संवाद न्यूज एजेंसी, अमृतसर (पंजाब)
Updated Sat, 23 Jan 2021 01:17 AM IST
अमृतसर एयरपोर्ट पर हुआ स्वागत।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रमुख डॉ. एसपी सिंह ओबराय एक बार फिर जरूरतमंदों के मसीहा बने। रोजी-रोटी कमाने दुबई गईं और वहां बंधक बनाई गईं 12 बेबस लड़कियों में से 11 को उन्होंने शुक्रवार को सुरक्षित वतन पहुंचाया। एक लड़की की अचानक सेहत खराब होने के कारण वह कुछ दिन बाद वतन पहुंचेगी।
इस दौरान हवाई अड्डे पर सभी लड़कियों का सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रमुख डॉ. एसपी सिंह ओबराय ने खुद स्वागत किया और बताया कि आर्थिक मजबूरियों के कारण पंजाब समेत दूसरे सूबों के बहुत से माता-पिता लालची एजेंटों के चंगुल में फंसकर मासूम बेटियों को अरब देशों में नौकरी के लिए भेज देते हैं।
बदकिस्मती के कारण वहां लालची एजेंट इन्हें जमींदारों या अन्य कारोबारियों के पास भेज देते हैं, जहां इनसे बंधक बनाकर काम लिया जाता है। उन्होंने लाखों खर्च कर इन लड़कियों को कानूनी बाधाओं से पहले मुक्ति दिलाई और वतन पहुंचाने में सफलता हासिल की। उन्होंने बताया कि भारत की ऐसी बहुत सी लड़कियां मस्कट, शारजाह, रासलखेमे और दुबई में फंसी हुई हैं, वह घर वापस आना चाहतीं हैं।
डॉ. ओबराय ने बताया कि उनकी जानकारी के मुताबिक इस समय अरब देशों में करीब 200 लड़कियां फंसी हुई हैं। वह पहले भी सात लड़कियों को भारत ला चुके हैं। उनकी पूरी कोशिश है कि अन्य लड़कियों को भी जल्द लाया जायेगा। डॉ. ओबराय ने मां-बाप से अपील की है कि वह अच्छी तरह पड़ताल करने के बाद ही बेटियों को विदेश भेजें।
सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रमुख डॉ. एसपी सिंह ओबराय एक बार फिर जरूरतमंदों के मसीहा बने। रोजी-रोटी कमाने दुबई गईं और वहां बंधक बनाई गईं 12 बेबस लड़कियों में से 11 को उन्होंने शुक्रवार को सुरक्षित वतन पहुंचाया। एक लड़की की अचानक सेहत खराब होने के कारण वह कुछ दिन बाद वतन पहुंचेगी।
इस दौरान हवाई अड्डे पर सभी लड़कियों का सरबत दा भला चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रमुख डॉ. एसपी सिंह ओबराय ने खुद स्वागत किया और बताया कि आर्थिक मजबूरियों के कारण पंजाब समेत दूसरे सूबों के बहुत से माता-पिता लालची एजेंटों के चंगुल में फंसकर मासूम बेटियों को अरब देशों में नौकरी के लिए भेज देते हैं।
बदकिस्मती के कारण वहां लालची एजेंट इन्हें जमींदारों या अन्य कारोबारियों के पास भेज देते हैं, जहां इनसे बंधक बनाकर काम लिया जाता है। उन्होंने लाखों खर्च कर इन लड़कियों को कानूनी बाधाओं से पहले मुक्ति दिलाई और वतन पहुंचाने में सफलता हासिल की। उन्होंने बताया कि भारत की ऐसी बहुत सी लड़कियां मस्कट, शारजाह, रासलखेमे और दुबई में फंसी हुई हैं, वह घर वापस आना चाहतीं हैं।
डॉ. ओबराय ने बताया कि उनकी जानकारी के मुताबिक इस समय अरब देशों में करीब 200 लड़कियां फंसी हुई हैं। वह पहले भी सात लड़कियों को भारत ला चुके हैं। उनकी पूरी कोशिश है कि अन्य लड़कियों को भी जल्द लाया जायेगा। डॉ. ओबराय ने मां-बाप से अपील की है कि वह अच्छी तरह पड़ताल करने के बाद ही बेटियों को विदेश भेजें।
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