाकिस्तान के कब्जे में चला जाता।
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