अमर उजाला नेटवर्क, सोनभद्र
Updated Sat, 23 Jan 2021 12:53 AM IST
सिलिमेनाइट, यूरेनियम।
– फोटो : अमर उजाला।
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बालू, पत्थर, कोयला, बिजली से पहचान बनाने वाले सोनांचल को अब यूरेनियम नई पहचान दिलाएगा। करीब 22 साल पहले हुए सर्वेक्षण में यूरेनियम की मौजूदगी के संकेत मिले थे। उसके बाद कई बार जीएसआई की टीम ने अलग-अलग स्थानों पर सर्वे किया। सभी सर्वे में भू-गर्भ वैज्ञानिकों ने यूरेनियम होने की प्रबल संभावना जताई। ऐसी स्थिति में जगह-जगह खोदाई करके पुष्टि करने की भी कवायद चल रही है। फरवरी के अंतिम सप्ताह या मार्च के प्रथम सप्ताह तक यहां परमाणु खनिज अन्वेषण व अनुसंधान निदेशालय की टीम यहां आ सकती है। उम्मीद है कि यह टीम इस बार यूरेनियम की खोज को मुकाम देगी।
खनिज विभाग के अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि जिले में स्वर्ण अयस्क के साथ ही यूरेनियम, लेड सहित अन्य कई खनिज अयस्क की मौजूदगी है। यूरेनियम होने के संकेत 1998 में ही हुए सर्वे के दौरान मिले थे। यह सर्वे 2012 तक चला था। बाद में दूसरी टीम ने भी सर्वे किया और इस बात की प्रबल संभावना जताई कि कोन ब्लाक के हरदी सहित दो अन्य स्थानों पर यूरेनियम की मौजूदगी है। 2009 से सर्वेक्षण करने वाले यहां खोदाई भी कर रहे हैं। इलाके के कई स्थानों पर इसकी खोज भी की जा चुकी है, लेकिन अभी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ है। यहां काम करने वाले कर्मी कुछ भी बोलने से इनकार करते हैं।
म्योरपुर से लेकर कोन तक हुआ था हवाई सर्वे
यूरेनियम का पता लगाने के लिए समय-समय पर होने वाले सर्वे के आधार पर ही यहां भू-गर्भ वैज्ञानिकों की टीम आती है। बीते वर्ष जनवरी में आई जीएसआई व एमडीईआर की टीम ने सोनभद्र के म्योरपुर से लेकर चोपन, कोन तक एरो मैग्नेटिक सिस्टम से हवाई सर्वे किया था। इसमें पता चला था कि कुदरी और हरदी क्षेत्र में यूरेनियम है। हालांकि मात्रा कितनी है, यह जांच होनी है। अगर मात्रा ठीक रही तो खनन के लिए कार्रवाई शुरू कराई जा सकती है।
बभनी ब्लाक में कोयले का हुआ है सर्वेक्षण
सोनभद्र में खनन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बभनी ब्लाक के छत्तीसगढ़ सीमा से सटे अघौरा पहाड़ी, छिपिया आदि स्थानों पर कोयले का भंडार होने की संभावना है। वर्ष 2005 से 2017 के बीच जीएसआई की टीम ने यहां सर्वेक्षण किया था।
बालू, पत्थर, कोयला, बिजली से पहचान बनाने वाले सोनांचल को अब यूरेनियम नई पहचान दिलाएगा। करीब 22 साल पहले हुए सर्वेक्षण में यूरेनियम की मौजूदगी के संकेत मिले थे। उसके बाद कई बार जीएसआई की टीम ने अलग-अलग स्थानों पर सर्वे किया। सभी सर्वे में भू-गर्भ वैज्ञानिकों ने यूरेनियम होने की प्रबल संभावना जताई। ऐसी स्थिति में जगह-जगह खोदाई करके पुष्टि करने की भी कवायद चल रही है। फरवरी के अंतिम सप्ताह या मार्च के प्रथम सप्ताह तक यहां परमाणु खनिज अन्वेषण व अनुसंधान निदेशालय की टीम यहां आ सकती है। उम्मीद है कि यह टीम इस बार यूरेनियम की खोज को मुकाम देगी।
खनिज विभाग के अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि जिले में स्वर्ण अयस्क के साथ ही यूरेनियम, लेड सहित अन्य कई खनिज अयस्क की मौजूदगी है। यूरेनियम होने के संकेत 1998 में ही हुए सर्वे के दौरान मिले थे। यह सर्वे 2012 तक चला था। बाद में दूसरी टीम ने भी सर्वे किया और इस बात की प्रबल संभावना जताई कि कोन ब्लाक के हरदी सहित दो अन्य स्थानों पर यूरेनियम की मौजूदगी है। 2009 से सर्वेक्षण करने वाले यहां खोदाई भी कर रहे हैं। इलाके के कई स्थानों पर इसकी खोज भी की जा चुकी है, लेकिन अभी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ है। यहां काम करने वाले कर्मी कुछ भी बोलने से इनकार करते हैं।
म्योरपुर से लेकर कोन तक हुआ था हवाई सर्वे
यूरेनियम का पता लगाने के लिए समय-समय पर होने वाले सर्वे के आधार पर ही यहां भू-गर्भ वैज्ञानिकों की टीम आती है। बीते वर्ष जनवरी में आई जीएसआई व एमडीईआर की टीम ने सोनभद्र के म्योरपुर से लेकर चोपन, कोन तक एरो मैग्नेटिक सिस्टम से हवाई सर्वे किया था। इसमें पता चला था कि कुदरी और हरदी क्षेत्र में यूरेनियम है। हालांकि मात्रा कितनी है, यह जांच होनी है। अगर मात्रा ठीक रही तो खनन के लिए कार्रवाई शुरू कराई जा सकती है।
बभनी ब्लाक में कोयले का हुआ है सर्वेक्षण
सोनभद्र में खनन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि बभनी ब्लाक के छत्तीसगढ़ सीमा से सटे अघौरा पहाड़ी, छिपिया आदि स्थानों पर कोयले का भंडार होने की संभावना है। वर्ष 2005 से 2017 के बीच जीएसआई की टीम ने यहां सर्वेक्षण किया था।
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