वैक्सीन पर तकरार: कोवैक्सिन को ‘पानी’ बताने पर भड़के बायोटेक अध्यक्ष, सीरम पर किया पलटवार

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 05 Jan 2021 09:05 AM IST
भारत बायोटेक के अध्यक्ष डॉ. कृष्णा इल्ला (फाइल फोटो)
– फोटो : Twitter
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सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला का नाम लिए बिना इल्ला ने कहा, ‘हमने 200 प्रतिशत ईमानदार नैदानिक परीक्षण किए हैं और फिर भी हमारी आलोचना की जा रही है। यदि मैं गलत हूं तो हमें बताएं। कुछ कंपनियों ने हमें (हमारे टीके को) ‘पानी’ की तरह बताया है। मैं इससे इनकार करना चाहता हूं। हम वैज्ञानिक हैं। कोवैक्सीन बैकअप नहीं है। कुछ लोगों के जरिए वैक्सीन का राजनीतिकरण किया जा रहा है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।’
पूनावाला ने रविवार को टीवी पर दिए साक्षात्कार में कहा था कि केवल तीन वैक्सीन प्रभावकारी साबित हुई हैं- फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका और बाकी सिर्फ ‘पानी की तरह सुरक्षित’ हैं। इल्ला ने कहा कि अमेरिका और यूरोप ने ब्रिटेन से एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन परीक्षण डाटा को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था क्योंकि यह ‘सही’ नहीं था, लेकिन कोई भी ऑक्सफोर्ड के डाटा पर सवाल नहीं उठा रहा है।
यह भी पढ़ें- सरकार को 200 रुपये में मिलेगी कोरोना वैक्सीन, आपको चुकानी होगी कितनी रकम यहां पढ़िए
बायोटेक के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के ट्रायल के दौरान स्वयंसेवकों को शॉट से पहले पेरासिटामोल की गोली दी गई थी और यदि उनकी कंपनी ऐसा कुछ करती तो इसे भारतीय नियामकों ने अबतक बंद कर दिया होता। उन्होंने कहा, ‘हमने स्वयंसेवकों को पेरासिटामोल नहीं दिया है, इसलिए जो भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया होती है, वह 100 प्रतिशत होती है भले ही वह अच्छी हो या बुरी। यह वास्तविक समय में दर्ज किया गया है।’
इतना ही नहीं इल्ला ने दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया पर भी निशाना साधा। दरअसल, गुलेरिया ने रविवार को सुझाव दिया था कि कोवैक्सिन अन्य वैक्सीन के लिए बैकअप हो सकती है। इसपर बायोटेक के संस्थापक ने कहा, ‘यह एक वैक्सीन है। यह बैकअप नहीं है। इस तरह के बयान देने से पहले लोगों को जिम्मेदार होना चाहिए।’
उन्होंने दावा किया कि कोवैक्सिन को लेकर अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में फाइजर से ज्यादा समीक्षा की गई है। इल्ला ने कहा, ‘हम सभी (डाटा) को पारदर्शी तरीके से रखते हैं। हमने प्रत्येक समिति के सामने इसे प्रस्तुत किया और फिर हमें स्वीकृति मिली है।’
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अदार पूनावाला का नाम लिए बिना इल्ला ने कहा, ‘हमने 200 प्रतिशत ईमानदार नैदानिक परीक्षण किए हैं और फिर भी हमारी आलोचना की जा रही है। यदि मैं गलत हूं तो हमें बताएं। कुछ कंपनियों ने हमें (हमारे टीके को) ‘पानी’ की तरह बताया है। मैं इससे इनकार करना चाहता हूं। हम वैज्ञानिक हैं। कोवैक्सीन बैकअप नहीं है। कुछ लोगों के जरिए वैक्सीन का राजनीतिकरण किया जा रहा है। इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।’
पूनावाला ने रविवार को टीवी पर दिए साक्षात्कार में कहा था कि केवल तीन वैक्सीन प्रभावकारी साबित हुई हैं- फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनेका और बाकी सिर्फ ‘पानी की तरह सुरक्षित’ हैं। इल्ला ने कहा कि अमेरिका और यूरोप ने ब्रिटेन से एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन परीक्षण डाटा को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था क्योंकि यह ‘सही’ नहीं था, लेकिन कोई भी ऑक्सफोर्ड के डाटा पर सवाल नहीं उठा रहा है।
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बायोटेक के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि एस्ट्रेजेनेका-ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के ट्रायल के दौरान स्वयंसेवकों को शॉट से पहले पेरासिटामोल की गोली दी गई थी और यदि उनकी कंपनी ऐसा कुछ करती तो इसे भारतीय नियामकों ने अबतक बंद कर दिया होता। उन्होंने कहा, ‘हमने स्वयंसेवकों को पेरासिटामोल नहीं दिया है, इसलिए जो भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया होती है, वह 100 प्रतिशत होती है भले ही वह अच्छी हो या बुरी। यह वास्तविक समय में दर्ज किया गया है।’
इतना ही नहीं इल्ला ने दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया पर भी निशाना साधा। दरअसल, गुलेरिया ने रविवार को सुझाव दिया था कि कोवैक्सिन अन्य वैक्सीन के लिए बैकअप हो सकती है। इसपर बायोटेक के संस्थापक ने कहा, ‘यह एक वैक्सीन है। यह बैकअप नहीं है। इस तरह के बयान देने से पहले लोगों को जिम्मेदार होना चाहिए।’
उन्होंने दावा किया कि कोवैक्सिन को लेकर अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में फाइजर से ज्यादा समीक्षा की गई है। इल्ला ने कहा, ‘हम सभी (डाटा) को पारदर्शी तरीके से रखते हैं। हमने प्रत्येक समिति के सामने इसे प्रस्तुत किया और फिर हमें स्वीकृति मिली है।’
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