भाजपा सासंद और विधायक।
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में विकास योजनाओं को गति देने व रूपरेखा तय करने के लिए बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में दिशा की बैठक में बैरिया विधायक व बलिया सांसद आमने-सामने हो गए। समर्थकों को बैठक में शामिल करने के लिए दोनों के बीच झड़प भी हो गई। विधायक ने बैठक का बहिष्कार भी कर दिया। हंगामा के कारण मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल भी बैठक को छोड़ चले गए।
कलेक्ट्रेट सभागार में बुधवार को हो रही दिशा की बैठक भाजपा के दो नेताओं की महात्वाकांक्षा की भेंट चढ़ गई। भारतीय जनता पार्टी का आंतरित लोकतंत्र उस वक्त तार-तार होता दिखा जब जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के लिए निर्धारित दिशा की बैठक में बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त और भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के बीच समर्थकों को बैठाने को लेकर तीखीं नोकझोंक हो गई। मामला बढ़ता देश पुलिस ने विधायक समर्थकों को सभागार से बाहर कर दिया।
के बाद मामला और सुर्ख होने लगा। बैठक से निकाले गए विधायक समर्थक, सांसद मस्त के एक समर्थक को बैठक से निकालने की जिद पर अड़ गए और नारेबाजी करने लगे। मामला बिगड़ा देख जिलाधिकारी श्रीहरिप्रताप शाही और पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन ताडा ने लोगों को समझाने की कोशिश की। इसी बीच बैठक में मौजूद प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य व ग्राम्य विकास मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल बैठक से उठकर चले गए।
इसके कुछ देर बाद ही बैरिया से भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह भी तमतमाए चेहरे के साथ बैठक के बहिष्कार का ऐलान करते हुए सांसद मस्त पर मनमानी करने का आरोप लगाया। उन्होंने सांसद पर पद का दुरुपयोग करने की बात कही। विधायक ने डीएम को भी निशाने पर लिया। वहीं बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने विधायक सुरेंद्र सिंह पर अराजकता फैलाने और बैठक में अधिकारियों पर दबाव बनाकर गलत कार्य कराने का आरोप लगाया।
विधायक द्वारा बैठक का बहिष्कार करने को ड्रामा बताया। सांसद ने कहा कि बैठक न हो इसके लिए विधायक द्वारा अराजकता फैलाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि विधायक मुझे नहीं समझा सकते कि दिशा के बैठक की अध्यक्षता कैसे करनी है। सांसद मस्त ने कहा है कि विधायक सुरेंद्र सिंह कई राजनीतिक दलों, मसलन कांग्रेस व द्वाबा मंच सहित कई पार्टियों में जा चुके हैं। वे पूर्व में बहुजन समाज पार्टी का समर्थन भी कर चुके हैं।
हालांकि अब वे भाजपा से विधायक हैं, लेकिन उन्हें पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र से कोई मतलब नहीं है। इस घटना से यह तय हो गया कि बीजेपी देश में भले ही एकजुट हो, लेकिन जिले में हुए बवाल को देखकर यह कहा जा सकता है कि बीजेपी में वर्चस्व की लड़ाई आने वाले समय में पार्टी के लिए बड़ा सिर दर्द साबित हो सकती है।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में विकास योजनाओं को गति देने व रूपरेखा तय करने के लिए बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में दिशा की बैठक में बैरिया विधायक व बलिया सांसद आमने-सामने हो गए। समर्थकों को बैठक में शामिल करने के लिए दोनों के बीच झड़प भी हो गई। विधायक ने बैठक का बहिष्कार भी कर दिया। हंगामा के कारण मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल भी बैठक को छोड़ चले गए।
कलेक्ट्रेट सभागार में बुधवार को हो रही दिशा की बैठक भाजपा के दो नेताओं की महात्वाकांक्षा की भेंट चढ़ गई। भारतीय जनता पार्टी का आंतरित लोकतंत्र उस वक्त तार-तार होता दिखा जब जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के लिए निर्धारित दिशा की बैठक में बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त और भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के बीच समर्थकों को बैठाने को लेकर तीखीं नोकझोंक हो गई। मामला बढ़ता देश पुलिस ने विधायक समर्थकों को सभागार से बाहर कर दिया।
के बाद मामला और सुर्ख होने लगा। बैठक से निकाले गए विधायक समर्थक, सांसद मस्त के एक समर्थक को बैठक से निकालने की जिद पर अड़ गए और नारेबाजी करने लगे। मामला बिगड़ा देख जिलाधिकारी श्रीहरिप्रताप शाही और पुलिस अधीक्षक डॉ विपिन ताडा ने लोगों को समझाने की कोशिश की। इसी बीच बैठक में मौजूद प्रदेश सरकार के संसदीय कार्य व ग्राम्य विकास मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल बैठक से उठकर चले गए।
इसके कुछ देर बाद ही बैरिया से भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह भी तमतमाए चेहरे के साथ बैठक के बहिष्कार का ऐलान करते हुए सांसद मस्त पर मनमानी करने का आरोप लगाया। उन्होंने सांसद पर पद का दुरुपयोग करने की बात कही। विधायक ने डीएम को भी निशाने पर लिया। वहीं बीजेपी सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने विधायक सुरेंद्र सिंह पर अराजकता फैलाने और बैठक में अधिकारियों पर दबाव बनाकर गलत कार्य कराने का आरोप लगाया।
विधायक द्वारा बैठक का बहिष्कार करने को ड्रामा बताया। सांसद ने कहा कि बैठक न हो इसके लिए विधायक द्वारा अराजकता फैलाने की कोशिश की गई। उन्होंने कहा कि विधायक मुझे नहीं समझा सकते कि दिशा के बैठक की अध्यक्षता कैसे करनी है। सांसद मस्त ने कहा है कि विधायक सुरेंद्र सिंह कई राजनीतिक दलों, मसलन कांग्रेस व द्वाबा मंच सहित कई पार्टियों में जा चुके हैं। वे पूर्व में बहुजन समाज पार्टी का समर्थन भी कर चुके हैं।
हालांकि अब वे भाजपा से विधायक हैं, लेकिन उन्हें पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र से कोई मतलब नहीं है। इस घटना से यह तय हो गया कि बीजेपी देश में भले ही एकजुट हो, लेकिन जिले में हुए बवाल को देखकर यह कहा जा सकता है कि बीजेपी में वर्चस्व की लड़ाई आने वाले समय में पार्टी के लिए बड़ा सिर दर्द साबित हो सकती है।
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