लाल किला हिंसाः पूछताछ में शामिल होने के लिए तैयार हैं किसान नेता

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सार
- राकेश टिकैत गुट के नेता भी पूछताछ में शामिल होंगे
- दिल्ली पुलिस अब तक 50 नेताओं को नोटिस भेज चुकी है
- हिंसा के समय लालकिले पर थे 10 हजार लोग
- साजिश की बात सामने आने पर देशद्रोह की धारा जोड़ी जाएगी
- रूट के हिसाब से डंप डाटा खंगाल रही है दिल्ली पुलिस
विस्तार
दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त(अपराध शाखा) प्रवीर रंजन ने बताया कि दिल्ली पुलिस से बातचीत में कुछ नेता पूछताछ में शामिल होने के तैयार हो गए हैं। उन्होंने बताया कि इनमें सिंघु बॉर्डर के सतनाम सिंह पन्नू और सरवन सिंह पंडेर व गाजीपुर पर प्रदर्शन कर रहे राकेश टिकैत गुट के कुछ नेताओं ने पूछताछ में शामिल होने के लिए हामी भर दी है। देश भर में शनिवार को हुए चक्का जाम के आह्वान के चलते ये लोग पूछताछ में शामिल नहीं हो रहे थे। दिल्ली पुलिस अभी तक पूछताछ में शामिल होने के लिए 50 से ज्यादा नेताओं को नोटिस जारी कर चुकी है।
विशेष पुलिस आयुक्त ने बताया कि लाल किला हिंसा में अगर साजिश की बात सामने आती है तो एफआईआर में देशद्रोह की धारा जोड़ी जाएगी। अभी तक दिल्ली पुलिस ने हिंसा को लेकर किसी भी एफआईआर में द्रशद्रोह की धारा नहीं जोड़ी है। डंप डाटा से पता चला है कि हिंसा के समय लालकिले पर करीब दस हजार लोग थे। ये विभिन्न बॉर्डर से आए थे। ज्यादातर आरोपियों का मोबाइल फोन पहले बॉर्डर व हिंसा के समय लालकिले पर चल रहा था।
लाल किला हिंसा में 50 आरोपियों के चेहरे सामने आए
विशेष पुलिस आयुक्त ने बताया कि लालकिले हिंसा में 50 आरोपियों की पहचान की जा चुकी है। जिन आरोपियों के चेहरे सामने आए हैं। उनमें अपने व्यक्तिगत रूप से पहचान की जा रही है कि वह कहां के रहने वाले हैं और किस बॉर्डर से लाल किले पहुंचे थे।
हिंसा के समय लालकिले पर करीब 10 हजार लोग थे
दिल्ली पुलिस अधिकारियों के अनुसार दिल्ली पुलिस ने लालकिले का 26 जनवरी को हुई हिंसा के समय का जो डंप डाटा उठाया है उसके अनुसार लालकिले पर करीब दस हजार लोग थे। इनमें आरोपियों की पहचान कई तरीके से की जा रही है। अगर किसी आरोपी का मोबाइल किसी बॉर्डर पर चल रहा था और हिंसा के समय वह लालकिले पर था तो इसका मतलब है कि आरोपी हिंसा का आरोपी है।
एफआरएस से आरोपियों के चेहरे पहचाने जा रहे हैं
दिल्ली पुलिस ने पंजाब, उत्तराखंड, उत्तरांचल, यूपी, हरियाणा व राजस्थान से लाइसेंस का पूरा डाटा मंगा लिया है। फेस रिकाग्नाईजेशन सिस्टम(एफआरएस) सिस्टम में लाईंसेस का डेटा फीड कर मौके से ली गई वीडियो फुटेज से आरोपियों की पहचान की जा रही है। इस तरह से काफी लोगों की पहचान की जा रही है। डंप डाटा से भी इन चेहरे को वेरीफाई किया जा रहा है। विशेष पुलिस आयुक्त प्रवीर रंजन ने बताया कि गुजरात फोरेंसिक यूनिवर्सिटी की टीमें आधुनिक साफ्टवेयर से आरोपियों की एफआरएस से पहचान कर रही है। साफ्टवेयर से आरोपियों की जल्द पहचान हो रही है।
काफी कॉमन नंबर मिल रहे हैं
दिल्ली पुलिस डंप डाटा भी रूट के हिसाब से देख रही है। एक रूट गाजीपुर से आईटीओ लालकिले, दूसरा सिंघु से मुकरबा चौक- लाल किले व तीसरा टीकरी बॉर्डर से नांगलोई से नजफगढ़ बनाया गया है। गाजीपुर बॉर्डर से लालकिले तक करीब 2200 लोगों का डंप डाटा मिला है। सिंघु बॉर्डर से करीब आठ हजार लोगों को डंप डाटा मिला है। इस तरह अन्य बॉर्डर से भी डाटा मिले है। इनमें काफी नंबर कॉमन है। जैसे कुछ नंबर बॉर्डर पर चल रहे थे वह हिंसा के समय लालकिले व अन्य हिंसा स्थलों पर चल रहे थे।
डंप डाटा से तीन तरीके से हो रही है पहचान
पहला चरण- डंप डाटा खंगाला जा रहा है।
दूसरा चरण- डंप डाटा मोबाइल नंबर को सीडीआर व उनकी कैप(मोबाइल इस्तेमाल करने वाले की पूरी डिटेल) मंगाई जा रही है।
तीसरा चरण- मोबाइल की कैप व कैप में दिए गए फोटो को एफआरएस से वीडिया व फुटेज से मिलान किया जा रहा है। मिलान होने पर उनकी व्यक्तिगत रूप से पहचान की जा रही है। इस तीन चरण के सिस्टम से काफी आरोपियों के चेहरे पुलिस के पास आ गए हैं।