महाराष्ट्र सरकार का बड़ा कदम, दुर्लभ प्राणी पैंगोलीन को मिलेगा सुरक्षा कवच

अमर उजाला नेटवर्क, मुंबई
Updated Fri, 01 Jan 2021 10:37 PM IST
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दरअसल, पैंगोलीन प्रजाति वन जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में शामिल है। लेकिन इस प्रजाति के अस्तित्व का बड़ा संकट पैदा हो गया है। पैंगोलीन एक ऐसा जानवर है जिसकी दुनिया में सबसे ज्यादा अवैध तस्करी होती है। बताते दें कि चीन और वियतनाम में इसका मांस बड़े चाव से खाया जाता है और दवाईयों में भी इसका उपयोग होता है।
एक दिन पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में राज्य वन जीव मंडल की 15वीं बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें पैंगोलीन के संरक्षण और संवर्धन पर चर्चा की गई। इसके बाद पैंगोलीन के संरक्षण के लिए अध्ययन समूह गठित करने का निर्णय लिया गया।
इस अध्ययन समूह में उपवन संरक्षक दीपक खाडे, राज्य वन जीव मंडल के सदस्य विश्वास काटदरे, एनआईडीयूएस के निदेशक डॉ. वरद बी गिरी, सेंट्रल इंडिया वाइल्डलाईफ प्रोटेक्सन सोसायटी ऑफ इंडिया के निदेशक नितिन देसाई आदि शामिल हैं। इसके अलावा सातारा के उप वन संरक्षक डॉ. वी एस हाडा अध्ययन समूह के सदस्य सचिव होंगे।
क्या है पैंगोलीन की खासियत
पैंगोलीन देखने में छोटा सा डायनासोर जैसा प्रतीत होता है। शर्मीले स्वभाव का यह जीव गहरे-भूरे, पीले-भूरे अथवा रेतीले रंग का होता है जिसकी लंबाई करीब दो मीटर होती है। जबकि इसका वजन 35 किग्रा तक होता है। इसके शरीर पर शल्क होता है इसलिए इसे वज्रशल्क के नाम से भी जानते हैं। अस्सी के दशक के बाद इस प्रजाति की संख्या तेजी से घटी है जिससे यह विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है।
दरअसल, पैंगोलीन प्रजाति वन जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 में शामिल है। लेकिन इस प्रजाति के अस्तित्व का बड़ा संकट पैदा हो गया है। पैंगोलीन एक ऐसा जानवर है जिसकी दुनिया में सबसे ज्यादा अवैध तस्करी होती है। बताते दें कि चीन और वियतनाम में इसका मांस बड़े चाव से खाया जाता है और दवाईयों में भी इसका उपयोग होता है।
एक दिन पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में राज्य वन जीव मंडल की 15वीं बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें पैंगोलीन के संरक्षण और संवर्धन पर चर्चा की गई। इसके बाद पैंगोलीन के संरक्षण के लिए अध्ययन समूह गठित करने का निर्णय लिया गया।
इस अध्ययन समूह में उपवन संरक्षक दीपक खाडे, राज्य वन जीव मंडल के सदस्य विश्वास काटदरे, एनआईडीयूएस के निदेशक डॉ. वरद बी गिरी, सेंट्रल इंडिया वाइल्डलाईफ प्रोटेक्सन सोसायटी ऑफ इंडिया के निदेशक नितिन देसाई आदि शामिल हैं। इसके अलावा सातारा के उप वन संरक्षक डॉ. वी एस हाडा अध्ययन समूह के सदस्य सचिव होंगे।
क्या है पैंगोलीन की खासियत
पैंगोलीन देखने में छोटा सा डायनासोर जैसा प्रतीत होता है। शर्मीले स्वभाव का यह जीव गहरे-भूरे, पीले-भूरे अथवा रेतीले रंग का होता है जिसकी लंबाई करीब दो मीटर होती है। जबकि इसका वजन 35 किग्रा तक होता है। इसके शरीर पर शल्क होता है इसलिए इसे वज्रशल्क के नाम से भी जानते हैं। अस्सी के दशक के बाद इस प्रजाति की संख्या तेजी से घटी है जिससे यह विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है।
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