पंजाब के अमृतसर में 1919 में हुए जलियांवाला बाग कांड में शहादत पाने वाले लोगों की पूरी जानकारी जिला प्रशासन के पास नहीं है। जो सूची जिला प्रशासन के पास उपलब्ध है, वह अधूरी है। देश की आजादी के 73 वर्ष बाद भी प्रशासन जलियांवाला बाग के शहीदों के परिजनों को ढूंढने में नाकाम रहा है। इस कांड में जान गंवाने वाले मुसलमानों के परिवारों के बारे में प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है।
डीसी अमृतसर गुरप्रीत सिंह खैरा ने जलियांवाला बाग में शहीद हुए 492 शहीदों की एक सूची जारी की है, इसमें शहीदों के जितने भी नाम हैं, इनमें से कई के आगे उनके पिता का नाम या घर का पता अधूरा है। अमृतसर के डीसी ने लोगों से अपील की है कि अगर उनके पास शहीदों के परिजनों की या अन्य कोई जानकारी है तो वह डीसी दफ्तर में उपलब्ध करवाएं।
कोरोना के कारण जलियांवाला बाग के शताब्दी समारोह का कोई भी कार्यक्रम नहीं हो सका था। अब जिला प्रशासन ने 25 जनवरी को अमृतसर के आनंद पार्क में शहीदों की याद में एक स्मारक का नींव पत्थर रखने व एक राज्य स्तरीय समारोह करवाने का फैसला लिया है।
शहादत देने वालों में शामिल मुसलमान
- नूर मोहम्मद पुत्र बूटा निवासी कूचा सुख दयाल, कटरा रामगढ़िया
- मोहम्मद शरीफ पुत्र मोहम्मद रमजान निवासी कटरा मोतीराम, कूचा मोचियां, तोबा भाई शालो
- मोहम्मद रमजान पुत्र रहीम भट्ट निवासी कटरा गरबा सिंह, कूचा फकीर मीर
- बरकत अली पुत्र इलाही बक्श, निवासी कटरा हकीमां
- उमर बख्श पुत्र इदा, निवासी कटरा कर्म सिंह
- गुलाम मुस्तफा पुत्र जुम्मन निवासी कटरा खजाना, हवेली मुरली
- अब्दुल खालिक पुत्र रहीम खान निवासी कटरा हकीमां
- मोहम्मद इब्राहिम पुत्र इमाम दीन निवासी कटरा हकीमां
कभी ये सभी इलाके मुस्लिम बहुल थे। देश विभाजन के बाद सभी परिवार पाकिस्तान पलायन कर गए। यही कारण है कि इन इलाकों में मुस्लिम परिवारों को ढूंढना मुश्किल हो रहा है। जलियांवाला बाग के शहीदों की इस सूची में लगभग 52 मुस्लिमों के नाम हैं। इनमें गुलाम रसूल पुत्र समाद शाह निवासी श्रीनगर भी शामिल थे।
एक शहीद का नाम नहीं, पिता का नाम है
शहादत देने वाले एक शहीद का नाम सूची मे नहीं है, हालांकि उनके पिता का नाम सूची में दर्ज है। ये कूचा लूना, सबुनियां गली के रहने वाले थे। एक मुस्लिम शहीद मोहम्मद बख्श के नाम के आगे उनके पिता का नाम नहीं है, वह कूचा पंडिता कटरा घनइया के रहने वाले थे।
वहीं हिंदू शहीदों में राम लाल, धीरू, काला सिंह, राम लाल, बुआ दास, केहर सिंह, बुध सिंह, ठाकर सिंह, सुंदर सिंह, कांशी, नाथू, जसवंत सिंह, भंगू शाह, चनन, गरू, गिरधारी और सोभा सिंह के पिता के नाम की जानकारी नहीं मिल सकी है।
जलियांवाला बाग के शहीदों की याद में स्थापित किए जाने वाले स्मारक में उनके घरों व गांवों की मिट्टी को भी शामिल किया जाएगा। शहादत का जाम पीने वाले शहीदों के घर से उनके परिजनों या पंचायतों से मिट्टी का लोटा स्मारक स्थल पर पहुंचाने का आग्रह किया जाएगा। इस पवित्र मिट्टी को आनंद पार्क में स्थापित किए जाने वाले शहीद स्मारक का हिस्सा बनाया जाएगा। यह जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यटन विभाग संजय कुमार ने दी।
पंजाब के अमृतसर में 1919 में हुए जलियांवाला बाग कांड में शहादत पाने वाले लोगों की पूरी जानकारी जिला प्रशासन के पास नहीं है। जो सूची जिला प्रशासन के पास उपलब्ध है, वह अधूरी है। देश की आजादी के 73 वर्ष बाद भी प्रशासन जलियांवाला बाग के शहीदों के परिजनों को ढूंढने में नाकाम रहा है। इस कांड में जान गंवाने वाले मुसलमानों के परिवारों के बारे में प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है।
डीसी अमृतसर गुरप्रीत सिंह खैरा ने जलियांवाला बाग में शहीद हुए 492 शहीदों की एक सूची जारी की है, इसमें शहीदों के जितने भी नाम हैं, इनमें से कई के आगे उनके पिता का नाम या घर का पता अधूरा है। अमृतसर के डीसी ने लोगों से अपील की है कि अगर उनके पास शहीदों के परिजनों की या अन्य कोई जानकारी है तो वह डीसी दफ्तर में उपलब्ध करवाएं।
कोरोना के कारण जलियांवाला बाग के शताब्दी समारोह का कोई भी कार्यक्रम नहीं हो सका था। अब जिला प्रशासन ने 25 जनवरी को अमृतसर के आनंद पार्क में शहीदों की याद में एक स्मारक का नींव पत्थर रखने व एक राज्य स्तरीय समारोह करवाने का फैसला लिया है।
शहादत देने वालों में शामिल मुसलमान
- नूर मोहम्मद पुत्र बूटा निवासी कूचा सुख दयाल, कटरा रामगढ़िया
- मोहम्मद शरीफ पुत्र मोहम्मद रमजान निवासी कटरा मोतीराम, कूचा मोचियां, तोबा भाई शालो
- मोहम्मद रमजान पुत्र रहीम भट्ट निवासी कटरा गरबा सिंह, कूचा फकीर मीर
- बरकत अली पुत्र इलाही बक्श, निवासी कटरा हकीमां
- उमर बख्श पुत्र इदा, निवासी कटरा कर्म सिंह
- गुलाम मुस्तफा पुत्र जुम्मन निवासी कटरा खजाना, हवेली मुरली
- अब्दुल खालिक पुत्र रहीम खान निवासी कटरा हकीमां
- मोहम्मद इब्राहिम पुत्र इमाम दीन निवासी कटरा हकीमां
कभी ये सभी इलाके मुस्लिम बहुल थे। देश विभाजन के बाद सभी परिवार पाकिस्तान पलायन कर गए। यही कारण है कि इन इलाकों में मुस्लिम परिवारों को ढूंढना मुश्किल हो रहा है। जलियांवाला बाग के शहीदों की इस सूची में लगभग 52 मुस्लिमों के नाम हैं। इनमें गुलाम रसूल पुत्र समाद शाह निवासी श्रीनगर भी शामिल थे।
एक शहीद का नाम नहीं, पिता का नाम है
शहादत देने वाले एक शहीद का नाम सूची मे नहीं है, हालांकि उनके पिता का नाम सूची में दर्ज है। ये कूचा लूना, सबुनियां गली के रहने वाले थे। एक मुस्लिम शहीद मोहम्मद बख्श के नाम के आगे उनके पिता का नाम नहीं है, वह कूचा पंडिता कटरा घनइया के रहने वाले थे।
वहीं हिंदू शहीदों में राम लाल, धीरू, काला सिंह, राम लाल, बुआ दास, केहर सिंह, बुध सिंह, ठाकर सिंह, सुंदर सिंह, कांशी, नाथू, जसवंत सिंह, भंगू शाह, चनन, गरू, गिरधारी और सोभा सिंह के पिता के नाम की जानकारी नहीं मिल सकी है।
जलियांवाला बाग के शहीदों की याद में स्थापित किए जाने वाले स्मारक में उनके घरों व गांवों की मिट्टी को भी शामिल किया जाएगा। शहादत का जाम पीने वाले शहीदों के घर से उनके परिजनों या पंचायतों से मिट्टी का लोटा स्मारक स्थल पर पहुंचाने का आग्रह किया जाएगा। इस पवित्र मिट्टी को आनंद पार्क में स्थापित किए जाने वाले शहीद स्मारक का हिस्सा बनाया जाएगा। यह जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यटन विभाग संजय कुमार ने दी।