सरकार और किसान संगठनों की बैठक
– फोटो : अमर उजाला
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
सरकार और किसान संगठनों के बीच तीन नए कृषि कानूनों पर जारी तकरार शुक्रवार को हुई 11वें दौर की बैठक में भी खत्म नहीं हुई। किसान संगठन कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने की मांग पर अड़े रहे।
जबकि सरकार ने भी दो टूक स्वर में साफ कर दिया कि उसकी ओर से अब कोई नया प्रस्ताव नहीं दिया जाएगा। करीब पांच घंटे चली बैठक में दोनों पक्षों के बीच बमुश्किल आधे घंटे बात हुई। न ही नए सिरे से बैठक करने पर ही सहमति बनी।
दरअसल 10वें दौर की बैठक में सरकार की ओर से कानून में बदलाव के लिए सर्वपक्षीय कमेटी बनाने और कमेटी की रिपोर्ट आने तक डेढ़ साल के लिए कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव के बाद विवाद खत्म होता दिख रहा था।
हालांकि बृहस्पतिवार बैठक के बाद किसान संगठनों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। किसान संगठनों ने साफ कहा कि विवाद का हल सिर्फ तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानूनी गारंटी से ही निकलेगा।
बैठक का माहौल बेहद तनावपूर्ण था। शुरुआत में ही किसान संगठनों ने अपनी पुरानी मांग दुहराते हुए सरकार के नए प्रस्ताव को ठुकराने की जानकारी दी। इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दो टूक स्वर में कहा कि सरकार अब इससे बेहतर प्रस्ताव नहीं दे सकती।
उन्होंने कानून वापस लेने की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने किसान संगठनों के रुख को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। आरोप लगाया कि किसान संगठनों की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं आया।
बैठक स्थल पर किसान संगठनों की मंत्रणा
कृषि मंत्री की दो टूक के बाद वार्ता के लिए आए किसान संगठनों के बीच विज्ञान भवन में ही करीब एक घंटे बातचीत हुई। इस बैठक में भी सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करने का फैसला लिया गया। दूसरे चरण में किसान संगठनों द्वारा रुख स्पष्ट किए जाने के बाद बैठक खत्म हो गई।
सरकार ने गेंद किसान संगठनों के पाले में डाला
बैठक के बाद तोमर ने कहा कि सरकार की ओर से अब तक का सबसे अच्छा प्रस्ताव दिया गया था। सरकार इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। किसान संगठन अगर इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हैं तो सरकार शनिवार को भी बैठक कर सकती है। हालांकि विज्ञान भवन खाली न होने के कारण अब यह बैठक वहां संभव नहीं है।
तोमर ने कहा कि बड़े भारी मन से कहना पड़ यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों की ओर से कोई भी सकारात्मक जवाब नहीं आया। मैंने बैठक में कहा हेकि कानून में कोई कमी नहीं है। बुधवार को सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव किसानों के सम्मान के लिए था, मगर वह निर्णय नहीं कर पाए। अगर किसान संगठन हमारे प्रस्ताव पर राजी हैं तो सरकार कभी भी फिर से चर्चा के लिए तैयार है।
नहीं झुकने का संकेत मगर ट्रैक्टर रैली की चिंता
बैठक में सरकार ने साफ कर दिया कि वह अब इस मामले में इससे ज्यादा नहीं झुकेगी। हालांकि इस दौरान किसान संगठनों की गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को ले कर सरकार जरूर चिंतित दिखी। तोमर ने तीन बार किसान संगठनों से रैली करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार की अपील की।
सरकार और किसान संगठनों के बीच तीन नए कृषि कानूनों पर जारी तकरार शुक्रवार को हुई 11वें दौर की बैठक में भी खत्म नहीं हुई। किसान संगठन कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने की मांग पर अड़े रहे।
जबकि सरकार ने भी दो टूक स्वर में साफ कर दिया कि उसकी ओर से अब कोई नया प्रस्ताव नहीं दिया जाएगा। करीब पांच घंटे चली बैठक में दोनों पक्षों के बीच बमुश्किल आधे घंटे बात हुई। न ही नए सिरे से बैठक करने पर ही सहमति बनी।
दरअसल 10वें दौर की बैठक में सरकार की ओर से कानून में बदलाव के लिए सर्वपक्षीय कमेटी बनाने और कमेटी की रिपोर्ट आने तक डेढ़ साल के लिए कानूनों को स्थगित करने के प्रस्ताव के बाद विवाद खत्म होता दिख रहा था।
हालांकि बृहस्पतिवार बैठक के बाद किसान संगठनों ने सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। किसान संगठनों ने साफ कहा कि विवाद का हल सिर्फ तीनों कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानूनी गारंटी से ही निकलेगा।
क्या हुआ बैठक में?
बैठक का माहौल बेहद तनावपूर्ण था। शुरुआत में ही किसान संगठनों ने अपनी पुरानी मांग दुहराते हुए सरकार के नए प्रस्ताव को ठुकराने की जानकारी दी। इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दो टूक स्वर में कहा कि सरकार अब इससे बेहतर प्रस्ताव नहीं दे सकती।
उन्होंने कानून वापस लेने की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने किसान संगठनों के रुख को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। आरोप लगाया कि किसान संगठनों की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं आया।
बैठक स्थल पर किसान संगठनों की मंत्रणा
कृषि मंत्री की दो टूक के बाद वार्ता के लिए आए किसान संगठनों के बीच विज्ञान भवन में ही करीब एक घंटे बातचीत हुई। इस बैठक में भी सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार करने का फैसला लिया गया। दूसरे चरण में किसान संगठनों द्वारा रुख स्पष्ट किए जाने के बाद बैठक खत्म हो गई।
सरकार ने गेंद किसान संगठनों के पाले में डाला
बैठक के बाद तोमर ने कहा कि सरकार की ओर से अब तक का सबसे अच्छा प्रस्ताव दिया गया था। सरकार इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। किसान संगठन अगर इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हैं तो सरकार शनिवार को भी बैठक कर सकती है। हालांकि विज्ञान भवन खाली न होने के कारण अब यह बैठक वहां संभव नहीं है।
तोमर ने कहा कि बड़े भारी मन से कहना पड़ यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों की ओर से कोई भी सकारात्मक जवाब नहीं आया। मैंने बैठक में कहा हेकि कानून में कोई कमी नहीं है। बुधवार को सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव किसानों के सम्मान के लिए था, मगर वह निर्णय नहीं कर पाए। अगर किसान संगठन हमारे प्रस्ताव पर राजी हैं तो सरकार कभी भी फिर से चर्चा के लिए तैयार है।
नहीं झुकने का संकेत मगर ट्रैक्टर रैली की चिंता
बैठक में सरकार ने साफ कर दिया कि वह अब इस मामले में इससे ज्यादा नहीं झुकेगी। हालांकि इस दौरान किसान संगठनों की गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को ले कर सरकार जरूर चिंतित दिखी। तोमर ने तीन बार किसान संगठनों से रैली करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार की अपील की।
Source link
Like this:
Like Loading...