पीएम मोदी
– फोटो : यूट्यूब स्क्रीनग्रैब
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शीर्ष आर्थिक विशेषज्ञों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सरकारी कंपनियों के निजीकरण की दिशा में तेजी से बढ़ने की अपील की। साथ ही उन्होंने पीएम को अंतरराष्ट्रीय पंचाटों के फैसलों को चुनौती देने से बचने और देश में ढांचागत निवेश में बढ़ोतरी करने की भी सलाह दी। अर्थशास्त्रियों ने इन सभी कदमों को निवेशकों का विश्वास लौटाने के लिए आवश्यक बताया है।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को लेकर इन आर्थिक विशेषज्ञों के साथ वर्चुअल बैठक आयोजित की। बैठक कुछ अर्थशास्त्रियों ने सरकार को आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटे पर उदार नजरिया रखने की सलाह दी। उन्होंने इसे महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पुर्नजीवित करने के लिए तात्कालिक आवश्यकता बताया। सूत्रों के अनुसार, अर्थशास्त्रियों ने सरकार से निर्यात बढ़ाने वाली नीतियां बनाने और निवेशकों का भरोसा बढ़ाने वाले कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में विभिन्न संरचनात्मक सुधारों के बावजूद निवेशक बड़े पैमाने पर भारत में नहीं आ रहे हैं।
अर्थशास्त्रियों ने पीएम को सरकारी कंपनियों के विनिवेश के लिए अलग मंत्रालय के गठन की भी सलाह दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आगामी 1 फरवरी को आम बजट पेश करने से पहले आयोजित होने के चलते इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है। पीएम के साथ बैठक में शामिल अर्थशास्त्रियों में अरविंद पनगढ़िया, केवी कामत, राकेश मोहन, शंकर आचार्य, शेखर शाह, अरविंद वीरमानी और अशोक लहरी आदि शामिल थे।
बैठक में वित्त मंत्री सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, योजना राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार व सीईओ अमिताभ कांत भी शामिल रहे।
सार
- अंतराष्ट्रीय पंचाटों के फैसलों को चुनौती देने से बचने और ढांचागत निवेश में बढ़ोतरी करने की भी की अपील
विस्तार
शीर्ष आर्थिक विशेषज्ञों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सरकारी कंपनियों के निजीकरण की दिशा में तेजी से बढ़ने की अपील की। साथ ही उन्होंने पीएम को अंतरराष्ट्रीय पंचाटों के फैसलों को चुनौती देने से बचने और देश में ढांचागत निवेश में बढ़ोतरी करने की भी सलाह दी। अर्थशास्त्रियों ने इन सभी कदमों को निवेशकों का विश्वास लौटाने के लिए आवश्यक बताया है।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को लेकर इन आर्थिक विशेषज्ञों के साथ वर्चुअल बैठक आयोजित की। बैठक कुछ अर्थशास्त्रियों ने सरकार को आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में राजकोषीय घाटे पर उदार नजरिया रखने की सलाह दी। उन्होंने इसे महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पुर्नजीवित करने के लिए तात्कालिक आवश्यकता बताया। सूत्रों के अनुसार, अर्थशास्त्रियों ने सरकार से निर्यात बढ़ाने वाली नीतियां बनाने और निवेशकों का भरोसा बढ़ाने वाले कदम उठाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में विभिन्न संरचनात्मक सुधारों के बावजूद निवेशक बड़े पैमाने पर भारत में नहीं आ रहे हैं।
अर्थशास्त्रियों ने पीएम को सरकारी कंपनियों के विनिवेश के लिए अलग मंत्रालय के गठन की भी सलाह दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आगामी 1 फरवरी को आम बजट पेश करने से पहले आयोजित होने के चलते इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है। पीएम के साथ बैठक में शामिल अर्थशास्त्रियों में अरविंद पनगढ़िया, केवी कामत, राकेश मोहन, शंकर आचार्य, शेखर शाह, अरविंद वीरमानी और अशोक लहरी आदि शामिल थे।
बैठक में वित्त मंत्री सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, योजना राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार व सीईओ अमिताभ कांत भी शामिल रहे।
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