दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली, ‘सिर्फ नाम पर मत जाओ’

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Wed, 27 Jan 2021 03:42 AM IST
किसानों का प्रदर्शन
– फोटो : पीटीआई
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पंजाब के होशियारपुर से आए 36 साल के निहाल सिंह का कहना है कि वह अपने दोस्तों के साथ सिंघू बॉर्डर तक तो पैदल आए थे और दिल्ली तक भी पैदल आने का ही ईरादा था, लेकिन थकान ज्यादा होने पर उन्होंने पूरे दिन के लिए ऑटो भाड़े पर ले लिया।
चारों दोस्तों ने एक दिन के लिए ऑटो चालक को 2,500 रुपये दिए और अपना खाना भी उसके साथ बांटकर खाया। अपने माता-पिता को घर छोड़कर फरीदकोट से एक सप्ताह पहले ही सगे भाई सुखदेव सिंह और धरमिंदर सिंह आाए हैं।
धरमिंदर ने कहा, ‘पापा नहीं चाहते थे कि हम जरा भी देरी से पहुंचें। सच्चा सिख कभी अपने फर्ज से पीछे नहीं हटता।’ दोनों ई-रिक्शा चलाते हुए ट्रैक्टर परेड में शामिल हुए। 23 साल के सुखदेव का कहना है, ‘ई-रिक्शा उस एनजीओ का है जिसके साथ हम काम करते हैं। यह चलने से थक गए लोगों को राहत पहुंचाने के लिए है।’
जेसीबी मशीन के चालक सीट पर बैठे सुरजीत संधू ने जब स्थानीय लोगों को अपनी ओर हाथ हिलाते देखा तो ‘वी (विक्टरी)’ का चिन्ह बनाया। परेड में निहंग सिख योद्धा अपने परंपरागत लिबास में घोड़ों पर सवार होकर शामिल हुए। उनमें से एक ने कहा, ‘घोड़े ही हमारे ट्रैक्टर हैं।’ कई युवा परेड के साथ-साथ रॉयल एनफिल्ड (बुलेट) पर सवार हो साथ-साथ चल रहे थे।
पंजाब के होशियारपुर से आए 36 साल के निहाल सिंह का कहना है कि वह अपने दोस्तों के साथ सिंघू बॉर्डर तक तो पैदल आए थे और दिल्ली तक भी पैदल आने का ही ईरादा था, लेकिन थकान ज्यादा होने पर उन्होंने पूरे दिन के लिए ऑटो भाड़े पर ले लिया।
चारों दोस्तों ने एक दिन के लिए ऑटो चालक को 2,500 रुपये दिए और अपना खाना भी उसके साथ बांटकर खाया। अपने माता-पिता को घर छोड़कर फरीदकोट से एक सप्ताह पहले ही सगे भाई सुखदेव सिंह और धरमिंदर सिंह आाए हैं।
धरमिंदर ने कहा, ‘पापा नहीं चाहते थे कि हम जरा भी देरी से पहुंचें। सच्चा सिख कभी अपने फर्ज से पीछे नहीं हटता।’ दोनों ई-रिक्शा चलाते हुए ट्रैक्टर परेड में शामिल हुए। 23 साल के सुखदेव का कहना है, ‘ई-रिक्शा उस एनजीओ का है जिसके साथ हम काम करते हैं। यह चलने से थक गए लोगों को राहत पहुंचाने के लिए है।’
जेसीबी मशीन के चालक सीट पर बैठे सुरजीत संधू ने जब स्थानीय लोगों को अपनी ओर हाथ हिलाते देखा तो ‘वी (विक्टरी)’ का चिन्ह बनाया। परेड में निहंग सिख योद्धा अपने परंपरागत लिबास में घोड़ों पर सवार होकर शामिल हुए। उनमें से एक ने कहा, ‘घोड़े ही हमारे ट्रैक्टर हैं।’ कई युवा परेड के साथ-साथ रॉयल एनफिल्ड (बुलेट) पर सवार हो साथ-साथ चल रहे थे।