बेटी ने पिता को दी मुखाग्नि
– फोटो : अमर उजाला।
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जिस पिता के कंधों पर बेटी खेलकर बड़ी हुई सोमवार को उसी पिता की अर्थी को कंधा देने के साथ ही मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज अदा किया। यह देखकर लोगों की आंखें नम हो गईं।
झांसी जिले में नरसिंह राव टौरिया निवासी दीपक झा (40) मुंह के कैंसर से पीड़ित थे। रविवार को अचानक उनकी हालत बिगड़ गई। निजी अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। सामाजिक रूढ़ियों को तोड़कर दीपक झां की बड़ी बेटी दीपमा झा ने बेटी होने का फर्ज निभाया।
बेटी ने अपने पिता की अर्थी को न सिर्फ कंधा दिया, बल्कि मुखाग्नि देकर उनाव गेट बाहर मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया। लोग इसकी सराहना भी कर रहे हैं। उनकी दो बेटियां हैं। छोटी बेटी अवनी नौवीं क्लास की छात्रा है। वह स्टील रेलिंग का काम करते थे।
चार भाइयों में दीपक सबसे छोटे थे। बेटी दीपमा झा ने बताया कि दो साल से पिता को मुंह का कैंसर था। भोपाल में इलाज भी चल रहा था। मार्च में लॉकडाउन लग जाने के बाद वह इलाज कराने भोपाल नहीं जा सके थे। समय पर इलाज न मिलने के चलते उनकी हालत बिगड़ती और फिर उनकी मौत हो गई।
बेटी दीपमा झा ने बताया कि उनके पिता सामाजिक कार्यों और दूसरों की सहायता में हमेशा तत्पर रहते थे। हमारी परवरिश भी हमारे पिता ने बेटों की तरह की थी। इसीलिए उन्होंने अंतिम संस्कार खुद करने का निर्णय लिया।
जिस पिता के कंधों पर बेटी खेलकर बड़ी हुई सोमवार को उसी पिता की अर्थी को कंधा देने के साथ ही मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज अदा किया। यह देखकर लोगों की आंखें नम हो गईं।
झांसी जिले में नरसिंह राव टौरिया निवासी दीपक झा (40) मुंह के कैंसर से पीड़ित थे। रविवार को अचानक उनकी हालत बिगड़ गई। निजी अस्पताल में उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। सामाजिक रूढ़ियों को तोड़कर दीपक झां की बड़ी बेटी दीपमा झा ने बेटी होने का फर्ज निभाया।
बेटी ने अपने पिता की अर्थी को न सिर्फ कंधा दिया, बल्कि मुखाग्नि देकर उनाव गेट बाहर मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार किया। लोग इसकी सराहना भी कर रहे हैं। उनकी दो बेटियां हैं। छोटी बेटी अवनी नौवीं क्लास की छात्रा है। वह स्टील रेलिंग का काम करते थे।
चार भाइयों में दीपक सबसे छोटे थे। बेटी दीपमा झा ने बताया कि दो साल से पिता को मुंह का कैंसर था। भोपाल में इलाज भी चल रहा था। मार्च में लॉकडाउन लग जाने के बाद वह इलाज कराने भोपाल नहीं जा सके थे। समय पर इलाज न मिलने के चलते उनकी हालत बिगड़ती और फिर उनकी मौत हो गई।
पिता ने बेटों की तरह पाला था
बेटी दीपमा झा ने बताया कि उनके पिता सामाजिक कार्यों और दूसरों की सहायता में हमेशा तत्पर रहते थे। हमारी परवरिश भी हमारे पिता ने बेटों की तरह की थी। इसीलिए उन्होंने अंतिम संस्कार खुद करने का निर्णय लिया।
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