न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मिर्जापुर
Updated Sun, 17 Jan 2021 11:54 PM IST
धरने पर बैठे भोलानाथ
– फोटो : अमर उजाला
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मिर्जापुर जिले की मड़िहान तहसील के अमोई गांव के निवासी भोला सिंह के मामले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है। सीएम ने शासन के इंटरनेट मीडिया लखनऊ के माध्यम से जिलाधिकारी को निर्देशित किया हैं कि पूरे प्रकरण की जांच कराई जाय।
अगर भोला जीवित हैं तो उनके नाम को खतौनी में दर्ज किया जाय। जो भी इस मामले में दोषी अधिकारी या कर्मचारी हो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। उन्होंने एक सप्ताह के अंदर जांच कर कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने को कहा है।
भोला सिंह शनिवार को जिला मुख्यालय पर धरने पर बैठकर अपने को जीवित रहने का प्रमाण पत्र मांग रहे थे। इसको ‘अमर उजाला’ ने रविवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। भोला सिंह पिछले 15 सालों से शासन प्रशासन के पास पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। बताया कि वे सदर तहसील के अमोई गांव के रहने वाले हैं और दो भाई हैं। पहले वे हैं दूसरे राजनारायण हैं।
बताया कि 24 दिसंबर 1999 में राजस्व निरीक्षक और लेखपाल अमोई ने उन्हें अपनी रिपोर्ट में मृत दिखाकर उनके भाई राजनारायण का नाम खतौनी में चढ़ा दिया था। इसके बाद उनके भाई ने जमीन पर कब्जा करते हुए 27 बिस्वा में से दस बिस्वा भूमि बेच दी। इसकी जानकारी होने पर जब उन्होंने विरोध जताया तो उनके भाई ने कहा कि सारी भूमि उनकी है। भोला का कुछ नहीं है।
इसकी शिकायत शासन व प्रशासन के अधिकारियों से की तो वे मामले को टालते रहे और जांच नहीं की। इसके चलते पिछले 15 साल से उनका मामला न्यायालय में भी चल रहा है। वे तारीख पर भी जाते हैं और तहसीलदार के सामने बयान भी देते हैं। यही नहीं तहसीलदार के सामने जाकर अपने को जीवित बताते हैं फिर भी वे ध्यान नहीं देते हैं।
थाने में भी राजस्व निरीक्षक और लेखपाल के खिलाफ तहरीर देकर फर्जी तरीके से उनको मृत दिखाकर मेरा नाम काटकर खतौनी में मेरे भाई का नाम चढ़ाने के आरोप में मुकदमा पंजीकृत करने की मांग की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। भोला सिंह के मामले को पूर्व में कई बार उठाया चुका है। जब मुख्यमंत्री ने मामले को संज्ञान लिया हैं तो सारे अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
मिर्जापुर जिले की मड़िहान तहसील के अमोई गांव के निवासी भोला सिंह के मामले का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लिया है। सीएम ने शासन के इंटरनेट मीडिया लखनऊ के माध्यम से जिलाधिकारी को निर्देशित किया हैं कि पूरे प्रकरण की जांच कराई जाय।
अगर भोला जीवित हैं तो उनके नाम को खतौनी में दर्ज किया जाय। जो भी इस मामले में दोषी अधिकारी या कर्मचारी हो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। उन्होंने एक सप्ताह के अंदर जांच कर कार्रवाई की रिपोर्ट भेजने को कहा है।
भोला सिंह शनिवार को जिला मुख्यालय पर धरने पर बैठकर अपने को जीवित रहने का प्रमाण पत्र मांग रहे थे। इसको ‘अमर उजाला’ ने रविवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था। भोला सिंह पिछले 15 सालों से शासन प्रशासन के पास पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं। बताया कि वे सदर तहसील के अमोई गांव के रहने वाले हैं और दो भाई हैं। पहले वे हैं दूसरे राजनारायण हैं।
बताया कि 24 दिसंबर 1999 में राजस्व निरीक्षक और लेखपाल अमोई ने उन्हें अपनी रिपोर्ट में मृत दिखाकर उनके भाई राजनारायण का नाम खतौनी में चढ़ा दिया था। इसके बाद उनके भाई ने जमीन पर कब्जा करते हुए 27 बिस्वा में से दस बिस्वा भूमि बेच दी। इसकी जानकारी होने पर जब उन्होंने विरोध जताया तो उनके भाई ने कहा कि सारी भूमि उनकी है। भोला का कुछ नहीं है।
इसकी शिकायत शासन व प्रशासन के अधिकारियों से की तो वे मामले को टालते रहे और जांच नहीं की। इसके चलते पिछले 15 साल से उनका मामला न्यायालय में भी चल रहा है। वे तारीख पर भी जाते हैं और तहसीलदार के सामने बयान भी देते हैं। यही नहीं तहसीलदार के सामने जाकर अपने को जीवित बताते हैं फिर भी वे ध्यान नहीं देते हैं।
थाने में भी राजस्व निरीक्षक और लेखपाल के खिलाफ तहरीर देकर फर्जी तरीके से उनको मृत दिखाकर मेरा नाम काटकर खतौनी में मेरे भाई का नाम चढ़ाने के आरोप में मुकदमा पंजीकृत करने की मांग की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। भोला सिंह के मामले को पूर्व में कई बार उठाया चुका है। जब मुख्यमंत्री ने मामले को संज्ञान लिया हैं तो सारे अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
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