चीन ने पहली बार माना गलवां घाटी में मारे गए थे उसके जवान, सैनिकों के नाम किए जारी

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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग ने काराकोरम पर्वत पर तैनात रहे पांच चीनी सैनिकों के बलिदान को याद किया है। इनके नाम हैं- पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजीमेंटल कमांडर क्यूई फबाओ, चेन होंगुन, जियानगॉन्ग, जिओ सियुआन और वांग जुओरन। हालांकि चीन गलवां घाटी में मारे गए अपने सैनिकों का आंकड़ा बहुत कम बता रहा है।
पिछले दिनों भारतीय सेना की उत्तरी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने बताया था कि गलवां घाटी की झड़प के बाद 50 चीनी सैनिकों को वाहनों के जरिए ले जाया गया था। झड़प में चीनी सेना के काफी सैनिक मारे गए थे। जनरल जोशी के अनुसार चीनी सैनिक 50 से ज्यादा जवानों को वाहनों में ले जा रहे थे। मगर वे घायल थे या उनकी मौत हो चुकी थी इसके बारे में कहना मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि रूसी न्यूज एजेंसी टीएएसएस ने चीन के 45 जवानों के मारे जाने की बात कही है और हमारा अनुमान भी इसी के आसपास का है। बता दें कि पिछले साल जून में गलवां घाटी में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसमें सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। वहीं चीन के भी काफी सैनिक मारे गए थे लेकिन उसने इस लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है।
चीन ने भारत को बताया झड़प का जिम्मेदार
चीन ने जहां अपने सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की है वहीं भारत पर झूठे और खोखले आरोप लगाए हैं। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में बिजिंग ने बेबुनियाद दावा करते हुए लिखा है कि भारतीय जवानों ने समझौते का उल्लंघन किया है। वे जानबूझकर सड़क और ब्रिज बनाने के लिए सीमा रेखा को पार कर रहे है और यथास्थिति को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इतना ही नहीं उसने गलवां घाटी में हुई हिंसक झड़प के लिए भारतीय सेना को जिम्मेदार ठहराया है।