पुलिस की गिरफ्त में साइबर ठगी करने के आरोपी
– फोटो : अमर उजाला
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रेंज साइबर क्राइम थाना पुलिस की पकड़ में आया मथुरा का गैंग 200 लोगों को रोजाना व्हाट्स एप पर मैसेज भेजता था। इसके लिए इंटरनेट से फर्मों की जानकारी और फोन नंबर लेते थे और फिर सर्जिकल उपकरण सहित मास्क और सैनिटाइजर की फोटो डाउनलोड करके भेजी जाती थी। गैंग के सरगना जगदीश और चंद्रशेखर फर्म संचालकों से बात करते थे, जो माल मंगवाने के लिए तैयार होता था। उससे खाते में रकम जमा कराते थे। खातों में रकम आने के कुछ देर बाद ही निकाल ली जाती थी।
रेंज साइबर क्राइम थाना के प्रभारी निरीक्षक शैलेष कुमार सिंह ने बताया कि गोवर्धन चौराहा से गुरुवार को अशोक, दीपक, रविंद्र, अजयपाल और कुलदीप को गिरफ्तार किया था। उन्होंने पूछताछ में बताया कि जगदीश और चंद्रशेखर गैंग के सरगना हैं। दोनों कर्मचारियों की मदद से खाते और नेट से फर्मों की जानकारी लेते थे और रोजाना 200 लोगों को व्हाट्स एप पर मैसेज भेजते थे।
सबको दी गई थी अलग-अलग जिम्मेदारी
पुलिस ने बताया कि अशोक सरगना जगदीश का भाई है। रविंद्र, अजयपाल और कुलदीप के पास लोगों के बैंक खाते लाने की जिम्मेदारी थी। खाते किराये पर देने वालों को जमा रकम में से 25 प्रतिशत दी जाती थी, जबकि खाते लाने वाले को 15 प्रतिशत दिया जाता था। बाकी रकम को सरगना रखते थे। रविंद्र ने 25 खाते किराये पर दिलाए थे। इसी तरह अजयपाल ने दस खाते दे रखे थे।
कुलदीप ने दस खाते अपने दिए थे। छह खाते किराये पर अन्य लोगों के दिलाए थे। अशोक और दीपक इंटरनेट से सर्जिकल उपकरण, मास्क और सैनिटाइजर खरीदने वाली फर्मों का डाटा निकालते थे। दोनों रोजाना 200 लोगों का डाटा निकालते थे। इसके बाद व्हाट्स एप पर संदेश भेजते थे।
इसमें इंटरनेट से डाउनलोड की गई प्रोडक्ट की फोटो आदि शामिल थे। हकीकत में प्रोडक्ट नहीं होता था। इनके नीचे अपने रेट लिखते थे। बाजार में बिक रहे उसी तरह के सामान को आधी से भी कम कीमत में देने का झांसा देते थे। इससे लोग फंस जाते थे। आरोपियों के पास से बरामद रजिस्टर में फर्मों की जानकारी दर्ज है।
कॉल सेंटर पर छापा मार कार्रवाई के बाद खुला जालसाजी का बड़ा खेल, ‘मथुरा गैंग’ के पांच गिरफ्तार, सरगना फरार
सरगना कराते थे कॉल
पुलिस ने बताया कि सरगना जगदीश और चंद्रशेखर लोगों बात करते थे। उन्हें भरोसा देते थे कि सामान बिल्कुुल सस्ता है। यह सामान और कहीं नहीं मिलेगा। इसके बाद खाते में रकम जमा करा लेते थे। इस रकम को अशोक कुछ ही देर में एटीएम के माध्यम से निकाल लेता था।
सार
- इंटरनेट से डाउनलोड कर लेते थे फर्मों की जानकारी
- गैंग का सरगना अभी भी फरार
विस्तार
रेंज साइबर क्राइम थाना पुलिस की पकड़ में आया मथुरा का गैंग 200 लोगों को रोजाना व्हाट्स एप पर मैसेज भेजता था। इसके लिए इंटरनेट से फर्मों की जानकारी और फोन नंबर लेते थे और फिर सर्जिकल उपकरण सहित मास्क और सैनिटाइजर की फोटो डाउनलोड करके भेजी जाती थी। गैंग के सरगना जगदीश और चंद्रशेखर फर्म संचालकों से बात करते थे, जो माल मंगवाने के लिए तैयार होता था। उससे खाते में रकम जमा कराते थे। खातों में रकम आने के कुछ देर बाद ही निकाल ली जाती थी।
रेंज साइबर क्राइम थाना के प्रभारी निरीक्षक शैलेष कुमार सिंह ने बताया कि गोवर्धन चौराहा से गुरुवार को अशोक, दीपक, रविंद्र, अजयपाल और कुलदीप को गिरफ्तार किया था। उन्होंने पूछताछ में बताया कि जगदीश और चंद्रशेखर गैंग के सरगना हैं। दोनों कर्मचारियों की मदद से खाते और नेट से फर्मों की जानकारी लेते थे और रोजाना 200 लोगों को व्हाट्स एप पर मैसेज भेजते थे।
सबको दी गई थी अलग-अलग जिम्मेदारी
पुलिस ने बताया कि अशोक सरगना जगदीश का भाई है। रविंद्र, अजयपाल और कुलदीप के पास लोगों के बैंक खाते लाने की जिम्मेदारी थी। खाते किराये पर देने वालों को जमा रकम में से 25 प्रतिशत दी जाती थी, जबकि खाते लाने वाले को 15 प्रतिशत दिया जाता था। बाकी रकम को सरगना रखते थे। रविंद्र ने 25 खाते किराये पर दिलाए थे। इसी तरह अजयपाल ने दस खाते दे रखे थे।
कुलदीप ने दस खाते अपने दिए थे। छह खाते किराये पर अन्य लोगों के दिलाए थे। अशोक और दीपक इंटरनेट से सर्जिकल उपकरण, मास्क और सैनिटाइजर खरीदने वाली फर्मों का डाटा निकालते थे। दोनों रोजाना 200 लोगों का डाटा निकालते थे। इसके बाद व्हाट्स एप पर संदेश भेजते थे।
इसमें इंटरनेट से डाउनलोड की गई प्रोडक्ट की फोटो आदि शामिल थे। हकीकत में प्रोडक्ट नहीं होता था। इनके नीचे अपने रेट लिखते थे। बाजार में बिक रहे उसी तरह के सामान को आधी से भी कम कीमत में देने का झांसा देते थे। इससे लोग फंस जाते थे। आरोपियों के पास से बरामद रजिस्टर में फर्मों की जानकारी दर्ज है।
कॉल सेंटर पर छापा मार कार्रवाई के बाद खुला जालसाजी का बड़ा खेल, ‘मथुरा गैंग’ के पांच गिरफ्तार, सरगना फरार
सरगना कराते थे कॉल
पुलिस ने बताया कि सरगना जगदीश और चंद्रशेखर लोगों बात करते थे। उन्हें भरोसा देते थे कि सामान बिल्कुुल सस्ता है। यह सामान और कहीं नहीं मिलेगा। इसके बाद खाते में रकम जमा करा लेते थे। इस रकम को अशोक कुछ ही देर में एटीएम के माध्यम से निकाल लेता था।
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