लाल किला हिंसा के आरोपी दीप सिद्धू की गिरफ्तारी बन गई थी गृह मंत्रालय की नाक का सवाल

कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तो सीधे तौर से केंद्र सरकार पर यह आरोप लगाया था कि इस मामले में किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची गई है। उसकी गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठने लगे। वहीं प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री के साथ सिद्धू की तस्वीरें वायरल हो गईं। सूत्रों के अनुसार, यही वो मौका था जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से बात कर सिद्धू को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे पहुंचाने की बात कही। भाजपा सांसद अनिल जैन ने कहा, दीप सिद्धू को ढाल बनाकर विपक्ष हम पर वार कर रहा था, अब वे खुद एक्सपोज हो गए हैं।
गणतंत्र दिवस पर लाल किला की घटना के बाद भी सिद्धू ने फेसबुक लाइव किया था, तब भी दिल्ली पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकी। लेकिन जब इस मामले ने राजनीतिक रंग लिया तो भाजपा को समझ आ गया कि कहीं चूक तो हुई है। मोबाइल पर जब मोदी और शाह के साथ दीप सिद्धू के फोटो वायरल हुए तो भाजपा ही नहीं, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्रालय भी सकते में आ गया। एक तरफ किसान आंदोलन के नेता दोबारा से सरकार पर हमलावर होने लगे तो दूसरी ओर विपक्ष ने खुले तौर पर कह दिया कि केंद्र सरकार ने आंदोलन को खत्म करने की साजिश रची है। जिसके बाद गृह मंत्रालय हरकत में आया और दिल्ली पुलिस आयुक्त से बातचीत की गई। स्पेशल सेल के अनुभवी एवं तेज तर्रार अफसर संजीव यादव को विशेष जिम्मेदारी दी गई। हालांकि मामले की जांच क्राइम ब्रांच के पास है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी का कहना है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस पहले से ही कार्रवाई कर रही थी। दीप सिद्धू की गिरफ्तारी पर एक लाख रुपये का इनाम भी रखा गया। उक्त अधिकारी ने माना कि त्वरित कार्रवाई में कुछ देरी तो हुई थी। जब यह बात सामने आ गई कि आंदोलन को भड़काने के पीछे या ट्रैक्टर मार्च में रुट मनमर्जी से तय करने में दीप सिद्धू का हाथ है तो उसे वहीं दबोच लेना चाहिए था। बाद में विपक्षी नेताओं ने पुलिस की इसी ढीली चाल को आधार बनाकर गृह मंत्रालय पर निशाना साधा था। किसान संगठनों के नेताओं ने भी सरकार और पुलिस पर आरोप लगा दिया कि दीप सिद्धू को जानबूझकर भगाया गया है। यह सब किसान आंदोलन को समाप्त करने की साजिश का हिस्सा था।
अधिकारी के मुताबिक, अब दीप सिद्धू की गिरफ्तारी नाक का सवाल बन चुकी थी। गृह मंत्रालय ने इसके लिए कई एजेंसियों को काम पर लगाया। जब दूसरी बार इस मामले को लेकर बैठक हुई तो दिल्ली पुलिस आयुक्त की ओर से यह आश्वासन दिया गया कि वे जल्द ही दीप सिद्धू को गिरफ्तार कर लेंगे। हालांकि मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस के अफसरों को एनटीआरओ जैसी एजेंसी की मदद की पेशकश की थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इसमें खास रूचि नहीं दिखाई। स्पेशल सेल के अधिकारी आईबी के लगातार टच में थे।
हरियाणा डीजीपी मनोज यादव, जो कि खुद लंबे समय तक आईबी में रहे हैं और उनके सहयोगी, मौजूदा सीआईडी प्रमुख व एनआईए के पूर्व आईजी आलोक मित्तल भी इस मामले पर नजर रख रहे थे। सूत्रों ने बताया कि दीप सिद्धू की गिरफ्तारी को लेकर दो दिन पहले तैयारी हो चुकी थी। आईबी के पास यह सूचना थी कि अब किसी भी वक्त दीप सिद्धू पुलिस के हाथ लग सकता है। यह अलग बात है कि इस गिरफ्तारी को कुछ लोग कथित सरेंडर बता रहे हैं।
लेकिन दीप सिद्धू की गिरफ्तारी के बाद भी कुछ सवाल अभी भी खड़े हो रहे हैं। शिवसेना सांसद संजय राउत ने दीप सिद्धू की गिरफ्तारी होने पर कहा, ‘किसान आंदोलन को बदनाम करने की बहुत बड़ी साजिश हमें लग रही थी। अब सच सामने आ जाएगा। आखिर गुनहगार तो वही था, हमने देखा है। राउत यहीं पर नहीं ठहरे, उन्होंने आगे कहा, तिरंगे का अपमान राष्ट्र का अपमान है। यह दुस्साहस कोई भी करे, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा, ये अच्छा हुआ है कि दीप सिद्धू पकड़ा गया। इसके बाद भाजपा सांसद अनिल जैन बोले, विपक्ष ने दीप सिद्धू को ढाल बनाकर भाजपा और केंद्र सरकार पर हमला बोला था। अब वे लोग एक्सपोज हो गए हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को मनगढ़ंत बात करने की आदी बता दिया। दिल्ली पुलिस अब इस मामले की निष्पक्ष जांच कर दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी।
वहीं किसान नेता दर्शनपाल ने दीप सिद्धू की गिरफ्तारी पर कहा, अब पुलिस देखे, क्या करना है। उसने रूट फॉलो नहीं किया था। हालांकि दर्शनपाल इस गिरफ्तारी पर ज्यादा खुश नजर नहीं आए। उन्होंने कहा, पुलिस ने उस वक्त दीप सिद्धू को आसानी से क्यों जाने दिया था। ऐसा कह कर उन्होंने, दिल्ली पुलिस ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के समक्ष भी एक सवाल खड़ा दिया है।