बिहार: कांग्रेस ने किसानों की बदहाली के लिए राजग सरकार को बताया जिम्मेदार

कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास
– फोटो : सोशल मीडिया
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किसानों की दयनीय हालत के लिए कांग्रेस ने बिहार की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। बिहार कांग्रेस प्रभारी एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरण दास ने दावा करते हुए कहा कि राज्य में किसानों की ‘बदहाल स्थिति’ के लिए राजग सरकार जिम्मेदार है। दास ने कहा कि बिहार में किसानों की खराब स्थिति इसलिए हुई है क्योंकि राजग सरकार ने धान और गेहूं की खरीद कम की है। उन्होंने कहा कि इस बेईमान सरकार ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य भी नहीं दिया है।
बिहार कांग्रेस प्रभारी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हाल ही में उन्होंने बिहार के 14 जिलों की पदयात्रा की है। इस दौरान उन्होंने कई पार्टी कार्यकर्ताओं और आम लोगों से मुलाकात की। पत्रकारों को संबोधित करते हुए दास ने कहा, ‘बिहार सरकार किसानों के प्रति कोई सम्मान नहीं रख रही है। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य भी नहीं मिल रहा है और न ही उनकी फसलों की पर्याप्त खरीद हो रही है। ऐसे में यह फैसला लिया गया है कि कृषि से जुडे़ मुद्दों के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए राज्य में कांग्रेस पार्टी एक बड़ा किसान आंदोलन करेगी।
भक्त चरण दास ने दावा किया है कि बिहार सरकार प्रदेश में केवल एक प्रतिशत गेहूं खरीद सकती है। मक्के का कोई खरीदार नहीं है। सरकार केवल 30-40 प्रतिशत धान ही खरीदने का लक्ष्य रखती है, जबकि छत्तीसगढ़ और अन्य राज्य सरकारों ने 80 से 90 प्रतिशत खरीद का लक्ष्य रखा है। दास ने गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पिछले चार वर्षों में गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया गया है। किसानों को गन्ना अब भी 310 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। जब उत्पदान की लागत बढ़ रही है तो न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ना चाहिए।
दास ने प्रदेश में चीनी मिलों को बंद किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए कोई पहल नहीं की। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार का यह कर्तव्य है कि वह किसानों को उचित मूल्य, एमएसपी, खरीद आदि सुनिश्चित करे लेकिन किसानों के सामने आने वाली समस्याओं के लिए उसके पास कोई समय नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि सरकार चाहती तो बिहार में 5000 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जा सकती थीं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए।