भारत-चीन के बीच कल 10वें दौर की बातचीत, ड्रैगन ने पहली बार माना गलवां घाटी में मारे गए थे उसके जवान

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इधर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि पिछले साल भारत की सेना के साथ हुई झड़प में उसके पांच सैन्य अधिकारियों और जवानों की मौत हुई थी।
भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर गतिरोध के हालात पिछले वर्ष पांच मई से बनने शुरू हुए थे जिसके बाद पैंगांग झील क्षेत्र में दोनों ओर के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद दोनों ही पक्षों ने सीमा पर हजारों सैनिकों तथा भारी भरकम हथियार एवं युद्ध सामग्री की तैनाती की थी।
गलवां घाटी में 15 जून को हुई झड़प के दौरान भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। कई दशकों में भारत-चीन सीमा पर हुआ यह सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व वाली पीएलए की सर्वोच्च इकाई सीएमसी ने क्वी फबाओ को ‘‘सीमा की रक्षा करने वाले नायक रेजिमेंटल कमांडर’’ की उपाधि दी है।
भारत ने घटना के तुरंत बाद अपने शहीद सैनिकों के बारे में घोषणा की थी लेकिन चीन ने शुक्रवार से पहले आधिकारिक तौर यह कभी नहीं माना कि उसके सैन्यकर्मी भी झड़प में मारे गए। रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी टीएएसएस ने 10 फरवरी को खबर दी थी कि गलवां घाटी की झड़प में चीन के 45 सैन्यकर्मी मारे गए थे।
पिछले वर्ष, अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि उक्त झड़प में चीन के 35 सैन्यकर्मी मारे गए थे। सिंघुआ विश्वविद्यालय में नेशनल स्ट्रेटेजी इंस्टीट्यूट के अनुसंधान विभाग में निदेशक क्वियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि चीन ने घटना की जानकारी का खुलासा इसलिए किया है ताकि उन भ्रामक जानकारियों को खारिज किया जा सके जिनमें कहा गया था कि उक्त घटना में भारत के मुकाबले चीन को अधिक नुकसान पहुंचा था या फिर झड़प की शुरुआत उसकी ओर से हुई थी।
गलवां घाटी में पिछले वर्ष जून में हिंसक झड़प के बाद जब तनाव बहुत बढ़ गया था तब पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के ऊंचाई पर स्थित एवं दुर्गम इलाकों में दोनों देशों ने बड़ी संख्या में जंगी टैंक, बख्तरबंद वाहन और भारी भरकम उपकरणों की तैनाती की थी।पीएलए ने यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय की है जब पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट से दोनों देश अपने जवानों को हटा रहे हैं।
पिछले दस महीनों से दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने इलाके में तैनात थी। बता दें कि रक्षा सूत्रों ने जानकारी दी थी कि पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो (झील) के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से भारत और चीन की सेनाओं की वापसी प्रक्रिया योजना के मुताबिक चल रही है और अगले छह से सात दिनों में वापसी की प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है।
चीन की सेना ने पिछले वर्ष ‘फिंगर चार’ और ‘फिंगर आठ’ के बीच कई बंकर और अन्य ढांचे बना लिए और फिंगर चार के आगे भारतीय सैनिकों के गश्त पर जाने पर रोक लगा दी थी जिसके बाद भारतीय सेना ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। नौ दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने विशेष रूप से जोर दिया कि चीन की सेना पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर ‘फिंगर चार’ और ‘फिंगर आठ’ के बीच से हटे।
इधर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि पिछले साल भारत की सेना के साथ हुई झड़प में उसके पांच सैन्य अधिकारियों और जवानों की मौत हुई थी।
India and China to hold 10th round of Corps Commander level talks at 10am tomorrow on the Chinese side of the LAC in Moldo. The two sides will discuss disengagement from other friction points after disengagement from both Northern & Southern banks of Pangong Lake: Army sources pic.twitter.com/4CeeMmzaX3
— ANI (@ANI) February 19, 2021
भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर गतिरोध के हालात पिछले वर्ष पांच मई से बनने शुरू हुए थे जिसके बाद पैंगांग झील क्षेत्र में दोनों ओर के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद दोनों ही पक्षों ने सीमा पर हजारों सैनिकों तथा भारी भरकम हथियार एवं युद्ध सामग्री की तैनाती की थी।
गलवां घाटी में 15 जून को हुई झड़प के दौरान भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। कई दशकों में भारत-चीन सीमा पर हुआ यह सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व वाली पीएलए की सर्वोच्च इकाई सीएमसी ने क्वी फबाओ को ‘‘सीमा की रक्षा करने वाले नायक रेजिमेंटल कमांडर’’ की उपाधि दी है।