न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 04 Jan 2021 11:53 AM IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अदार पूनावाला (फाइल फोटो)
– फोटो : Facebook
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भारत सरकार के बाद ड्रग्स कंट्रोलर ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद भविष्य की योजना क्या है, कंपनी कब और कितने समय में इसका उत्पादन करके डिलीवरी देगी इन सभी मुद्दों पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने एक समाचार पत्र से बातचीत की। बता दें कि पुणे स्थित सीआईआई ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन का निर्माण कर रहा है। पूनावाला ने बताया कि पांच करोड़ डोज वितरण के लिए तैयार हैं।
सीआईआई ने पहले ही वैक्सीन की लाखों खुराक का उत्पादन कर लिया था। यह एक तरह से जुआ था और आप इसे लेकर आशान्वित कैसे थे। इस सवाल के जवाब में पूनावाला ने कहा, हम मार्च-अप्रैल की शुरुआत में आश्वस्त नहीं थे लेकिन हम आर्थिक और तकनीकी रूप से 100 फीसदी प्रतिबद्ध थे। हमने इस पर बहुत मेहनत की थी और खुश हैं कि इसने काम किया। यह सिर्फ वित्तीय मामला नहीं है, अगर यह काम नहीं कर पाता तो हमें कुछ और करने में छह महीने लग जाते और फिर लोगों को वैक्सीन बहुत बाद में मिलती। इस तरह से यह एक बड़ी जीत है कि ड्रग्स कंट्रोलर ने इसे मंजूरी दे दी।
सीआईआई के सीईओ से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि मंजूरी मिलने में अपेक्षा से अधिक समय लगा तो उन्होंने कहा, मैं जिस तरह से पूरी प्रक्रिया में गया हूं, उसे लेकर बहुत खुश और आभारी हूं क्योंकि हम किसी को कुछ जल्दबाजी में नहीं करने देना चाहते थे। हम चाहते थे कि ड्रग्स कंट्रोलर और स्वास्थ्य मंत्रालय वास्तव में सभी डाटा को देखें, हर चीज की जांच करें, जो हमने किया है, उसकी दोहरी जांच करें कि ऑक्सफोर्ड ने जो किया है वह सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं।
यह भी पढ़ें- निजी अस्पतालों, कंपनियों को मार्च तक मिलेगी कोरोना वैक्सीन: सीरम सीईओ पूनावाला
पूनावाला से जब पूछा गया कि मंजूरी मिलने के बाद क्या होता है तो उन्होंने कहा, उन्हें (भारत सरकार) अभी भी हमारे साथ एक खरीद आदेश पर हस्ताक्षर करना है और हमें बताना है कि टीका कहां भेजना है, और उसके 7 से 10 दिन बाद, हम टीका वितरित कर सकते हैं। हमने पहले लिखित में 100 मिलियन खुराक (10 करोड़) के लिए उन्हें (सरकार) 200 रुपये की बहुत ही विशेष कीमत पेशकश की है। यह पेशकश केवल सरकार के लिए है और वो भी पहली 100 मिलियन खुराक के लिए। इसके बाद कीमत अलग हो जाएगी। निजी बाजार में वैक्सीन की एक खुराक की कीमत एक हजार रुपये होगी। हम संभवतः इसे 600-700 रुपये में बेचेंगे। विदेशों में वैक्सीन की एक खुराक की कीमत 3-5 डॉलर के बीच होगी। हालांकि हम जिन देशों के साथ समझौता करेंगे उसके आधार पर कीमतें ऊपर-नीचे हो सकती हैं। निर्यात में मार्च-अप्रैल तक का समय लग सकता है क्योंकि सरकार ने हमें उससे पहले एक्सपोर्ट करने से मना किया है।
सीआईआई के सीईओ से जब पूछा गया कि आपके पास वैक्सीन की कितनी टेस्टेड खुराक हैं तो उन्होंने कहा 50 मिलियन (पांच करोड़)। अफवाहों को लेकर उन्होंने कहा कि किसी को भी विज्ञान या तथ्यों पर सवाल उठाने का अधिकार है। लेकिन जितना अधिक हम पढ़ते हैं कि डाटा क्या होता है, इसका परीक्षण कहां किया गया है, आप कुछ विशेषज्ञों से बात करते हैं और सुनते हैं, तो समय के साथ यह विश्वास उतना ही बढ़ता जाता है कि ये टीके बहुत सुरक्षित और प्रभावी हैं। वैक्सीन लेने के लिए कोई भी किसी को मजबूर करने वाला नहीं है।
भारत सरकार के बाद ड्रग्स कंट्रोलर ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद भविष्य की योजना क्या है, कंपनी कब और कितने समय में इसका उत्पादन करके डिलीवरी देगी इन सभी मुद्दों पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला ने एक समाचार पत्र से बातचीत की। बता दें कि पुणे स्थित सीआईआई ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन का निर्माण कर रहा है। पूनावाला ने बताया कि पांच करोड़ डोज वितरण के लिए तैयार हैं।
सीआईआई ने पहले ही वैक्सीन की लाखों खुराक का उत्पादन कर लिया था। यह एक तरह से जुआ था और आप इसे लेकर आशान्वित कैसे थे। इस सवाल के जवाब में पूनावाला ने कहा, हम मार्च-अप्रैल की शुरुआत में आश्वस्त नहीं थे लेकिन हम आर्थिक और तकनीकी रूप से 100 फीसदी प्रतिबद्ध थे। हमने इस पर बहुत मेहनत की थी और खुश हैं कि इसने काम किया। यह सिर्फ वित्तीय मामला नहीं है, अगर यह काम नहीं कर पाता तो हमें कुछ और करने में छह महीने लग जाते और फिर लोगों को वैक्सीन बहुत बाद में मिलती। इस तरह से यह एक बड़ी जीत है कि ड्रग्स कंट्रोलर ने इसे मंजूरी दे दी।
सीआईआई के सीईओ से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि मंजूरी मिलने में अपेक्षा से अधिक समय लगा तो उन्होंने कहा, मैं जिस तरह से पूरी प्रक्रिया में गया हूं, उसे लेकर बहुत खुश और आभारी हूं क्योंकि हम किसी को कुछ जल्दबाजी में नहीं करने देना चाहते थे। हम चाहते थे कि ड्रग्स कंट्रोलर और स्वास्थ्य मंत्रालय वास्तव में सभी डाटा को देखें, हर चीज की जांच करें, जो हमने किया है, उसकी दोहरी जांच करें कि ऑक्सफोर्ड ने जो किया है वह सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं।
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पूनावाला से जब पूछा गया कि मंजूरी मिलने के बाद क्या होता है तो उन्होंने कहा, उन्हें (भारत सरकार) अभी भी हमारे साथ एक खरीद आदेश पर हस्ताक्षर करना है और हमें बताना है कि टीका कहां भेजना है, और उसके 7 से 10 दिन बाद, हम टीका वितरित कर सकते हैं। हमने पहले लिखित में 100 मिलियन खुराक (10 करोड़) के लिए उन्हें (सरकार) 200 रुपये की बहुत ही विशेष कीमत पेशकश की है। यह पेशकश केवल सरकार के लिए है और वो भी पहली 100 मिलियन खुराक के लिए। इसके बाद कीमत अलग हो जाएगी। निजी बाजार में वैक्सीन की एक खुराक की कीमत एक हजार रुपये होगी। हम संभवतः इसे 600-700 रुपये में बेचेंगे। विदेशों में वैक्सीन की एक खुराक की कीमत 3-5 डॉलर के बीच होगी। हालांकि हम जिन देशों के साथ समझौता करेंगे उसके आधार पर कीमतें ऊपर-नीचे हो सकती हैं। निर्यात में मार्च-अप्रैल तक का समय लग सकता है क्योंकि सरकार ने हमें उससे पहले एक्सपोर्ट करने से मना किया है।
सीआईआई के सीईओ से जब पूछा गया कि आपके पास वैक्सीन की कितनी टेस्टेड खुराक हैं तो उन्होंने कहा 50 मिलियन (पांच करोड़)। अफवाहों को लेकर उन्होंने कहा कि किसी को भी विज्ञान या तथ्यों पर सवाल उठाने का अधिकार है। लेकिन जितना अधिक हम पढ़ते हैं कि डाटा क्या होता है, इसका परीक्षण कहां किया गया है, आप कुछ विशेषज्ञों से बात करते हैं और सुनते हैं, तो समय के साथ यह विश्वास उतना ही बढ़ता जाता है कि ये टीके बहुत सुरक्षित और प्रभावी हैं। वैक्सीन लेने के लिए कोई भी किसी को मजबूर करने वाला नहीं है।
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