प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
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कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन में सोमवार को एक और किसान की मौत हो गई। पंजाब के जिला मुक्तसर के गांव लाडेवाला के रहने वाले जगदीश (60) टीकरी बार्डर पर ठहरे हुए थे। सोमवार सुबह करीब सवा तीन बजे उनकी छाती में अचानक दर्द हुआ तो उन्हें नागरिक अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया।
दिल्ली आंदोलन से लौटे किसान ने फंदा लगाकर की खुदकुशी
उधर, पंजाब के बरनाला में दिल्ली धरने से लौटे भारती किसान यूनियन डकौंदा के नेता किसान निर्मल सिंह (45) निवासी धौला ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने बताया कि निर्मल सिंह 15 दिनों से दिल्ली धरने में राशन लेकर जा रहे थे।
भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के ब्लॉक प्रधान कुलदीप सिंह धौला एवं धौला इकाई के प्रधान गुरजंट सिंह व बलदेव सिंह ने बताया कि एक तरफ वह कर्ज से तो दूसरी तरफ कृषि कानूनों से परेशान था।
किसान नेताओं ने बताया कि मृतक अपने पीछे पत्नी, दो नाबालिग बच्चे छोड़कर गया है। किसान नेताओं ने मृतक के परिवार को 10 लाख मुआवजा, एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है। साथ ही उसका पांच लाख का कर्ज माफ करने की अपील भी की। इसके बाद ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।
थाना रूडेके कलां के थाना प्रभारी गुरतेज सिंह ने बताया कि मामला उच्च अधिकारियों के ध्यान में ला दिया गया है। उन्होंने मामले के समाधान के लिए तहसीलदार तपा की ड्यूटी लगा दी है।
कुंडली बॉर्डर पर किसानों ने एलान किया है कि जिस तरह से करनाल में सीएम मनोहर लाल की किसान पंचायत का विरोध किया गया है। इसी तरह से सरकार की देशभर में कानून के समर्थन में कोई रैली या सभा होगी तो उसका विरोध किया जाएगा। जिसके लिए मंच से घोषणा कर दी गई।
पंजाब से आए किसान नेता बलबीर सिंह ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है कि न्याय मिलेगा। सरकार को अगर किसान आंदोलन की वजह से अव्यवस्था फैलने और दूसरों के परेशान होने की चिंता है तो सरकार को तुरंत तीनों कानून वापस ले लेने चाहिए और हमेशा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देना सुनिश्चित करने के लिए कानून बना देना चाहिए।
वहीं जींद में बद्दोवाल व खटकड़ टोल पर किसानों का धरना जारी रहा। इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कानून वापस लेने की मांग की। किसानों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आइना दिखाया है।
कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन में सोमवार को एक और किसान की मौत हो गई। पंजाब के जिला मुक्तसर के गांव लाडेवाला के रहने वाले जगदीश (60) टीकरी बार्डर पर ठहरे हुए थे। सोमवार सुबह करीब सवा तीन बजे उनकी छाती में अचानक दर्द हुआ तो उन्हें नागरिक अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया।
दिल्ली आंदोलन से लौटे किसान ने फंदा लगाकर की खुदकुशी
उधर, पंजाब के बरनाला में दिल्ली धरने से लौटे भारती किसान यूनियन डकौंदा के नेता किसान निर्मल सिंह (45) निवासी धौला ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने बताया कि निर्मल सिंह 15 दिनों से दिल्ली धरने में राशन लेकर जा रहे थे।
भारतीय किसान यूनियन डकौंदा के ब्लॉक प्रधान कुलदीप सिंह धौला एवं धौला इकाई के प्रधान गुरजंट सिंह व बलदेव सिंह ने बताया कि एक तरफ वह कर्ज से तो दूसरी तरफ कृषि कानूनों से परेशान था।
किसान नेताओं ने बताया कि मृतक अपने पीछे पत्नी, दो नाबालिग बच्चे छोड़कर गया है। किसान नेताओं ने मृतक के परिवार को 10 लाख मुआवजा, एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है। साथ ही उसका पांच लाख का कर्ज माफ करने की अपील भी की। इसके बाद ही अंतिम संस्कार किया जाएगा।
थाना रूडेके कलां के थाना प्रभारी गुरतेज सिंह ने बताया कि मामला उच्च अधिकारियों के ध्यान में ला दिया गया है। उन्होंने मामले के समाधान के लिए तहसीलदार तपा की ड्यूटी लगा दी है।
सरकार की पंचायतों का विरोध करेंगे किसान
कुंडली बॉर्डर पर किसानों ने एलान किया है कि जिस तरह से करनाल में सीएम मनोहर लाल की किसान पंचायत का विरोध किया गया है। इसी तरह से सरकार की देशभर में कानून के समर्थन में कोई रैली या सभा होगी तो उसका विरोध किया जाएगा। जिसके लिए मंच से घोषणा कर दी गई।
पंजाब से आए किसान नेता बलबीर सिंह ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है कि न्याय मिलेगा। सरकार को अगर किसान आंदोलन की वजह से अव्यवस्था फैलने और दूसरों के परेशान होने की चिंता है तो सरकार को तुरंत तीनों कानून वापस ले लेने चाहिए और हमेशा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देना सुनिश्चित करने के लिए कानून बना देना चाहिए।
वहीं जींद में बद्दोवाल व खटकड़ टोल पर किसानों का धरना जारी रहा। इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कानून वापस लेने की मांग की। किसानों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आइना दिखाया है।
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