अमर उजाला रिसर्च टीम, रेक्याविक
Updated Sun, 24 Jan 2021 06:59 AM IST
फेलिक्स ग्रेटार्सन
– फोटो : facebook/Felix Gretarsson
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धरती के भगवान चिकित्सकों ने दुनिया में पहली बार कंधे से दोनों हाथों का प्रत्यरोपण कर नया कीर्तिमान बनाया है। दो दशक पहले 12 जनवरी 1998 को आइसलैंड के रहने वाले इलेक्ट्रिशियन फेलिक्स ग्रेटार्सन(48) ग्यारह हजार वोल्ट की लाइन पर काम करते वक्त करंट से बुर तरह झुलस गए थे।
इस घटना में कंधे से उनके दोनों हाथों को काटना पड़ा था। घटना के वक्त मरीज की उम्र महज 26 साल थी। दुनिया के सबसे बड़े बड़े अंग प्रत्यरोपण को अंजाम देने के लिए पांच अलग-अलग अस्पातालों के विशेषज्ञों की टीम में कुल 50 मेडिकल स्टाफ थे।
डॉक्टरों ने डोनर से अंग निकालने और प्रत्यारोपित करने के लिए ज्यादा समय न लगे इसलिए इतनी बड़ी टीम बनाई। इसी के तहत सिर्फ 15 घंटे में इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। ऐसा दावा है कि कंधे के साथ दोनों हाथों के प्रत्यारोपण का पहला मामला है।
मरीज में हो रहा सुधार
ऑपरेशन के दौरान सबसे ज्यादा जोर संक्रमण से बचाव का था जिसमें डॉक्टर सफल रहे। मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। डॉक्टरों को उसमें बेहतर सुधार दिख रहा है। चिकित्सकों की एक बड़ी टीम रोगी के कंधे और हाथ में रक्त प्रवाह पर नजर बनाए हुए है।
घटना के तीन माह कोमा में थे
करंट लगने से ग्रेटासर्न का हाथ कंधे से बुरी तरह झुलस गया था। संक्रमण पूरे शरीर में न फैले इसके डॉक्टरों ने कंधे से हाथ काटकर अलग कर दिया था। इस ऑपरेशन के बाद वह तीन महीन कोमा में थे। ग्रेटसर्न की पत्नी सिल्विया को उम्मीद नहीं थी कि ग्रेटासर्न दोबारा सामान्य जीवन में लौटेंगे।
धरती के भगवान चिकित्सकों ने दुनिया में पहली बार कंधे से दोनों हाथों का प्रत्यरोपण कर नया कीर्तिमान बनाया है। दो दशक पहले 12 जनवरी 1998 को आइसलैंड के रहने वाले इलेक्ट्रिशियन फेलिक्स ग्रेटार्सन(48) ग्यारह हजार वोल्ट की लाइन पर काम करते वक्त करंट से बुर तरह झुलस गए थे।
इस घटना में कंधे से उनके दोनों हाथों को काटना पड़ा था। घटना के वक्त मरीज की उम्र महज 26 साल थी। दुनिया के सबसे बड़े बड़े अंग प्रत्यरोपण को अंजाम देने के लिए पांच अलग-अलग अस्पातालों के विशेषज्ञों की टीम में कुल 50 मेडिकल स्टाफ थे।
डॉक्टरों ने डोनर से अंग निकालने और प्रत्यारोपित करने के लिए ज्यादा समय न लगे इसलिए इतनी बड़ी टीम बनाई। इसी के तहत सिर्फ 15 घंटे में इस जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। ऐसा दावा है कि कंधे के साथ दोनों हाथों के प्रत्यारोपण का पहला मामला है।
मरीज में हो रहा सुधार
ऑपरेशन के दौरान सबसे ज्यादा जोर संक्रमण से बचाव का था जिसमें डॉक्टर सफल रहे। मरीज पूरी तरह स्वस्थ है। डॉक्टरों को उसमें बेहतर सुधार दिख रहा है। चिकित्सकों की एक बड़ी टीम रोगी के कंधे और हाथ में रक्त प्रवाह पर नजर बनाए हुए है।
घटना के तीन माह कोमा में थे
करंट लगने से ग्रेटासर्न का हाथ कंधे से बुरी तरह झुलस गया था। संक्रमण पूरे शरीर में न फैले इसके डॉक्टरों ने कंधे से हाथ काटकर अलग कर दिया था। इस ऑपरेशन के बाद वह तीन महीन कोमा में थे। ग्रेटसर्न की पत्नी सिल्विया को उम्मीद नहीं थी कि ग्रेटासर्न दोबारा सामान्य जीवन में लौटेंगे।
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