सरकार कब तक बेचेगी देश की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी में अपनी हिस्सेदारी? ये है लक्ष्य

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हिस्सेदारी खरीदने के लिए तीन प्रारंभिक बोलियां मिली
आदित्य बिड़ला सनलाइफ म्यूचुअल फंड द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पांडे ने कहा कि, ‘हम वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। इस पर तेजी से काम हो रहा है। फिलहाल यह जांच-पड़ताल की प्रक्रिया में है।’ सरकार को देश की दूसरी सबसे बड़ी खुदरा ईंधन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) में नियंत्रणकारी हिस्सेदारी खरीदने को लेकर तीन प्रारंभिक बोलियां मिली हैं। खनन कंपनी वेदांता ने नवंबर में बीपीसीएल में सरकार की 52.98 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने को लेकर रूचि पत्र जमा करने की पुष्टि की थी।
सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का निजीकरण एक कठिन कार्य
दो अन्य बोलीदाताओं के बारे में कहा जा रहा है कि वे वैश्विक कोष हैं। उनमें से एक अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट है। पांडे ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का निजीकरण एक कठिन कार्य है। हालांकि, जब निजी क्षेत्र पुरानी संपत्तियों के अधिग्रहण में रूचि दिखाएगा, यह कार्यक्रम सफल होगा। उन्होंने कहा कि, ‘सरकार ने अर्थव्यवस्था के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें प्रोत्साहन और पूंजी व्यय बढ़ाने जैसे उपाय शामिल हैं। इससे निजी क्षेत्र में रूचि आनी चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि वे विनिवेश प्रक्रिया में शामिल होंगे।’
इन कंपनियों की भी होगी बिक्री
पांडे ने कहा कि सरकार जब केंद्रीय लोक उपक्रमों को बेचने के लिए रूचि पत्र आमंत्रित करती है, निजी क्षेत्र को उसमें रूचि दिखानी चाहिए। सरकार पहले ही बीपीसीएल, एयर इंडिया, पवन हंस, बीईएमएल, पोत परिवहन निगम और नीलांच इस्पात निगम लिमिटेड में रणनीति बिक्री के लिए बोलियां आमंत्रित कर चुकी है। साथ ही राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआइएनएल) या विजाग स्टील की बिक्री प्रक्रिया के लिए भी मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है।
इतना है विनिवेश का लक्ष्य
भारतीय जीवनबीमा निगम (एलआईसी) में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के बारे में पांडे ने कहा कि सरकार ने अब तक यह निर्णय नहीं किया है कि इसमें कितनी हिस्सेदारी बेची जाएगी। सरकार ने 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।