तब किसान नेता कहां थे, जब लाल किले पर ट्रैक्टर चढ़ रहे थे, पढ़िये असंतोष व असहमति की ये कहानी

जितेंद्र भारद्वाज, नई दिल्ली
Updated Wed, 27 Jan 2021 10:37 AM IST
भोपाल में कृषि कानूनों के विरोध और किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मार्च निकाला
– फोटो : सोशल मीडिया
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किसान संगठनों के नेताओं का कहना था कि उनके बुलावे पर लाखों किसान अपने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली के बाहर पहुंच गए हैं। अब कहा जा रहा है कि ट्रैक्टर मार्च पांच घंटे चलेगा, जिसमें पांच हजार किसान और इतने ही ट्रैक्टर शामिल हो सकेंगे। ट्रैक्टर मार्च का रुट भी उनके हिसाब से नहीं होगा। ज्यादातर किसान संगठन बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च निकालने के पक्ष में थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उस मांग को अस्वीकार कर दिया।
50 हजार ट्रैक्टर हो गए थे जमा
बता दें कि 23 जनवरी की रात तक दो लाख से ज्यादा ट्रैक्टर दिल्ली के बाहर जमा हो चुके थे। करीब पचास हजार ट्रैक्टर ऐसे भी थे, जिनके बारे में कहा गया कि वे सौ किलोमीटर के दायरे में हैं। 24 जनवरी तक वे भी दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच जाएंगे। उस समय तक संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सभी दूसरे संगठनों से कहा था कि उन्हें बाहरी दिल्ली के करीब 51 किलोमीटर लंबे रुट पर ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की इजाजत मिल जाएगी। चूंकि ये खुला रोड था, तो अधिकांश संगठन इस पर सहमत थे। इसी वजह से 23 और 24 जनवरी को भारी संख्या में ट्रैक्टर दिल्ली बॉर्डर तक पहुंच गए। बाद में 25 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने बताया कि किसानों को केवल तीन रुटों पर ट्रैक्टर परेड करने की मंजूरी दी गई है। इस मसले पर किसान संगठनों की बैठक हुई थी।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के पदाधिकारी सुखविंदर सिंह का कहना था कि दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर परेड को कमजोर करने के लिए जानबूझकर ऐसे रुट तय किए हैं। किसान संगठन के कई नेता इससे नाखुश थे। जब ढाई लाख ट्र्रैक्टर और करीब पांच लाख किसान दिल्ली सीमा पर पहुंच चुके हैं, तो अब केवल पांच हजार ट्रैक्टरों को परेड में शामिल होने की बात कही जा रही है। यहीं से किसान संगठनों में असहमति और असंतोष का भाव नजर आया।
किसान संगठनों के नेताओं का कहना था कि उनके बुलावे पर लाखों किसान अपने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली के बाहर पहुंच गए हैं। अब कहा जा रहा है कि ट्रैक्टर मार्च पांच घंटे चलेगा, जिसमें पांच हजार किसान और इतने ही ट्रैक्टर शामिल हो सकेंगे। ट्रैक्टर मार्च का रुट भी उनके हिसाब से नहीं होगा। ज्यादातर किसान संगठन बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर मार्च निकालने के पक्ष में थे, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उस मांग को अस्वीकार कर दिया।
50 हजार ट्रैक्टर हो गए थे जमा
बता दें कि 23 जनवरी की रात तक दो लाख से ज्यादा ट्रैक्टर दिल्ली के बाहर जमा हो चुके थे। करीब पचास हजार ट्रैक्टर ऐसे भी थे, जिनके बारे में कहा गया कि वे सौ किलोमीटर के दायरे में हैं। 24 जनवरी तक वे भी दिल्ली बॉर्डर पर पहुंच जाएंगे। उस समय तक संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सभी दूसरे संगठनों से कहा था कि उन्हें बाहरी दिल्ली के करीब 51 किलोमीटर लंबे रुट पर ट्रैक्टर रैली आयोजित करने की इजाजत मिल जाएगी। चूंकि ये खुला रोड था, तो अधिकांश संगठन इस पर सहमत थे। इसी वजह से 23 और 24 जनवरी को भारी संख्या में ट्रैक्टर दिल्ली बॉर्डर तक पहुंच गए। बाद में 25 जनवरी को दिल्ली पुलिस ने बताया कि किसानों को केवल तीन रुटों पर ट्रैक्टर परेड करने की मंजूरी दी गई है। इस मसले पर किसान संगठनों की बैठक हुई थी।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के पदाधिकारी सुखविंदर सिंह का कहना था कि दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर परेड को कमजोर करने के लिए जानबूझकर ऐसे रुट तय किए हैं। किसान संगठन के कई नेता इससे नाखुश थे। जब ढाई लाख ट्र्रैक्टर और करीब पांच लाख किसान दिल्ली सीमा पर पहुंच चुके हैं, तो अब केवल पांच हजार ट्रैक्टरों को परेड में शामिल होने की बात कही जा रही है। यहीं से किसान संगठनों में असहमति और असंतोष का भाव नजर आया।