बाइडन प्रशासन ने घोषित की ‘घरेलू चरमपंथ’ से निपटने की योजना, ट्रंप कर रहे थे आनाकानी

कैपिटल परिसर में ट्रंप के समर्थक
– फोटो : PTI (फाइल फोटो)
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सार
गृह सुरक्षा सलाहकार एलिजाबेथ शेरवुड-रैंडल ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व आतंकवाद विरोधी निदेशक जोशुआ गेल्टजर से इस मामले की पड़ताल करने को कहा है। उन्हें 100 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है…
विस्तार
शुक्रवार को व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी जन पसकी ने कहा कि घरेलू हिंसक चरमपंथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा हैं और यह खतरा बढ़ रहा है। बाइडन प्रशासन आवश्यक संसाधनों और संकल्प के साथ इसका मुकाबला करेगा। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन तथ्यों के आधार पर नीतियां और रणनीति बनाएगा। ऐसा करते हुए संवैधानिक रूप में मिली अभिव्यक्ति और राजनीतिक गतिविधियों की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाएगा।
घोषित योजना के मुताबिक चरमपंथी नेटवर्कों का मुकाबला और उन्हें बेअसर करने की क्षमता विकसित करने की जिम्मदारी राष्ट्रपति की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को दी जाएगी। गृह सुरक्षा सलाहकार एलिजाबेथ शेरवुड-रैंडल ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के पूर्व आतंकवाद विरोधी निदेशक जोशुआ गेल्टजर से इस मामले की पड़ताल करने को कहा है। उन्हें 100 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
इस पड़ताल के दौरान सरकार के दूसरे विभागों का सहयोग भी लिया जाएगा। इसके तहत उभर रहे खतरों, रैडिकलाइजेशन, सोशल मीडिया की भूमिका, सूचनाओं के आदान-प्रदान में सुधार और कार्रवाई की योजना के बारे में पूरा विवरण तैयार किया जाएगा।
इस बीच वेबसाइट प्रोपब्लिका.कॉम ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि पिछले दो वर्षों के दौरान अमेरिका में आतंकवाद विरोधी अधिकारियों और इस काम से जुड़े यूरोपीय अधिकारियों के बीच कई बैठकें हुई हैं। इस दौरान धुर दक्षिणपंथी आतंकवादी गुटों की दुनिया भर में बढ़ रही ताकत पर चर्चा हुई।
इन बैठकों में ये सामने आया कि अमेरिका के नव-नाजी उग्रवादियों के संपर्क यूक्रेन के हथियारबंद गुटों से बने रहे हैं। उन्होंने उनके साथ ट्रेन और विमानों में यात्रा की है। इसके अलावा अमेरिकी उग्रवादियों और रूस के इम्पीरियल मूवमेंट के चरमपंथियों के भी आपसी संपर्क का शक जताया गया है। ऐसी जानकारी मिली है कि इम्पेरियल मूवमेंट रूस में सेंट पीटसबर्ग के पास श्वेत वर्चस्ववादियों को ट्रेनिंग दे रहा है।
अमेरिका में एल पासो में एक मॉल पर 2019 में हुई फायरिंग में 23 लोग मारे गए थे। उस कांड को अंजाम देने वाले हत्यारे ने तब अमेरिका पर “स्पेनी भाषियों की हमले” की चर्चा की थी। साथ ही उसने न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में मस्जिद पर हुए हमले की तारीफ की थी। इस कांड में 51 लोग मारे गए थे और इसे एक श्वेत वर्चस्ववादी ने अंजाम दिया था।
प्रोपब्लिका के मुताबिक अमेरिका और यूरोप के अधिकारी श्वेत चरमपंथ के उभर रहे खतरों से वाकिफ हैं। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के रवैये के कारण इस मामले में दोनों पक्षों में सहयोग आगे नहीं बढ़ पाया था। ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने ‘दक्षिणपंथी आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल करने से साफ मना कर दिया था। यूरोपीय अधिकारी आम तौर पर इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं। ट्रंप प्रशासन के इसके लिए राजी ना होने से दोनों पक्षों में विवाद खड़ा हो गया था।
यूरोपीय काउंटर-टेररिज्म अधिकारियों ने प्रोपब्लिका से कहा कि धुर दक्षिणपंथी खतरे के दुनिया भर में फैलने के प्रति अमेरिका की प्रतिक्रिया धीमी, बिखरी और राजनीति से प्रेरित रही है। अमेरिका के गृह मंत्रालय के पूर्व अधिकारियों ने इस खतरे को कम करके दिखाने की कोशिश की थी।
विश्लेषकों का कहना है कि अब अमेरिका में प्रशासन बदलने के साथ इस मामले में चुस्ती आने की संभावना है। राष्ट्रपति पद संभालने के दो दिन बाद ही बाइडन के प्रशासन ने जो ताजा एलान किया है, उससे इस उम्मीद की पुष्टि हुई है।