सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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नए साल में पहली बार दिल्लीवालों ने सबसे खराब हवा में सांस ली। शुक्रवार जनवरी का चौथा दिन रहा, जिसमें हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर में चली गई है। इन चारों दिनों में भी पहली बार वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 से ऊपर रिकॉर्ड किया गया। आने वाले दो दिनों तक इसमें सुधार के आसार भी नहीं दिख रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व सफर का मानना है कि खराब मौसमी दशाओं ने इस बार हवा का मिजाज बिगाड़ा है। सतह पर चलने वाली हवाओं के शांत पड़ने व तापमान में कमी आने से प्रदूषण स्तर में तेजी से इजाफा हुआ है।
तेजी से बढ़ते प्रदूषण पर सफर का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में इस वक्त सतह पर चलने वाली हवाएं शांत पड़ी हैं। वहीं, तापमान भी निम्न स्तर पर बना हुआ है। साथ ही घने कोहरे से वायु मंडल में द्वितीयक कणों का बनना भी जारी है। दूसरी तरफ वेंटिलेशन इंडेक्स व मिक्सिंग हाइट भी नीचे आ गए है। इन सबके मिले-जुले असर से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर में चली गई है। शुक्रवार को सूचकांक 460 रिकार्ड किया गया है।
गौरतलब है कि जनवरी महीने से इससे पहले तीन दिन हवा गंभीर स्तर तक खराब रही। एक व दो जनवरी का सूचकांक 441 व 443 दर्ज किया गया था। वहीं, 14 जनवरी को यह 429 रहा। शुक्रवार को इसके स्तर में बढ़ोत्तरी देखी गई। 31 अंकों के इजाफे के साथ सूचकांक 460 पर पहुंच गया है। नतीजन नए साल में पहली बार दिल्ली की हवा सबसे खराब रही।
दो दिनों तक हवा की गुणवत्ता में सुधार के नहीं दिख रहे आसार
सफर का पूर्वानुमान है कि वीकेंड पर भी हवा की गुणवत्ता सुधरने के आसार नही हैं। मौसमी दशाओं में कमोवेश कोई बड़ा बदलाव न होने से दिल्ली-एनसीआर की हवा रविवार तक गंभीर स्तर में बनी रहेगी। 18 जनवरी से इसमें मामूली सुधार आने की उम्मीद है। फिर भी, गुणवत्ता गंभीर स्तर के निचले या बहुत खराब स्तर के ऊपरी पायदान पर ही ठहरी रहेगी। अगले हफ्ते के मध्य से इसमें और सुधार होगा।
बीते तीन सालों में सबसे स्वच्छ रहा 2020
बीते तीन सालों में 2020 में स्वच्छ हवा वाले दिनों की संख्या सबसे ज्यादा रहा। 2018 की तुलना में इसमें तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। सफर के वरिष्ठ वैज्ञानिक व कार्यक्रम निदेशक गुफरान बेग के मुताबिक, 2020 में प्रदूषण का स्तर मानक के अंदर रहने की सबसे बड़ी वजह लॉक डाउन था। वहीं, बारिश भी बीते सालों की तुलना में अच्छी हुई। दोनों के संयोग से इस साल उन दिनों की संख्या सबसे ज्यादा रही, जिसमें हवा की गुणवत्ता साफ दर्ज की गई।
दरअसल, सफर ने 2018, 2019 व 2020 के तीन सालों के उन दिनों का आंकड़ा जारी किया है, जिसमें हवा की गुणवत्ता नेशनल एंबिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड से नीचे रही। इसके मुताबिक, तीनों सालों में लगातार उन दिनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसमें धूल के महीन कणों पीएम10 व पीएम2.5 का स्तर एनएएक्यूएस से नीचे है। 2018 में120 व 55 दिन पीएम 2.5 व पीएम 10 मानक के अंदर था। 2019 व 2020 में यह आंकड़ा क्रमश: 145 व 81 और 192 व 116 दिन पर पहुंच गया। इस हिसाब से 2020 में दिल्लीवालों ने तुलनात्मक रूप से ज्यादा दिनों तक स्वच्छ हवा में सांस ली है।
नए साल में पहली बार दिल्लीवालों ने सबसे खराब हवा में सांस ली। शुक्रवार जनवरी का चौथा दिन रहा, जिसमें हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर में चली गई है। इन चारों दिनों में भी पहली बार वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 से ऊपर रिकॉर्ड किया गया। आने वाले दो दिनों तक इसमें सुधार के आसार भी नहीं दिख रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व सफर का मानना है कि खराब मौसमी दशाओं ने इस बार हवा का मिजाज बिगाड़ा है। सतह पर चलने वाली हवाओं के शांत पड़ने व तापमान में कमी आने से प्रदूषण स्तर में तेजी से इजाफा हुआ है।
तेजी से बढ़ते प्रदूषण पर सफर का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में इस वक्त सतह पर चलने वाली हवाएं शांत पड़ी हैं। वहीं, तापमान भी निम्न स्तर पर बना हुआ है। साथ ही घने कोहरे से वायु मंडल में द्वितीयक कणों का बनना भी जारी है। दूसरी तरफ वेंटिलेशन इंडेक्स व मिक्सिंग हाइट भी नीचे आ गए है। इन सबके मिले-जुले असर से दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर में चली गई है। शुक्रवार को सूचकांक 460 रिकार्ड किया गया है।
गौरतलब है कि जनवरी महीने से इससे पहले तीन दिन हवा गंभीर स्तर तक खराब रही। एक व दो जनवरी का सूचकांक 441 व 443 दर्ज किया गया था। वहीं, 14 जनवरी को यह 429 रहा। शुक्रवार को इसके स्तर में बढ़ोत्तरी देखी गई। 31 अंकों के इजाफे के साथ सूचकांक 460 पर पहुंच गया है। नतीजन नए साल में पहली बार दिल्ली की हवा सबसे खराब रही।
दो दिनों तक हवा की गुणवत्ता में सुधार के नहीं दिख रहे आसार
सफर का पूर्वानुमान है कि वीकेंड पर भी हवा की गुणवत्ता सुधरने के आसार नही हैं। मौसमी दशाओं में कमोवेश कोई बड़ा बदलाव न होने से दिल्ली-एनसीआर की हवा रविवार तक गंभीर स्तर में बनी रहेगी। 18 जनवरी से इसमें मामूली सुधार आने की उम्मीद है। फिर भी, गुणवत्ता गंभीर स्तर के निचले या बहुत खराब स्तर के ऊपरी पायदान पर ही ठहरी रहेगी। अगले हफ्ते के मध्य से इसमें और सुधार होगा।
बीते तीन सालों में सबसे स्वच्छ रहा 2020
बीते तीन सालों में 2020 में स्वच्छ हवा वाले दिनों की संख्या सबसे ज्यादा रहा। 2018 की तुलना में इसमें तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। सफर के वरिष्ठ वैज्ञानिक व कार्यक्रम निदेशक गुफरान बेग के मुताबिक, 2020 में प्रदूषण का स्तर मानक के अंदर रहने की सबसे बड़ी वजह लॉक डाउन था। वहीं, बारिश भी बीते सालों की तुलना में अच्छी हुई। दोनों के संयोग से इस साल उन दिनों की संख्या सबसे ज्यादा रही, जिसमें हवा की गुणवत्ता साफ दर्ज की गई।
दरअसल, सफर ने 2018, 2019 व 2020 के तीन सालों के उन दिनों का आंकड़ा जारी किया है, जिसमें हवा की गुणवत्ता नेशनल एंबिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड से नीचे रही। इसके मुताबिक, तीनों सालों में लगातार उन दिनों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, जिसमें धूल के महीन कणों पीएम10 व पीएम2.5 का स्तर एनएएक्यूएस से नीचे है। 2018 में120 व 55 दिन पीएम 2.5 व पीएम 10 मानक के अंदर था। 2019 व 2020 में यह आंकड़ा क्रमश: 145 व 81 और 192 व 116 दिन पर पहुंच गया। इस हिसाब से 2020 में दिल्लीवालों ने तुलनात्मक रूप से ज्यादा दिनों तक स्वच्छ हवा में सांस ली है।
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