चीन ने आगे बढ़ाई वैक्सीन कूटनीति, छेड़ा फाइजर के खिलाफ प्रचार युद्ध

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सार
चीन ने दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में अपनी ‘वैक्सीन कूटनीति’ तेज कर दी है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शनिवार को चार दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की अपनी यात्रा पूरी की।
विस्तार
अपनी जकार्ता यात्रा के दौरान इंडोशिया के विदेश मंत्री रेत्नो मरसुडी के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में वांग ने कहा कि चीन इंडोनेशिया को वैक्सीन देने के अपने वादे पर कायम है। उन्होंने कहा कि दोनों देश कोविड-19 महामारी से उबर जाएंगे और आर्थिक विकास के रास्ते पर लौटने की बुनियाद डालेंगे। इंडोनेशिया में चीन में बने साइनोवाक वैक्सीन को लगाने का काम शुरू हो चुका है।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने पिछले बुधवार को सबसे पहले ये वैक्सीन लगवा कर कर उसी समय इस अभियान की शुरुआत की, जब वांग इंडोनेशिया में मौजूद थे। विडोडो ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण जरूरी है। इससे हमें सुरक्षा मिलेगी, ताकि हम आर्थिक विकास के रास्ते पर तेजी से लौट सकें।
साइनवाक वैक्सीन के 30 लाख डोज ऐसे इंडोनेशिया पहुंच चुके हैँ, जिन्हें तुरंत लगाया जा सकता है। इनमें से 12 लाख डोज को देश भर में वितरित किया जा चुका है। इसके अलावा टीका के डेढ़ करोड़ डोज इस हफ्ते यहां आए, जिन्हें यहीं लगाने के लिए यहीं अंतिम रूप से तैयार किया जाएगा। इंडोनेशिया ने चीन से साइनवाक वैक्सीन के 23 करोड़ डोज खरीदने का करार किया है।
इसके अलावा इंडोनेशिया सरकार एस्ट्राजेनेका और फाइजर कंपनियों से पांच करोड़ और डोज खरीदने के लिए बातचीत चला रही है। इंडोनेशिया की आबादी 27 करोड़ है। वहां की सरकार का अनुमान है कि उसे कुल 42 करोड़ 70 लाख डोज की जरूरत पड़ेगी।
साइनोवाक वैक्सीन का इस्तेमाल फिलीपींस और म्यांमार में किया जा रहा है। फिलीपींस की राजधानी मनीला स्थित थिंक टैंक पाथवेज टू प्रोग्रेस में रिसर्च फेलॉ एरॉन जेड राबीना ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा कि चीन दुनिया को यह दिखाना चाहता है कि बाकी सभी इलाके टीकाकरण के मामले में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन आसियान से पीछे हैं। अब तक इस इलाके के देश चीन की बात सुनते दिखे हैं। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति विडोडो ने वैक्सीन देने के लिए चीन का आभार जताया है।
म्यांमार में वांग ने साइनोवाक वैक्सीन के तीन लाख डोज देने का वादा किया। फिलीपींस सरकार ने 15 करोड़ टीके लगाने की योजना बनाई है, जिसके लिए उसने साइनोवाक से भी वैक्सीन लिया है। वह दूसरी कंपनियों के वैक्सीन भी मंगवा रही है। इसके अलावा उन देशों से भी चीनी वैक्सीन की मांग आई है, जहां की यात्रा वांग ने नहीं की है।
थाईलैंड में टीकाकरण का काम फरवरी में शुरू होगा। थाई सरकार ने साइनोवाक से छह करोड़ 30 वैक्सीन के डोज लेने की योजना बना रही है। यानी थाईलैंड में आधी आबादी को इसी चीनी कंपनी के वैक्सीन लगवाए जाएंगे।
इस बीच चीन ने अमेरिकी कंपनी फाइजर के वैक्सीन के खिलाफ प्रचार युद्ध छेड़ दिया है। इसके लिए उसने इस वैक्सीन को लगवाने के बाद नॉर्वे में हुई 23 मौतों को आधार बनाया है। चीनी मीडिया- खासकर सरकारी अखबार द ग्लोबल टाइम्स में इस बारे में रिपोर्ट, लेख और संपादकीय छापे गए हैं। उनमें कहा गया है कि चीनी वैक्सीन में थोड़ी भी कमी दिखने पर हाय-तौबा मचाने वाला पश्चिमी मीडिया फाइजर के वैक्सीन को लेकर चुप है।
फाइजर का वैक्सीन लगवाने के बाद नॉर्वे में 23 वृद्ध लोगों की मौत हुई है। चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दावा किया है कि फाइजर का वैक्सीन एमआरएनए आधारित है, जिससे शरीर में सूजन होता है और यह बुजुर्ग लोगों के लिए खतरनाक है।
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