वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, मॉस्को
Updated Sun, 24 Jan 2021 08:25 PM IST
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
रूस में राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के विरोधी नेता अलेक्सी नावालनी की गिरफ्तारी के मुद्दे पर रूस और पश्चिमी देशों के बीच पहले से चल रहा तनाव और बढ़ गया है। रूस ने इस मामले में पश्चिमी देशों- खासकर अमेरिका की तरफ से हुई आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है।
मास्को स्थित अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को कहा था कि देश भर में नावालनी के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान रूसी अधिकारी ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों’ को निशाना बना रहे हैं। यह दावा दूतावास की प्रवक्ता रेबेका रॉस ने ट्विटर संदेश के जरिए किया। उन्होंने कहा कि सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई ‘अभिव्यक्ति और शांतिपूर्ण सभाओं का दमन करने के ठोस अभियान’ का हिस्सा है।
इसका जवाब रूसी विदेश मंत्रालय ने भी एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दिया। उसमें कहा गया कि मंत्रालय के अधिकारियों ने इसकी जांच की है कि रॉस ने वॉशिंगटन में हुए प्रदर्शनों और कैपिटॉल हिल (अमेरिकी संसद भवन) पर हुए कब्जे के मामले में क्या लिखा था। पोस्ट में कहा गया कि उस पर उन्होंने कुछ नहीं लिखा। उन्होंने अपने देश के नागरिकों से शांतिपूर्ण विरोध जताने की अपील नहीं की। ना ही पांच लोगों के मारे जाने और 100 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारियों की निंदा की। लेकिन उनके बॉस जॉन जे. सुलिवान (अमेरिका के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) ने जरूर वहां जुटे लोगों को “हिंसक भीड़” कहा था।
रूसी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इस पोस्ट में कहा कि अमेरिकी कूटनीति में पाखंड उनका हथियार है, जो कोरोना महामारी के दौर में और भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। साथ ही उसमें सलाह दी गई है कि ‘आप अपने देश की समस्याओं पर ध्यान दीजिए और दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद कीजिए।’
इसके अलग एक बयान में रूसी विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी दूतावास से पूछा कि उसने विरोध प्रदर्शन के उन अलग- अलग रास्तों को सोशल मीडिया पर क्यों पोस्ट किया, जहां प्रदर्शनकारियों ने इकट्ठा होने की योजना बनाई थी। मंत्रालय ने कहा कि इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है कि अगर वॉशिंगटन स्थित रूसी दूतावास कैपिटॉल हिल जैसे किसी प्रदर्शन मार्ग के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालता। वैसा होने पर अमेरिकी राजनेता ‘रशियागेट’ का हल्ला खड़ा कर देते, रूस पर प्रतिबंध लगाने और रूसी राजनयिकों को देश से निकाल देने की धमकी दी जाती।
शनिवार को रूस में कई शहरों में नावालनी की रिहाई की मांग के समर्थन में प्रदर्शन हुए। रूसी अधिकारियों ने प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी थी। फिर भी हजारों लोग सड़कों पर उतरे। मास्को में पुलिस और भीड़ के बीच झड़पें भी हुईं। देश भर में दो हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। रूसी गृह मंत्रालय ने कहा कि मास्को में आए प्रदर्शनकारियों की संख्या चार हजार थी, लेकिन पश्चिमी मीडिया में ये संख्या 40 हजार तक बताई गई है।
टीवी चैनल रशिया टाइम्स की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक नवालनी की टीम ने उससे कहीं ज्यादा भीड़ के सड़क पर उतरने की उम्मीद की थी, जितनी असल में आई। पुलिस ने प्रदर्शनों के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। जगह- जगह लाउडस्पीकरों से ये चेतावनी दी जा रही थी कि इन प्रदर्शनों का आयोजन गैर-कानूनी है।
नवालनी को पिछले हफ्ते इलाज करवा कर जर्मनी से लौटते ही गिरफ्तार कर लिया गया था। उन पर पहले से चल रही सजा को बीमारी के कारण स्थगित कर विदेश जाने देने के लिए तय हुई शर्तों के उल्लंघन का आरोप है। नवालनी भ्रष्टाचार के एक मामले में सजायाफ्ता हैं। पश्चिमी देशों में उन्हें रूस में लोकतंत्र समर्थक मुहिम का नेता बताया जाता है। लेकिन रूस में एक बड़ा खेमा उन्हें पश्चिमी देशों के एजेंट के रूप में देखता है।
रूस में राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन के विरोधी नेता अलेक्सी नावालनी की गिरफ्तारी के मुद्दे पर रूस और पश्चिमी देशों के बीच पहले से चल रहा तनाव और बढ़ गया है। रूस ने इस मामले में पश्चिमी देशों- खासकर अमेरिका की तरफ से हुई आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है।
मास्को स्थित अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को कहा था कि देश भर में नावालनी के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों के दौरान रूसी अधिकारी ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों’ को निशाना बना रहे हैं। यह दावा दूतावास की प्रवक्ता रेबेका रॉस ने ट्विटर संदेश के जरिए किया। उन्होंने कहा कि सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की कार्रवाई ‘अभिव्यक्ति और शांतिपूर्ण सभाओं का दमन करने के ठोस अभियान’ का हिस्सा है।
इसका जवाब रूसी विदेश मंत्रालय ने भी एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दिया। उसमें कहा गया कि मंत्रालय के अधिकारियों ने इसकी जांच की है कि रॉस ने वॉशिंगटन में हुए प्रदर्शनों और कैपिटॉल हिल (अमेरिकी संसद भवन) पर हुए कब्जे के मामले में क्या लिखा था। पोस्ट में कहा गया कि उस पर उन्होंने कुछ नहीं लिखा। उन्होंने अपने देश के नागरिकों से शांतिपूर्ण विरोध जताने की अपील नहीं की। ना ही पांच लोगों के मारे जाने और 100 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारियों की निंदा की। लेकिन उनके बॉस जॉन जे. सुलिवान (अमेरिका के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) ने जरूर वहां जुटे लोगों को “हिंसक भीड़” कहा था।
रूसी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इस पोस्ट में कहा कि अमेरिकी कूटनीति में पाखंड उनका हथियार है, जो कोरोना महामारी के दौर में और भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। साथ ही उसमें सलाह दी गई है कि ‘आप अपने देश की समस्याओं पर ध्यान दीजिए और दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देना बंद कीजिए।’
इसके अलग एक बयान में रूसी विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी दूतावास से पूछा कि उसने विरोध प्रदर्शन के उन अलग- अलग रास्तों को सोशल मीडिया पर क्यों पोस्ट किया, जहां प्रदर्शनकारियों ने इकट्ठा होने की योजना बनाई थी। मंत्रालय ने कहा कि इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है कि अगर वॉशिंगटन स्थित रूसी दूतावास कैपिटॉल हिल जैसे किसी प्रदर्शन मार्ग के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट डालता। वैसा होने पर अमेरिकी राजनेता ‘रशियागेट’ का हल्ला खड़ा कर देते, रूस पर प्रतिबंध लगाने और रूसी राजनयिकों को देश से निकाल देने की धमकी दी जाती।
शनिवार को रूस में कई शहरों में नावालनी की रिहाई की मांग के समर्थन में प्रदर्शन हुए। रूसी अधिकारियों ने प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी थी। फिर भी हजारों लोग सड़कों पर उतरे। मास्को में पुलिस और भीड़ के बीच झड़पें भी हुईं। देश भर में दो हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। रूसी गृह मंत्रालय ने कहा कि मास्को में आए प्रदर्शनकारियों की संख्या चार हजार थी, लेकिन पश्चिमी मीडिया में ये संख्या 40 हजार तक बताई गई है।
टीवी चैनल रशिया टाइम्स की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक नवालनी की टीम ने उससे कहीं ज्यादा भीड़ के सड़क पर उतरने की उम्मीद की थी, जितनी असल में आई। पुलिस ने प्रदर्शनों के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। जगह- जगह लाउडस्पीकरों से ये चेतावनी दी जा रही थी कि इन प्रदर्शनों का आयोजन गैर-कानूनी है।
नवालनी को पिछले हफ्ते इलाज करवा कर जर्मनी से लौटते ही गिरफ्तार कर लिया गया था। उन पर पहले से चल रही सजा को बीमारी के कारण स्थगित कर विदेश जाने देने के लिए तय हुई शर्तों के उल्लंघन का आरोप है। नवालनी भ्रष्टाचार के एक मामले में सजायाफ्ता हैं। पश्चिमी देशों में उन्हें रूस में लोकतंत्र समर्थक मुहिम का नेता बताया जाता है। लेकिन रूस में एक बड़ा खेमा उन्हें पश्चिमी देशों के एजेंट के रूप में देखता है।
Source link
Like this:
Like Loading...