न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 03 Jan 2021 10:33 PM IST
बारिश और ठंड से बचने के लिए किसानों ने लगाए टेंट
– फोटो : amar ujala
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शनिवार को सुबह हुई हल्की बरसात और कड़ाके की ठंड में भी किसानों का हौसला बुलंद है। दिल्ली की सीमाओं पर कई किलोमीटर दूर तक किसानों का काफिला जमा है। किसानों की एक ही आवाज जो बार-बार गूंज रही है, किसान बिना अपना हक वापस लिए वापस लौटने को राजी नहीं है।
टीकरी बॉर्डर पर दोपहर के 12 बज चुके थे, पर आज सूरज बादलों के पीछे छुपा हुआ था। जिसके कारण ठंड और गलन ज्यादा थी। हाइवे पर धुंध साफ दिख रही थी। लेकिन किसानों के मंच से लगातार उनकी आवाज आ रही थी। एक के बाद एक किसान अपने मन की बात साझा कर रहे थे। मंच के सामने बिछी हरे रंग की कालीन बिल्कुल चमक रही थी। सुबह हुई बरसात के बाद पुरानी कालीन को हटाकर यहां पर अब नई कालीन बिछा दी गई थी। तीन लेन पर किसानों का कब्जा है। दो लेन फ्लाई ओवर की और एक लेन नीचे की। सब पर सफाई का काम चल रहा था। टैंकरों से पाइप लगाकर सेवादार सड़कों पर फैले कचरे को साफ कर रहे थे। मंच के पास ही चार जगहों पर लंगर खिलाने का दौर शुरू हो गया था। लोगों को बैठाकर भी लंगर परोसा जा रहा था। यह सिलसिला चार बजे तक निरंतर जारी था।
चार बजे मरने वाले किसान भाई को दी गई श्रद्धांजलि
गाजीपुर बॉर्डर पर शाम को 4 बजे शनिवार को सुबह आत्महत्या कर लेने वाले बुजुर्ग किसान को श्रद्धांजलि दी गई। यहां पर मौजूद किसानों ने दुख व्यक्त किया। कहा कि अपने बुजुर्ग साथी के बलिदान को जाया नहीं जाने देंगे। इस दौरान यहां पर चल रहे भाषण के दौर को लगभग आधे घंटे तक रोक दिया गया था। शनिवार को सुबह किसान आंदोलन में शामिल उत्तर प्रदेश, रामपुर के सरदार कश्मीर सिंह लाडी ने आत्महत्या कर लिया था।
आत्महत्या से पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखा था, उन्होंने कहा था कि आखिर इस ठंड में हम कब तक सड़कों पर बैठे रहेंगे। पुलिस इस मामले की जांच करने में जुटी है। फिलहाल माना यही जा रहा है कि आंदोलन का समाधान नहीं निकलने से निराश कश्मीर सिंह ने आत्महत्या की है।
टीकरी बॉर्डर पर लगातार 38वें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी रहा। शनिवार को सुबह हल्की बरसात होने के कारण किसानों को परेशानी हुई, लेकिन सामूहिक साफ सफाई के बाद किसानों ने फिर से मोर्चा संभाल लिया।
ठंड नहीं पहले से ही विकराल रूप धारण कर रखा है। रोजाना साफ सफाई से निकलने वाला पानी टिकरी बॉर्डर पर सड़कों के किनारे ही रुका है। सड़कों पर जगह जगह पर कीचड़ हो गया है। शनिवार को बरसात हो जाने से सड़कें और गीली हो गईं। किसानों ने अपना राशन और जलाने के लिए आईं लकडिय़ों को मेट्रो के नीचे सुरक्षित रख दिया है। हरप्रीत सिंह ने बताया कि बरसात इतनी तेज नहीं थी, लेकिन इसकी वजह से ठंडक और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि मेट्रो की छाया टीकरी बॉर्डर पर लोगों के लिए छत का काम कर रही है। हल्की फुल्की बरसात का खास असर नहीं पड़ता है। किसानों के पास पर्याप्त संख्या में टेंट और तिरपाल उपलब्ध हैं।
टीकरी बॉर्डर पर शनिवार को भी भारी संख्या में लोग किसानों के समर्थन में पहुंचे। भारतीय किसान यूनियन (राजनैतिक) जींद जिले के कार्यकर्ता रामराज्य धुल ने बताया कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर की परेड निकालेंगे। जिसकी तैयारियां हरियाणा में शुरू हो चुकी हैं। ट्रैक्टर परेड में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल होंगी और इसकी अगुवाई करेंगी। जींद में महिलाओं को ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार किसानों की बात नहीं मानी तो 26 जनवरी को दिल्ली की सभी सीमाओं पर लाखों ट्रैक्टर परेड करेंगे।
शनिवार को सुबह हुई हल्की बरसात और कड़ाके की ठंड में भी किसानों का हौसला बुलंद है। दिल्ली की सीमाओं पर कई किलोमीटर दूर तक किसानों का काफिला जमा है। किसानों की एक ही आवाज जो बार-बार गूंज रही है, किसान बिना अपना हक वापस लिए वापस लौटने को राजी नहीं है।
टीकरी बॉर्डर पर दोपहर के 12 बज चुके थे, पर आज सूरज बादलों के पीछे छुपा हुआ था। जिसके कारण ठंड और गलन ज्यादा थी। हाइवे पर धुंध साफ दिख रही थी। लेकिन किसानों के मंच से लगातार उनकी आवाज आ रही थी। एक के बाद एक किसान अपने मन की बात साझा कर रहे थे। मंच के सामने बिछी हरे रंग की कालीन बिल्कुल चमक रही थी। सुबह हुई बरसात के बाद पुरानी कालीन को हटाकर यहां पर अब नई कालीन बिछा दी गई थी। तीन लेन पर किसानों का कब्जा है। दो लेन फ्लाई ओवर की और एक लेन नीचे की। सब पर सफाई का काम चल रहा था। टैंकरों से पाइप लगाकर सेवादार सड़कों पर फैले कचरे को साफ कर रहे थे। मंच के पास ही चार जगहों पर लंगर खिलाने का दौर शुरू हो गया था। लोगों को बैठाकर भी लंगर परोसा जा रहा था। यह सिलसिला चार बजे तक निरंतर जारी था।
चार बजे मरने वाले किसान भाई को दी गई श्रद्धांजलि
गाजीपुर बॉर्डर पर शाम को 4 बजे शनिवार को सुबह आत्महत्या कर लेने वाले बुजुर्ग किसान को श्रद्धांजलि दी गई। यहां पर मौजूद किसानों ने दुख व्यक्त किया। कहा कि अपने बुजुर्ग साथी के बलिदान को जाया नहीं जाने देंगे। इस दौरान यहां पर चल रहे भाषण के दौर को लगभग आधे घंटे तक रोक दिया गया था। शनिवार को सुबह किसान आंदोलन में शामिल उत्तर प्रदेश, रामपुर के सरदार कश्मीर सिंह लाडी ने आत्महत्या कर लिया था।
आत्महत्या से पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखा था, उन्होंने कहा था कि आखिर इस ठंड में हम कब तक सड़कों पर बैठे रहेंगे। पुलिस इस मामले की जांच करने में जुटी है। फिलहाल माना यही जा रहा है कि आंदोलन का समाधान नहीं निकलने से निराश कश्मीर सिंह ने आत्महत्या की है।
बारिश के बाद हुई साफ सफाई और फिर से संभाल लिया मोर्चा
टीकरी बॉर्डर पर लगातार 38वें दिन भी किसानों का आंदोलन जारी रहा। शनिवार को सुबह हल्की बरसात होने के कारण किसानों को परेशानी हुई, लेकिन सामूहिक साफ सफाई के बाद किसानों ने फिर से मोर्चा संभाल लिया।
ठंड नहीं पहले से ही विकराल रूप धारण कर रखा है। रोजाना साफ सफाई से निकलने वाला पानी टिकरी बॉर्डर पर सड़कों के किनारे ही रुका है। सड़कों पर जगह जगह पर कीचड़ हो गया है। शनिवार को बरसात हो जाने से सड़कें और गीली हो गईं। किसानों ने अपना राशन और जलाने के लिए आईं लकडिय़ों को मेट्रो के नीचे सुरक्षित रख दिया है। हरप्रीत सिंह ने बताया कि बरसात इतनी तेज नहीं थी, लेकिन इसकी वजह से ठंडक और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि मेट्रो की छाया टीकरी बॉर्डर पर लोगों के लिए छत का काम कर रही है। हल्की फुल्की बरसात का खास असर नहीं पड़ता है। किसानों के पास पर्याप्त संख्या में टेंट और तिरपाल उपलब्ध हैं।
टीकरी बॉर्डर पर शनिवार को भी भारी संख्या में लोग किसानों के समर्थन में पहुंचे। भारतीय किसान यूनियन (राजनैतिक) जींद जिले के कार्यकर्ता रामराज्य धुल ने बताया कि किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर की परेड निकालेंगे। जिसकी तैयारियां हरियाणा में शुरू हो चुकी हैं। ट्रैक्टर परेड में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल होंगी और इसकी अगुवाई करेंगी। जींद में महिलाओं को ट्रैक्टर चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार किसानों की बात नहीं मानी तो 26 जनवरी को दिल्ली की सभी सीमाओं पर लाखों ट्रैक्टर परेड करेंगे।
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