कोविड 19: डब्ल्यूएचओ ने कहा, 2021 में हर्ड इम्यूनिटी की कोई संभावना नहीं

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कोरोना महामारी के प्रकोप के बीच विश्व स्वास्थ संगठन ने कहा है कि 2021 में कोविड हर्ड इम्यूनिटी की कोई संभावना नहीं है। हर्ड इम्यूनिटी दरअसल वह स्थिति है, जब किसी बीमारी के प्रति आबादी के बड़े हिस्से में लोगों के अंदर एंटीबॉडी विकसित हो जाए। बीमारी के हिसाब से इस बड़े हिस्से के मायने बदल सकते हैं।
अमूमन यह हिस्सा 60 से 80 फीसदी के बीच हो सकता है। हर्ड इम्यूनिटी की स्थिति दो तरीके से प्राप्त होती है:
पहला- आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण कर देने से
दूसरा- आबादी के बड़े हिस्से में बीमारी फैल जाने से
कोरोना के मामले में पहला तरीका सुरक्षित है, लेकिन उसके लिए कारगर और सुरक्षित वैक्सीन चाहिए। दूसरा तरीका खतरनाक है, क्योंकि लोगों को महामारी को बीमार होने या मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।
हर्ड इम्यूनिटी पर भी असमंजस की स्थिति है और इसको लेकर वैज्ञानिकों ने अपना पैमाना ही बदल दिया है। अमेरिकी इम्युनोलॉजिस्ट डॉक्टर एंथोनी फौची पहले कह रहे थे कि दुनिया की 60 से 70 फीसदी आबादी जब संक्रमण की चपेट में आ जाएगी तो वायरस के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी बन जाएगी।
90 फीसदी लोग संक्रमण की चपेट में आएंगे, तब आएगी हर्ड इम्यूनिटी
महामारी का रूप विकराल होने लगा तो यह आंकड़ा 70 से 75 फीसदी हुआ। दुनिया भर में संक्रमण से मौतों का ग्राफ बेकाबू हुआ तो यह दर 80 से 85 फीसदी पहुंच गई। अब जब दुनिया के कई देशों में वायरस में म्यूटेशन के साथ कई रूप का पता चला है तो कहा जा रहा है कि अब करीब 90 फीसदी आबादी संक्रमण की चपेट में आएगी तभी हर्ड इम्युनिटी संभव है।
कड़ी मेहनत से तैयार हुई वैक्सीन
बता दें कि दुनिया भर में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का प्रकोप करीब एक साल से जारी है। वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के बाद कई वैक्सीन तैयार हुईं है। अमेरिका, ब्रिटेन और रूस समेत कई देशों में लोगों को वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है, जबकि भारत में जल्द ही टीकाकरण अभियान शुरू होने वाला है। जिन देशों ने वैक्सीन बनाई है, उनमें चीन भी शामिल है।
भारत ने एक साथ दो वैक्सीन को मंजूरी दी है। इनमें ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड व भारत बायोटेक की कोवैक्सीन शामिल है। फिलहाल देश में टीकाकरण का पूर्वाभ्यास जारी है। 16 जनवरी से देश में टीकाकरण शुरू हो जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने यह भी कहा कि कई देशों को कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में वृद्धि के साथ ही टीके की आपूर्ति में बाधा संबंधी असाधारण परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है और कई देश शुरुआती कवरेज को बढ़ाने के लिए दूसरी खुराक देने में विलंब करने पर विचार कर रहे हैं।
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