न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लुधियाना (पंजाब)
Updated Fri, 22 Jan 2021 09:20 PM IST
जो बाइडन के बुत के साथ कारोबारी चंद्रशेखर प्रभाकर।
– फोटो : अमर उजाला
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नवनियुक्त अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को अब तक भारतीय लोगों ने सिर्फ टीवी या अखबारों में ही देखा होगा लेकिन लुधियाना के 73 वर्षीय कारोबारी चंद्रशेखर प्रभाकर ने शानदार कलाकारी दिखा बाइडन की मूर्ति ही तैयार कर दी। दरअसल, बाइडन की यह मूर्ति देखकर हर कोई दंग रह जाता है। इस मूर्ति में सिर्फ जान ही नहीं है, लेकिन मूर्ति बोलते हुए प्रतीत होती है। इसे तैयार करने में लगभग छह माह का वक्त लगा। बता दें कि प्रभाकर 19 साल में 65 से अधिक मोम के बुत बना चुके हैं। इन्हें रखने के लिए बाकायदा उन्होंने एक म्यूजियम बनाया है।
कारोबारी प्रभाकर ने बताया कि बुत बनाने का काम तो काफी समय पहले से ही शुरू कर दिया था लेकिन आखिरी रूप बाइडन के चुनाव जीतने के बाद दिया गया। बुत बनाने में एक लाख रुपये का खर्च आया है। वहीं, इंग्लैंड में बनने वाले मोम के बुत की कीमत एक करोड़ रुपये तक होती है।
मैडम तुसाद के म्यूजियम से मिली प्रेरणा
प्रभाकर बताते हैं कि बचपन से उन्हें पेंटिंग का शौक था। वे कारोबार के साथ ही पेंटिंग भी करते थे। 2000 में पहली बार इग्लैंड जाने का मौका मिला। वहां मैडम तुसाद का म्यूजियम देखा। तभी सोचा की इस तरह के बुतों का निर्माण वह अपनी सरजमीं पर करेंगे। सबसे पहला बुत महात्मा गांधी का बनाया था। इसके बाद अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, बराक ओबामा, नरेंद्र मोदी, अब्दुल कलाम, जगजीत सिंह, सलमान खान, ऋतिक रोशन, ऐश्वर्या राय, मदर टेरेसा और कपिल शर्मा का भी बुत वह बना चुके हैं।
नवनियुक्त अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को अब तक भारतीय लोगों ने सिर्फ टीवी या अखबारों में ही देखा होगा लेकिन लुधियाना के 73 वर्षीय कारोबारी चंद्रशेखर प्रभाकर ने शानदार कलाकारी दिखा बाइडन की मूर्ति ही तैयार कर दी। दरअसल, बाइडन की यह मूर्ति देखकर हर कोई दंग रह जाता है। इस मूर्ति में सिर्फ जान ही नहीं है, लेकिन मूर्ति बोलते हुए प्रतीत होती है। इसे तैयार करने में लगभग छह माह का वक्त लगा। बता दें कि प्रभाकर 19 साल में 65 से अधिक मोम के बुत बना चुके हैं। इन्हें रखने के लिए बाकायदा उन्होंने एक म्यूजियम बनाया है।
कारोबारी प्रभाकर ने बताया कि बुत बनाने का काम तो काफी समय पहले से ही शुरू कर दिया था लेकिन आखिरी रूप बाइडन के चुनाव जीतने के बाद दिया गया। बुत बनाने में एक लाख रुपये का खर्च आया है। वहीं, इंग्लैंड में बनने वाले मोम के बुत की कीमत एक करोड़ रुपये तक होती है।
मैडम तुसाद के म्यूजियम से मिली प्रेरणा
प्रभाकर बताते हैं कि बचपन से उन्हें पेंटिंग का शौक था। वे कारोबार के साथ ही पेंटिंग भी करते थे। 2000 में पहली बार इग्लैंड जाने का मौका मिला। वहां मैडम तुसाद का म्यूजियम देखा। तभी सोचा की इस तरह के बुतों का निर्माण वह अपनी सरजमीं पर करेंगे। सबसे पहला बुत महात्मा गांधी का बनाया था। इसके बाद अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, बराक ओबामा, नरेंद्र मोदी, अब्दुल कलाम, जगजीत सिंह, सलमान खान, ऋतिक रोशन, ऐश्वर्या राय, मदर टेरेसा और कपिल शर्मा का भी बुत वह बना चुके हैं।
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