महाराष्ट्र: उद्धव ठाकरे ने आठ साल पहले देखा था सपना, अब हो रहा है साकार

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
– फोटो : पीटीआई
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आठ साल पहले साल 2012 में अरब सागर के तट से होते हुए समुद्री मार्ग बनाने का सपना देखा था। जो अब साकार होने वाला है। सोमवार को अरब सागर के तट पर दो महासुरंग बनाने के लिए खुदाई का शुभारंभ करते हुए खुद उद्धव ठाकरे ने यह बात कही।
साल 2012 में हमने समुद्री मार्ग की संकल्पना की थी। भविष्य में मुंबई की केवल सी लिंक के रुप में पहचान न हो इसलिए समुद्री मार्ग में सुरंग बनाने का निर्णय लिया गया। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने समुद्री मार्ग के लिए अच्छी कार्ययोजना तैयार की थी और निर्माण कार्य भी जोरशोर से शुरू किया था। इस बीच वैश्किव कोरोना महामारी के चलते कई काम रूक गए लेकिन समुद्री मार्ग का काम जारी रहा। महासुरंग की खुदाई प्रियदर्शिनी पार्क से की गई जो नेताजी सुभाष मार्ग से सटे (मरीन लाइंस) छोटा चौपाटी तक करीब साढे तीन किलोमीटर तक रहेगी।
क्या है समुद्री मार्ग की परिकल्पना
दक्षिण मुंबई के मरीन लाइंस से शुरू होकर समुद्र के किनारे कुल आठ लेने की यह सड़क गिरगांव चौपाटी के पास तक जाएगी। उसके बाद गाड़ियां सुरंग से होकर गुजरेगी और पेडर रोड जैसे व्यस्ततम इलाके को पार कर वरली सी लिंक पहुंचेगी। कुल 10 किलोमीटर की इस सड़क पर करीब ढाई किलोमीटर चार लेन की सुरंग बनेगी। इससे गिरगांव चौपाटी का स्वरूप भी बरकार रहेगा। विश्वस्तरीय सलाहकारों की मदद से बन रही समुद्री मार्ग में बेहतर तकनीकों का भी इस्तेमाल होगा। यदि सुरंग के अंदर तेल के टैंकर में आग लगी तो उसे बुझाने की पूरी व्यवस्था होगी।
समुद्री मार्ग परियोजना में 12000 करोड़ लागत का अनुमान
मुंबई के समुद्री मार्ग की परियोजना में कुल 12 हजार करोड़ रुपये की लागत आने की संभावना है। यह शहर के पश्चिमी भाग में समुद्र को पाटकर बनाई जाने वाली परियोजना है। इसका विस्तार मरीन लाइंस से उत्तर के कांदिवली इलाके तक होगी जिसमें आठ लेन का 29.2 किलोमीटर का लंबा फ्री वे होगा। पहले चरण में प्रिसेंस स्ट्रीट फ्लाईओवर से लेकर वरली तक दूरी 10 किलोमीटर के पहले हिस्से का काम बीएमसी और दूसरे चरण में बांद्रा से कांदिवली तक का काम मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) करेगी।
मछुआरो ने किया था विरोध, सुप्रीम कोर्ट से मिली थी हरीझंडी
मुंबई के मछुआरों और पर्यावरणविदों ने समुद्री मार्ग का कड़ा विरोध किया था। चूंकि समुद्री किनारों पर मिट्टी पाटकर सड़क बनाई जा रही है इसलिए मछुआरों का कहना था कि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा। मामला हाईकोर्ट गया तो परियोजना पर रोक लग गई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2019 में परियोजना को हरीझंडी दिखाई। पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने अपने इस परियोजना को लेकर पूरे पांच साल बड़ी मेहनत की थी। कुल 18 विभिन्न एजेंसियों की अनुमति ली गई। इसके बाद समुद्री मार्ग परियोजना शुरू हुई है।
साल 2012 में हमने समुद्री मार्ग की संकल्पना की थी। भविष्य में मुंबई की केवल सी लिंक के रुप में पहचान न हो इसलिए समुद्री मार्ग में सुरंग बनाने का निर्णय लिया गया। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने समुद्री मार्ग के लिए अच्छी कार्ययोजना तैयार की थी और निर्माण कार्य भी जोरशोर से शुरू किया था। इस बीच वैश्किव कोरोना महामारी के चलते कई काम रूक गए लेकिन समुद्री मार्ग का काम जारी रहा। महासुरंग की खुदाई प्रियदर्शिनी पार्क से की गई जो नेताजी सुभाष मार्ग से सटे (मरीन लाइंस) छोटा चौपाटी तक करीब साढे तीन किलोमीटर तक रहेगी।
क्या है समुद्री मार्ग की परिकल्पना
दक्षिण मुंबई के मरीन लाइंस से शुरू होकर समुद्र के किनारे कुल आठ लेने की यह सड़क गिरगांव चौपाटी के पास तक जाएगी। उसके बाद गाड़ियां सुरंग से होकर गुजरेगी और पेडर रोड जैसे व्यस्ततम इलाके को पार कर वरली सी लिंक पहुंचेगी। कुल 10 किलोमीटर की इस सड़क पर करीब ढाई किलोमीटर चार लेन की सुरंग बनेगी। इससे गिरगांव चौपाटी का स्वरूप भी बरकार रहेगा। विश्वस्तरीय सलाहकारों की मदद से बन रही समुद्री मार्ग में बेहतर तकनीकों का भी इस्तेमाल होगा। यदि सुरंग के अंदर तेल के टैंकर में आग लगी तो उसे बुझाने की पूरी व्यवस्था होगी।
मुंबई के समुद्री मार्ग की परियोजना में कुल 12 हजार करोड़ रुपये की लागत आने की संभावना है। यह शहर के पश्चिमी भाग में समुद्र को पाटकर बनाई जाने वाली परियोजना है। इसका विस्तार मरीन लाइंस से उत्तर के कांदिवली इलाके तक होगी जिसमें आठ लेन का 29.2 किलोमीटर का लंबा फ्री वे होगा। पहले चरण में प्रिसेंस स्ट्रीट फ्लाईओवर से लेकर वरली तक दूरी 10 किलोमीटर के पहले हिस्से का काम बीएमसी और दूसरे चरण में बांद्रा से कांदिवली तक का काम मुंबई महानगर क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) करेगी।
मछुआरो ने किया था विरोध, सुप्रीम कोर्ट से मिली थी हरीझंडी
मुंबई के मछुआरों और पर्यावरणविदों ने समुद्री मार्ग का कड़ा विरोध किया था। चूंकि समुद्री किनारों पर मिट्टी पाटकर सड़क बनाई जा रही है इसलिए मछुआरों का कहना था कि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा। मामला हाईकोर्ट गया तो परियोजना पर रोक लग गई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2019 में परियोजना को हरीझंडी दिखाई। पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने अपने इस परियोजना को लेकर पूरे पांच साल बड़ी मेहनत की थी। कुल 18 विभिन्न एजेंसियों की अनुमति ली गई। इसके बाद समुद्री मार्ग परियोजना शुरू हुई है।
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