छावनी बना एक्सपो मार्ट
– फोटो : अमर उजाला।
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सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम, निवेश एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में भदोही के कालीन उद्योग की अहम भूमिका रही है। लेकिन, पिछली सरकारों ने इस उद्योग को हाशिए पर रखा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने सत्ता संभालने के बाद इस उद्योग को बढ़ाने के प्रयास शुरू किए, जिससे आज उत्तर प्रदेश में कारपेट का निर्यात 5000 करोड़ रुपये पहुंचा है। इसमें से 4000 करोड़ रुपये का निर्यात केवल भदोही से ही किया जा रहा है। मुख्यमंत्री 31 दिसंबर को 7.5 एकड़ क्षेत्र में 180 करोड़ रुपये लागत से निर्मित भदोही कालीन बाजार का शुभारंभ करेंगे।
सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाने में भदोही के कारपेट की बड़ी भूमिका है। भदोही के कारपेट को वैश्विक बाजार में पहचान दिलाने के लिए ‘भदोही कारपेट बाजार’ की स्थापना की गई है।
इस कारपेट बाजार के माध्यम से स्थानीय उद्यमी, कारोबारी अपने उत्पादों की बिक्री और प्रदर्शन कर सकेंगें। साथ ही देश-विदेश के खरीदारों और स्थानीय कालीन निर्माताओं को एक ही छत के नीचे व्यापार के अवसर सुलभ होंगे। इससे भदोही के कालीन उद्योग को नया आयाम भी मिलेगा।
सिंह ने बताया कि तीन मंजिला कारपेट बाजार में उद्यमियों के लिए 94 दुकानें उपलब्ध होंगी। इसमें शापिंग मार्ट, म्यूजियम, स्माल शॉप, एग्जीविशन हॉल, स्टाफ क्वार्टर और गेस्ट हाउस की भी व्यवस्था होगी। शापिंग मार्ट के माध्यम से स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को अपने चुनिंदा उत्पाद बेचने का अवसर मिलेगा। प्रदर्शनी हाल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी। इससे स्थानीय कारीगरों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
प्रदेश के कुल कालीन उत्पादन का 95 प्रतिशत अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन आदि देशों में निर्यात किया जाता है। कारपेट की बढ़ती वैश्विक मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) कार्यक्रम में भदोही के कारपेट को शामिल किया है।
इसके माध्यम से कालीन उद्यमियों, हस्तशिल्पियों और करीगरों को वित पोषण, बिक्री, डिजाइन विकास, कच्चा माल, बैंक ऋण आदि की सहायता प्रदान की जा रही है। सिद्धार्थ ने कहा कि इसके अलावा भदोही में ओडीओपी के तहत सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) स्थापित कराई जाएगी। सीएफसी की स्थापना से उद्यमियों को स्थानीय स्तर पर यार्न (धागा) उपलब्ध होगा, जो अब तक देश के अन्य राज्यों या देशों से आयात किया जाता है।
सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम, निवेश एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में भदोही के कालीन उद्योग की अहम भूमिका रही है। लेकिन, पिछली सरकारों ने इस उद्योग को हाशिए पर रखा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने सत्ता संभालने के बाद इस उद्योग को बढ़ाने के प्रयास शुरू किए, जिससे आज उत्तर प्रदेश में कारपेट का निर्यात 5000 करोड़ रुपये पहुंचा है। इसमें से 4000 करोड़ रुपये का निर्यात केवल भदोही से ही किया जा रहा है। मुख्यमंत्री 31 दिसंबर को 7.5 एकड़ क्षेत्र में 180 करोड़ रुपये लागत से निर्मित भदोही कालीन बाजार का शुभारंभ करेंगे।
सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाने में भदोही के कारपेट की बड़ी भूमिका है। भदोही के कारपेट को वैश्विक बाजार में पहचान दिलाने के लिए ‘भदोही कारपेट बाजार’ की स्थापना की गई है।
इस कारपेट बाजार के माध्यम से स्थानीय उद्यमी, कारोबारी अपने उत्पादों की बिक्री और प्रदर्शन कर सकेंगें। साथ ही देश-विदेश के खरीदारों और स्थानीय कालीन निर्माताओं को एक ही छत के नीचे व्यापार के अवसर सुलभ होंगे। इससे भदोही के कालीन उद्योग को नया आयाम भी मिलेगा।
सिंह ने बताया कि तीन मंजिला कारपेट बाजार में उद्यमियों के लिए 94 दुकानें उपलब्ध होंगी। इसमें शापिंग मार्ट, म्यूजियम, स्माल शॉप, एग्जीविशन हॉल, स्टाफ क्वार्टर और गेस्ट हाउस की भी व्यवस्था होगी। शापिंग मार्ट के माध्यम से स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को अपने चुनिंदा उत्पाद बेचने का अवसर मिलेगा। प्रदर्शनी हाल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी। इससे स्थानीय कारीगरों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
प्रदेश के कुल कालीन उत्पादन का 95 प्रतिशत अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन आदि देशों में निर्यात किया जाता है। कारपेट की बढ़ती वैश्विक मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) कार्यक्रम में भदोही के कारपेट को शामिल किया है।
इसके माध्यम से कालीन उद्यमियों, हस्तशिल्पियों और करीगरों को वित पोषण, बिक्री, डिजाइन विकास, कच्चा माल, बैंक ऋण आदि की सहायता प्रदान की जा रही है। सिद्धार्थ ने कहा कि इसके अलावा भदोही में ओडीओपी के तहत सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) स्थापित कराई जाएगी। सीएफसी की स्थापना से उद्यमियों को स्थानीय स्तर पर यार्न (धागा) उपलब्ध होगा, जो अब तक देश के अन्य राज्यों या देशों से आयात किया जाता है।
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