गोरखपुर एम्स के छात्रों को कमरे में बंद कर किया टॉर्चर, गार्डों पर मारपीट का आरोप, बेहोश हुए छात्र

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नाराज छात्र पैदल ही कैंट थाने पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद डीएम आवास पहुंच गए। एडीएम सिटी ने उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन छात्र डीएम से बात करने पर अड़े रहे। देर रात तक छात्र जमे हुए थे।
एम्स के एमबीबीएस पहले बैच के 12 छात्रों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करना एम्स प्रशासन को नागवार गुजरा है। एम्स प्रशासन ने छात्रों के साथ सोमवार को सौतेला व्यवहार किया। छात्रों का आरोप है कि छात्रों को कमरे में बंद कर टॉर्चर किया गया।
उनके मोबाइल छीन लिए गए। उन्हें गैलरी में हाथ ऊपर रखकर खड़ा होने की सजा दी गई। इस दौरान एम्स की कार्यकारी निदेशक, शिक्षक और कुछ पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे। इसकी भनक जब बैच के दूसरे छात्रों को लगी तो वह भड़क गए। छात्र क्लॉस छोड़कर निदेशक के पास पहुंचे। निदेशक एवं शिक्षकों ने उनकों डांट कर भगा दिया।
इसके बाद एम्स के छात्र और भड़क गए। छात्रों ने एम्स प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का फैसला किया। वह पैदल ही जाने लगे। एम्स के मेन गेट पर भी गार्डों ने छात्रों के साथ हाथापाई की। दो छात्राओं को पीट दिया। इसके बाद छात्र भी गार्डों से उलझ गए। जैसे तैसे छात्र गेट खोल कर बाहर निकले।
पैदल तय की पांच किलोमीटर की दूरी
एम्स के कैंपस से निकले छात्रों ने कैंट थाने तक पैदल मार्च किया। इस दौरान छात्रों ने पांच किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। इस दौरान छात्राएं भी शामिल रहीं। वह छात्र भी इसमें शामिल रहे जो प्रथम वर्ष पास कर चुके हैं। वर्ष 2019 के सभी छात्रों के एकजुट होने से एम्स प्रशासन सकते में आ गया। रात में फोन कर एम्स के शिक्षक डैमेज कंट्रोल में जुटे रहे।
कैंट में छात्रों ने दी तहरीर, दर्ज नही हुआ मुकदमा
एम्स के छात्रों ने कैंट इंस्पेक्टर से बात की। कैंट इंस्पेक्टर ने छात्रों को समझाने की कोशिश की। छात्रों ने कहा कि उनकी जान को कैंपस में खतरा है। उन्हें नजरबंद किया जा रहा है। उनके वीडियो बनाए जा रहे हैं। उनकी निजता छीनी जा रही है। एम्स की निदेशक ने सभी का कैरियर बर्बाद करने की धमकी दी है। उनसे कैंपस में मारपीट की जा रही है।
इन सभी मामलों को छात्रों ने बकायदा लिखकर थाने में तहरीर दी। कैंट पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं इंस्पेक्टर ने तहरीर की रिसीविंग देने से भी मना कर दिया। जिसके बाद छात्र कैंट थाने से निकलकर डीएम के आवास पहुंच गए।
छात्रों के हंगामे की खबर मिलने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया। छात्रों के परिजन ने अधिकारियों से बात की। गोरखपुर से लेकर दिल्ली तक परिजन एक्टिव हो गए। जिसके बाद एडीएम सिटी मौके पर पहुंचे। उन्होंने छात्रों से बात की। कुछ परिजन रात में डीएम आवास भी पहुंच गए।
यह है मामला
यह मामला एम्स में वर्ष 2019 बैच के छात्रों का है। यह एम्स का पहला बैच है। इसमें 50 छात्रों ने प्रवेश लिया था। कोरोना के कारण एम्स में ऑफलाइन क्लासेज नहीं चल सकी। लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लासेज चली थी। ऑफलाइन और ऑनलाइन क्लासेज को मिलाकर एम्स प्रशासन ने महज 30 छात्रों को ही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी।
बाद में आठ छात्रों को और मंजूरी दे दी। पहले बैच के 12 छात्र ऐसे रहे जिनकी हाजिरी कम होने के कारण उन्हें एक साल के लिए फेल कर दिया गया। इसके विरोध में 12 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। छात्रों के सुप्रीम कोर्ट जाने की खबर लगने के बाद एम्स के अधिकारी एक्शन में आ गए हैं।
छात्रों का आरोप, जबरन मोबाइल की कर रहे जांच
पुलिस को दिए शिकायती पत्र में छात्रों ने आरोप लगाया कि सोमवार को उन्हें एक-एक कर निदेशक के कमरे में बुलाया गया। वहां पर निदेशक के साथ दो शिक्षक और दो पुलिसकर्मी व एक गार्ड मौजूद रहा। वहीं पर उनके मोबाइल लिए गए। उनसे जबरन सादे कागज पर अंगूठा लगवाया गया। उनके मोबाइल में व्हाट्सएप चैट का प्रिंट निकलवाया गया।
छात्रों ने बताया कि उन्हें थर्ड डिग्री टार्चर किया गया। सेकेंड ईयर की छात्रा के साथ बदसलूकी की गई। उसका जीवन बर्बाद करने की धमकी दी गई। एक छात्र को घंटों खड़ा रखा गया। जिसके कारण दोनों ही बेहोश हो गए थे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सोमवार को छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें कमरे में बंद कर टॉर्चर किया गया। उनके मोबाइल छीन लिए गए। उन्हें गैलरी में हाथ ऊपर रखकर खड़ा होने की सजा दी गई। गार्डो ने मारपीट की।
नाराज छात्र पैदल ही कैंट थाने पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद डीएम आवास पहुंच गए। एडीएम सिटी ने उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन छात्र डीएम से बात करने पर अड़े रहे। देर रात तक छात्र जमे हुए थे।
एम्स के एमबीबीएस पहले बैच के 12 छात्रों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करना एम्स प्रशासन को नागवार गुजरा है। एम्स प्रशासन ने छात्रों के साथ सोमवार को सौतेला व्यवहार किया। छात्रों का आरोप है कि छात्रों को कमरे में बंद कर टॉर्चर किया गया।
उनके मोबाइल छीन लिए गए। उन्हें गैलरी में हाथ ऊपर रखकर खड़ा होने की सजा दी गई। इस दौरान एम्स की कार्यकारी निदेशक, शिक्षक और कुछ पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे। इसकी भनक जब बैच के दूसरे छात्रों को लगी तो वह भड़क गए। छात्र क्लॉस छोड़कर निदेशक के पास पहुंचे। निदेशक एवं शिक्षकों ने उनकों डांट कर भगा दिया।
पैदल तय की पांच किलोमीटर की दूरी
एम्स के कैंपस से निकले छात्रों ने कैंट थाने तक पैदल मार्च किया। इस दौरान छात्रों ने पांच किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। इस दौरान छात्राएं भी शामिल रहीं। वह छात्र भी इसमें शामिल रहे जो प्रथम वर्ष पास कर चुके हैं। वर्ष 2019 के सभी छात्रों के एकजुट होने से एम्स प्रशासन सकते में आ गया। रात में फोन कर एम्स के शिक्षक डैमेज कंट्रोल में जुटे रहे।
कैंट में छात्रों ने दी तहरीर, दर्ज नही हुआ मुकदमा
एम्स के छात्रों ने कैंट इंस्पेक्टर से बात की। कैंट इंस्पेक्टर ने छात्रों को समझाने की कोशिश की। छात्रों ने कहा कि उनकी जान को कैंपस में खतरा है। उन्हें नजरबंद किया जा रहा है। उनके वीडियो बनाए जा रहे हैं। उनकी निजता छीनी जा रही है। एम्स की निदेशक ने सभी का कैरियर बर्बाद करने की धमकी दी है। उनसे कैंपस में मारपीट की जा रही है।
इन सभी मामलों को छात्रों ने बकायदा लिखकर थाने में तहरीर दी। कैंट पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं इंस्पेक्टर ने तहरीर की रिसीविंग देने से भी मना कर दिया। जिसके बाद छात्र कैंट थाने से निकलकर डीएम के आवास पहुंच गए।
एडीएम पहुंचे मौके पर
यह है मामला
यह मामला एम्स में वर्ष 2019 बैच के छात्रों का है। यह एम्स का पहला बैच है। इसमें 50 छात्रों ने प्रवेश लिया था। कोरोना के कारण एम्स में ऑफलाइन क्लासेज नहीं चल सकी। लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लासेज चली थी। ऑफलाइन और ऑनलाइन क्लासेज को मिलाकर एम्स प्रशासन ने महज 30 छात्रों को ही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी।
बाद में आठ छात्रों को और मंजूरी दे दी। पहले बैच के 12 छात्र ऐसे रहे जिनकी हाजिरी कम होने के कारण उन्हें एक साल के लिए फेल कर दिया गया। इसके विरोध में 12 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। छात्रों के सुप्रीम कोर्ट जाने की खबर लगने के बाद एम्स के अधिकारी एक्शन में आ गए हैं।
छात्रों का आरोप, जबरन मोबाइल की कर रहे जांच
पुलिस को दिए शिकायती पत्र में छात्रों ने आरोप लगाया कि सोमवार को उन्हें एक-एक कर निदेशक के कमरे में बुलाया गया। वहां पर निदेशक के साथ दो शिक्षक और दो पुलिसकर्मी व एक गार्ड मौजूद रहा। वहीं पर उनके मोबाइल लिए गए। उनसे जबरन सादे कागज पर अंगूठा लगवाया गया। उनके मोबाइल में व्हाट्सएप चैट का प्रिंट निकलवाया गया।
कमरे में बेहोश हो गए छात्र
छात्रों ने बताया कि उन्हें थर्ड डिग्री टार्चर किया गया। सेकेंड ईयर की छात्रा के साथ बदसलूकी की गई। उसका जीवन बर्बाद करने की धमकी दी गई। एक छात्र को घंटों खड़ा रखा गया। जिसके कारण दोनों ही बेहोश हो गए थे।
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