फिच का अनुमान, शुरुआती पुनरोद्धार के बाद मध्यम अवधि में सुस्त पड़ेगी भारत की वृद्धि दर

पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
भारत में मंदी की स्थिति दुनिया में सबसे गंभीर
भारतीय अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी में फिच रेटिंग्स ने कहा कि, ‘आपूर्ति पक्ष के साथ मांग पक्ष की अड़चनों, मसलन वित्तीय क्षेत्र की कमजोर स्थिति की वजह से भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर महामारी के पूर्व के स्तर से नीचे रहेगी।’ फिच ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से भारत में मंदी की स्थिति दुनिया में सबसे गंभीर है। सख्त लॉकडाउन और सीमित वित्तीय समर्थन की वजह से ऐसी स्थिति बनी है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति अब सुधर रही है। अगले कुछ माह के दौरान वैक्सीन आने की वजह से इसे और समर्थन मिलेगा।
चालू वित्त वर्ष में आएगी 9.4 फीसदी की गिरावट
एजेंसी का अनुमान है कि 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था 11 फीसदी की वृद्धि दर्ज करेगी। चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.4 फीसदी की गिरावट आएगी। फिच रेटिंग्स ने कहा कि कोविड-19 संकट शुरू होने से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था नीचे आ रही थी। 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 4.2 फीसदी पर आ गई थी। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 6.1 फीसदी रही थी।
कहीं अधिक गंभीर है आर्थिक प्रभाव
इस महामारी की वजह से देश में 1.5 लाख लोगों की जान गई है। हालांकि, यूरोप और अमेरिका की तुलना में भारत में महामारी की वजह से मृत्यु दर कम है, लेकिन आर्थिक प्रभाव कहीं अधिक गंभीर है। चालू वित्त वर्ष की पहली अप्रैल-जून की तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था में 23.9 फीसदी की भारी गिरावट आई थी। वहीं जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी नीचे आई थी। इससे एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था मंदी की गिरफ्त में आ गई थी।
Source link