डोनाल्ड ट्रंप (फाइल फोटो)
– फोटो : ANI
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल फेसबुक को भी धड़ल्ले से गलत सूचना या ऐसी सूचना फैलाने का जरिया बनाया जिस पर उन्हें बाद में सफाई देनी पड़ी। साथ ही इस पर डाले गए पोस्ट्स के जरिए उन्होंने अपने विरोधियों पर अमर्यादित हमले किए। ये बात एक ताजा अध्ययन रिपोर्ट से सामने आई है। इसके मुताबिक ट्रंप ने 2020 में छह हजार से ज्यादा फेसबुक पोस्ट डाले। इनमें करीब एक चौथाई का संबंध गलत या अस्पष्ट सूचना देने या विरोधियों को निशाना बनाने से था।
ये अध्ययन रिपोर्ट मीडिया मैटर्स नाम की एक संस्था ने जारी की है। ये संस्था सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट्स की निगरानी करती है। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक एक जनवरी 2020 से 6 जनवरी 2021 के बीच ट्रंप ने कुल 1,443 ऐसे फेसबुक पोस्ट डाले, जिनमें कोरोना वायरस या पिछले साल हुए चुनाव के बारे गलत सूचनाएं दी गईं या फिर उनमें अपने आलोचकों के प्रति ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसे शिष्ट नहीं माना जाएगा। इस अवधि में ट्रंप ने कुल 6,081 पोस्ट डाले। यानी कुल पोस्ट्स के 24 फीसदी में उन्होंने मर्यादा का उल्लंघन किया।
वेबसाइट ‘द हिल’ ने मीडिया मैटर्स के अध्ययन से जुड़ी जानकारियां छापी हैं। इसके मुताबिक उपरोक्त अवधि में ट्रंप के 500 से ज्यादा पोस्ट्स में कोरोना वायरस से बारे में गलत जानकारी दी गई। इनमें पूर्व राष्ट्रपति लगातार ये दावे करते रहे कि अमेरिका में संक्रमितों की ज्यादा संख्या का कारण वहां जांच की ज्यादा संख्या है। जबकि संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ इस बात का आरंभ से खंडन कर रहे थे।
मीडिया मैटर्स के अध्यक्ष एंगेलो कारुसोन ने अखबार वाशिंगटन पोस्ट से कहा- ‘मेरा जहां पालन-पोषण हुआ, वहां अधिक हादसे होते थे, वहां लोग स्टॉप (ठहरिए) का निशान लगा देते थे। पूर्व राष्ट्रपति के मामले में इसका संबंध सिर्फ किन्हीं दो पोस्ट्स से नहीं है। बल्कि इनमें गलत सूचना देने का एक पैटर्न है। जब आप इसे बेरोक ढंग से जारी रहने देते हैं, तो फिर नतीजा उन्हीं तरह के हालात में सामने आता है, जैसा छह जनवरी (अमेरिकी संसद भवन पर हमले के रूप में) को देखने को मिला। यह षड्यंत्र के सिद्धांतों और झूठ को बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित करने का परिणाम था।’
छह जनवरी की घटना के बाद ट्रंप के अकाउंट को फेसबुक कंपनी ने ब्लॉक कर दिया। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्विटर ने उन्हें जीवन भर के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। फेसबुक ने अभी नहीं बताया है कि ट्रंप के अकाउंट के बारे में उसका अंतिम फैसला क्या है। मीडिया मैटर्स ने कहा है कि फेसबुक कंपनी दूसरे लोगों के पेज बहुत हल्की बातों के लिए भी डिलीट करती रही है। जबकि ट्रंप या उनसे जुड़े एलेक्स जोन्स, रॉजर्स स्टन और स्टीव बेनन के पेज गंभीर दुष्प्रचार के बावजूद जारी रखे गए। मीडिया मैटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रंप के कई पोस्ट्स को फेसबुक ने ‘आधिकारिक सूचना’ बताया था।
मीडिया मैटर्स ने कहा है कि जब तक ट्रंप की झूठी सूचनाओं के कारण कैपिटल हिल (संसद भवन) पर हिंसा नहीं हुई, फेसबुक ने ट्रंप पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाए। अब उसने ट्रंप के पेज के बारे में फैसला करने का काम हाल में बने ओवरसाइट बोर्ड को सौंप दिया है, जिसमें 20 सदस्य हैं। बोर्ड ने इसी महीने बताया कि ट्रंप के अकाउंट को सस्पेंड करने के मामले में उसे लगभग नौ हजार टिप्पणियां मिली हैं। इसके पहले बोर्ड ने पांच ऐसे मामलों पर विचार किया था। उनमें मिली कुल टिप्पणियों की तुलना में ट्रंप के मामले में सौ गुना ज्यादा टिप्पणियां उसके पास आई हैं। इसलिए बोर्ड को फैसला देने में समय लग रहा है। बोर्ड ने कहा है कि वह अपना फैसला अप्रैल के आखिर तक ही जाकर सुना पाएगा।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल फेसबुक को भी धड़ल्ले से गलत सूचना या ऐसी सूचना फैलाने का जरिया बनाया जिस पर उन्हें बाद में सफाई देनी पड़ी। साथ ही इस पर डाले गए पोस्ट्स के जरिए उन्होंने अपने विरोधियों पर अमर्यादित हमले किए। ये बात एक ताजा अध्ययन रिपोर्ट से सामने आई है। इसके मुताबिक ट्रंप ने 2020 में छह हजार से ज्यादा फेसबुक पोस्ट डाले। इनमें करीब एक चौथाई का संबंध गलत या अस्पष्ट सूचना देने या विरोधियों को निशाना बनाने से था।
ये अध्ययन रिपोर्ट मीडिया मैटर्स नाम की एक संस्था ने जारी की है। ये संस्था सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट्स की निगरानी करती है। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक एक जनवरी 2020 से 6 जनवरी 2021 के बीच ट्रंप ने कुल 1,443 ऐसे फेसबुक पोस्ट डाले, जिनमें कोरोना वायरस या पिछले साल हुए चुनाव के बारे गलत सूचनाएं दी गईं या फिर उनमें अपने आलोचकों के प्रति ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसे शिष्ट नहीं माना जाएगा। इस अवधि में ट्रंप ने कुल 6,081 पोस्ट डाले। यानी कुल पोस्ट्स के 24 फीसदी में उन्होंने मर्यादा का उल्लंघन किया।
वेबसाइट ‘द हिल’ ने मीडिया मैटर्स के अध्ययन से जुड़ी जानकारियां छापी हैं। इसके मुताबिक उपरोक्त अवधि में ट्रंप के 500 से ज्यादा पोस्ट्स में कोरोना वायरस से बारे में गलत जानकारी दी गई। इनमें पूर्व राष्ट्रपति लगातार ये दावे करते रहे कि अमेरिका में संक्रमितों की ज्यादा संख्या का कारण वहां जांच की ज्यादा संख्या है। जबकि संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ इस बात का आरंभ से खंडन कर रहे थे।
मीडिया मैटर्स के अध्यक्ष एंगेलो कारुसोन ने अखबार वाशिंगटन पोस्ट से कहा- ‘मेरा जहां पालन-पोषण हुआ, वहां अधिक हादसे होते थे, वहां लोग स्टॉप (ठहरिए) का निशान लगा देते थे। पूर्व राष्ट्रपति के मामले में इसका संबंध सिर्फ किन्हीं दो पोस्ट्स से नहीं है। बल्कि इनमें गलत सूचना देने का एक पैटर्न है। जब आप इसे बेरोक ढंग से जारी रहने देते हैं, तो फिर नतीजा उन्हीं तरह के हालात में सामने आता है, जैसा छह जनवरी (अमेरिकी संसद भवन पर हमले के रूप में) को देखने को मिला। यह षड्यंत्र के सिद्धांतों और झूठ को बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित करने का परिणाम था।’
छह जनवरी की घटना के बाद ट्रंप के अकाउंट को फेसबुक कंपनी ने ब्लॉक कर दिया। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्विटर ने उन्हें जीवन भर के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। फेसबुक ने अभी नहीं बताया है कि ट्रंप के अकाउंट के बारे में उसका अंतिम फैसला क्या है। मीडिया मैटर्स ने कहा है कि फेसबुक कंपनी दूसरे लोगों के पेज बहुत हल्की बातों के लिए भी डिलीट करती रही है। जबकि ट्रंप या उनसे जुड़े एलेक्स जोन्स, रॉजर्स स्टन और स्टीव बेनन के पेज गंभीर दुष्प्रचार के बावजूद जारी रखे गए। मीडिया मैटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रंप के कई पोस्ट्स को फेसबुक ने ‘आधिकारिक सूचना’ बताया था।
मीडिया मैटर्स ने कहा है कि जब तक ट्रंप की झूठी सूचनाओं के कारण कैपिटल हिल (संसद भवन) पर हिंसा नहीं हुई, फेसबुक ने ट्रंप पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाए। अब उसने ट्रंप के पेज के बारे में फैसला करने का काम हाल में बने ओवरसाइट बोर्ड को सौंप दिया है, जिसमें 20 सदस्य हैं। बोर्ड ने इसी महीने बताया कि ट्रंप के अकाउंट को सस्पेंड करने के मामले में उसे लगभग नौ हजार टिप्पणियां मिली हैं। इसके पहले बोर्ड ने पांच ऐसे मामलों पर विचार किया था। उनमें मिली कुल टिप्पणियों की तुलना में ट्रंप के मामले में सौ गुना ज्यादा टिप्पणियां उसके पास आई हैं। इसलिए बोर्ड को फैसला देने में समय लग रहा है। बोर्ड ने कहा है कि वह अपना फैसला अप्रैल के आखिर तक ही जाकर सुना पाएगा।
Source link
Like this:
Like Loading...