जानिए कौन हैं पीएम मोदी के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा जिन्हें मिला है पद्म भूषण सम्मान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 26 Jan 2021 06:10 AM IST
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भाजपा की जब 2014 में बहुमत से सरकार बनी तो प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही नरेंद्र मोदी अपनी टीम के लिए ‘नवरत्नों’ की तलाश में जुट गए थे। पीएम को प्रमुख सचिव पद के लिए उन्हें ऐसा काबिल अफसर चाहिए था, जिसे न केवल केंद्र में काम करने का लंबा अनुभव हो, बल्कि दामन पर भी कोई दाग न हो। साथ ही अफसर को उत्तर प्रदेश की पूरी समझ हो।
पीएम मोदी की यह खोज 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस नृपेंद्र मिश्रा पर जाकर खत्म हुई। उत्तर-प्रदेश जैसे बड़े राज्य में दो-दो मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके थे। उन्हें गुजरात कनेक्शन के बिना इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली।
उन्होंने अपने काम से इस पीएम मोदी का भरोसा जीता कि दोबारा 2019 में वह पीएम को प्रमुख सचिव नियुक्त किए गए।
वह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निजी सचिव और पूर्व मुख्यमंत्री और समजवादी नेता मुलायम सिंह के भी प्रधान सचिव रह चुके हैं। वह बाबरी विध्वंस के वक्त कार सेवकों पर बर्रबरतापूर्ण कार्रवाई के खिलाफ थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को भी कार सेवकों से नरमी से निपटने की सलाह दी थी। माना जाता है कि उन्हें उत्तर प्रदेश की आवोहवा का अच्छे से अहसास है, इसलिए उन्हें श्रीराम मंदिर निर्माण कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया।
भाजपा की जब 2014 में बहुमत से सरकार बनी तो प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही नरेंद्र मोदी अपनी टीम के लिए ‘नवरत्नों’ की तलाश में जुट गए थे। पीएम को प्रमुख सचिव पद के लिए उन्हें ऐसा काबिल अफसर चाहिए था, जिसे न केवल केंद्र में काम करने का लंबा अनुभव हो, बल्कि दामन पर भी कोई दाग न हो। साथ ही अफसर को उत्तर प्रदेश की पूरी समझ हो।
पीएम मोदी की यह खोज 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस नृपेंद्र मिश्रा पर जाकर खत्म हुई। उत्तर-प्रदेश जैसे बड़े राज्य में दो-दो मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके थे। उन्हें गुजरात कनेक्शन के बिना इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली।
उन्होंने अपने काम से इस पीएम मोदी का भरोसा जीता कि दोबारा 2019 में वह पीएम को प्रमुख सचिव नियुक्त किए गए।
वह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निजी सचिव और पूर्व मुख्यमंत्री और समजवादी नेता मुलायम सिंह के भी प्रधान सचिव रह चुके हैं। वह बाबरी विध्वंस के वक्त कार सेवकों पर बर्रबरतापूर्ण कार्रवाई के खिलाफ थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को भी कार सेवकों से नरमी से निपटने की सलाह दी थी। माना जाता है कि उन्हें उत्तर प्रदेश की आवोहवा का अच्छे से अहसास है, इसलिए उन्हें श्रीराम मंदिर निर्माण कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया।