साइबर क्राइम के खिलाफ जंग में देश की कमान संभाल रहे हैं ये आईपीएस अधिकारी

डॉ. मुक्तेश चंद्र, जिन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है, वे प्रधानमंत्री कार्यालय के नियंत्रण वाले एनटीआरओ में सेंटर डायरेक्टर साइबर डिविजन और नेशनल क्रिटीक इन्फॉर्नमेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर में काम कर चुके हैं।उन्होंने साइबर क्राइम डिटेक्शन, साइबर टेरेरिज्म, डिजिटल सिग्नेचर क्रिप्टोग्राफी, ई-पुलिसिंग, साइबर लॉ और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग आदि क्षेत्रों में काम किया है।
रिजर्व बैंक इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॅाजी प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ नंदकुमार सरवदे जो पूर्व आईपीएस हैं, वे साइबर सिक्योरिटी और फ्रॉड रिस्क के क्षेत्र में काम कर चुके हैं। केरल के डीजीपी लोकनाथ बेहरा, जो एनआईए के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और वे एनआईए के टेरर फाइनेंसिंग एंड फेक करेंसी स्पेशलाइज्ड सेल में काम कर चुके हैं। इन्होंने सीबीआई में रहते हुए पुरुलिया हथियार गिराने का मामला, आईसी 814 हाइजैकिंग केस, बाबरी मस्जिद गिराने का केस, मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस, मधुमिता शुक्ला मर्डर केस और हरेंद्र पांड्या केस आदि की जांच पड़ताल की है। साइबर क्राइम के तहत उन्होंने आतंकी हमले, ड्रग तस्करी, मानव तस्करी, आतंकी फंडिंग, बैंक स्कैम और तकनीकी आधारित जांच क्षेत्र में कार्य किया है।
सीआरपीएफ डीजी डॉ. एपी महेश्वरी ने इंटेलिजेंस सिक्योरिटी आर्थिक अपराध व यूपी की मानवाधिकार शाखा आदि में बेहतरीन काम किया है। सीआरपीएफ डीजी लगने से पहले वे बीएसएफ एडीजी, एसडीजी, डीजी बीपीआरएंडडी और केंद्रीय गृह मंत्रालय में स्पेशल सेक्रेटरी इंटरनल सिक्योरिटी के पद पर काम कर चुके हैं।
नगालैंड पुलिस में डीजी रैंक के आईपीएस रुपिन शर्मा ने साइबर सिक्योरिटी और ऐसे मामलों की जांच करने की दिशा में बेहतरीन काम किया है। उन्होंने सीबीआई में रहते हुए प्रत्यारोपण नीति, संयुक्त राष्ट्र संघ में शांति मिशन और नागालैंड की जेलों में सुधार किया है। उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस आशीष गुप्ता नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड के एडीजी और पीएमओ में एनर्जी और इंटरनल सिक्योरिटी के डायरेक्टर पद पर रहे हैं। कर्नाटक के एडीजीपी प्रताप रेड्डी ने नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनी साइबर सिक्योरिटी विंग में कार्य किया है। वे नेसकॉम के वरिष्ठ निदेशक रहे हैं। उन्होंने विभिन्न पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसियों की अलग अलग शाखाओं में आठ साइबर लैब स्थापित की थीं। इसके अलावा रेड्डी ने नौ हजार कर्मियों को ट्रेनिंग भी दी है।
दिल्ली पुलिस में विशेष पुलिस आयुक्त रहे डॉ. एमएम ओबरॉय, मौजूदा समय में इंटरपोल में निदेशक हैं। वे इंटरपोल के इनोवेशन सेंटर और कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए काम कर रहे हैं। एंटी टेरर ऑपरेशन के अलावा उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय में रहते हुए इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर की स्थापना में विशेष सहयोग दिया है। इससे पहले वे इंटरपोल में साइबर क्राइम के निदेशक पद पर भी काम कर चुके हैं। संजय सहाय कर्नाटक कैडर के 1989 बैच के आईपीएस हैं। उन्होंने एंटरप्राइज रिसोर्सेज प्लानिंग सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट और सिस्टम इंटीग्रेटर के लिए कार्य किया है। मध्यप्रदेश पुलिस के आईपीएस डॉ. वरुण कपूर ने देश में साइबर सिक्योरिटी जागरूकता के लिए अभियान शुरू किया है।अभी तक उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में 453 कार्यशालाएं आयोजित की हैं। दो घंटे के इंटरैक्टिव सेशन के माध्यम से उन्होंने तीन लाख से अधिक लोगों को साइबर अपराध के बारे में जागरूक किया है। कपूर ने ब्ल्यू पाम मुहिम के जरिए बीस राज्यों के पांच हजार अफसरों, छह केंद्रीय अर्धसैनिक बल और भारतीय सेना के लिए विभिन्न विशेष कोर्स आयोजित किए हैं।
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