कोरोना के दस माहः हौसलों से आगरा ने जीती वायरस से जंग, 103 साल की संक्रमित बुजुर्ग ने भी दी ‘मात’

कोरोना वायरसः जांच के लिए नमूने लेते कर्मी
– फोटो : अमर उजाला
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तीन मार्च को शहर में पहली बार कोरोना ने दस्तक दी। इस महीने 12 मरीज ही मिले। अप्रैल से संक्रमण की दर बढ़ी और जुलाई तक मरीजों की संख्या 1838 पहुंच गई। अगस्त से संक्रमण दोगुनी गति से बढ़ा और सितंबर तक वायरस के 7495 मामले सामने आए। दिसंबर में संक्रमण की गति में फिर कमी आई। अब 2021 में जनवरी में वैक्सीन लगने से इसके खात्मे की उम्मीद है।
सितंबर में रही सबसे भयावह स्थिति
इन दस महीने में सितंबर में भयावह स्थिति रही। इस महीने सबसे ज्यादा 2818 लोग संक्रमित हुए, मौत भी ज्यादा हुईं। 10 महीने में मार्च के बाद जून में सबसे कम संक्रमण रहा और 380 मरीज मिले।
दयालबाग, कमला नगर, आवास विकास बने चुनौती
दयालबाग, कमला नगर, आवास विकास कॉलोनी स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बने हुए हैं। यहां पहले दिन से अब तक लगभग रोजाना मरीज मिल रहे हैं। अन्य कॉलोनियों में संक्रमण के मामलों में कमी आई है।
घर जाकर स्क्रीनिंग, दवाएं देने से नियंत्रित रहा संक्रमण: डॉ. आरसी पांडेय
सीएमओ डॉ. आरसी पांडेय ने बताया कि वायरस किस मौसम और तापमान में क्या असर करेगा, इसकी सटीक जानकारी नहीं थी। ऐसे में टीमें बनाकर घर-घर जाकर सर्वे कर स्क्रीनिंग कर संदिग्ध मरीजों की जांच कराई। सभी को दवाएं दीं। बाजारों में रैपिड जांच कराई। इससे संक्रमण नियंत्रित रहा और सकारात्मक परिणाम आए।
वायरस का पैटर्न समझ में आने पर इलाज हुआ आसान: डॉ. संजय काला
एसएन कॉलेज प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि वायरस नया था, इसके इलाज और आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था नहीं थी। इस कारण शुरुआत में दिक्कत हुई, बाद में सरकार ने तेजी से संसाधन उपलब्ध कराए। वायरस के प्रभाव को भी समझने लगे और इलाज आसान होता गया। इससे मौत की दर में भी कमी आई।
संक्रमण की श्रृंखला
विदेश से लौटे यात्री
कोरोना संक्रमण की यह पहली शृंखला थी। विदेश से यात्रा करके लौटे उद्यमी, छात्र और चिकित्सकों से दूसरों में संक्रमण फैला।
तब्लीगी जमात
दिल्ली में तब्लीगी जमात के आयोजन में शामिल होकर लौटे लोगों से संक्रमण के फैलाव की दूसरी शृंखला बनी। इनसे देहात तक संक्रमण पहुंच गया था।
निजी अस्पताल
तीन निजी अस्पतालों से संक्रमण आसपास के जिलों और देहात में तेजी से फैला। यहां से संक्रमित मरीज डिस्चार्ज कर दिए थे।
सब्जी विक्रेता
कोरोना संक्रमण की चौथी शृंखला सब्जी विक्रेता, दूधिया रहे। इनसे घनी आबादी और नए क्षेत्रों में संक्रमण फैला।
125 महादानी कर चुके हैं प्लाज्मा दान
कोरोना वायरस से संक्रमित होकर ठीक होने वाले 125 महादानियों ने गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा दान किया। हलवाई की बगीची निवासी अर्जुन सिंह, कैलाश चंद्र, रोहित अग्रवाल ने दो से अधिक बार प्लाज्मा दान किया। ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. नीतू चौहान ने बताया कि 120 मरीजों को अभी तक प्लाज्मा थेरेपी दी जा चुकी है।
कोरोना योद्धा चिकित्सक
संक्रमण से जंग जीतने में कोरोना योद्धा चिकित्सक और सहायक स्टाफ सबसे बड़ा कारक रहे। मरीजों का इलाज करते हुए 110 से अधिक चिकित्सक संक्रमित हो गए। इनमें 90 के करीब एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर शामिल हैं। 160 से अधिक चिकित्सकीय स्टाफ भी चपेट में आया। इनमें फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल रहे।
गर्मी में 12 घंटे तक पीपीई किट पहनी
एसएन कॉलेज के कोविड अस्पताल में मरीजों का इलाज करने वाले डॉ. आशीष गौतम ने बताया कि मई-जून की भीषण गर्मी में चिकित्सक 10-12 घंटे तक पीपीई किट पहनकर रहते थे। हालत यह थी कि कई चिकित्सक बेहोश भी हो जाते थे, लेेकिन अपनी जिम्मेदारी को समझकर डॉक्टरों के हौसले कम नहीं हुए।
आईसीयू में मरीज के इलाज के साथ परिजनों की भूमिका निभाई
कोविड अस्पताल के आईसीयू प्रभारी डॉ. राजीव पुरी ने बताया कि संक्रमण तेजी से बढ़ा तो वेंटीलेटर कम थे, सरकार ने उपलब्ध कराए तो रातों ही रात आईसीयू तैयार कर दिया। चिकित्सक भर्ती मरीजों का इलाज कर ही रहे थे, उनके परिजनों की भूमिका भी निभा रहे थे। उनको खाना खिलाने समेत अन्य देखभाल भी करते।
महीना मरीज
मार्च: | 12 |
अप्रैल | 411 |
मई | 439 |
जून | 380 |
जुलाई | 566 |
अगस्त | 1145 |
सितंबर | 1818 |
अक्तूबर | 1528 |
नवंबर | 2004 |
दिसंबर | 911 |
जनवरी | 28 |
क्वारंटीन सेंटर्स में आई दिक्कतें, होम क्वारंटीन के बाद बदल गए शहर में हालात
कोरोना से लड़ाई में सबसे बड़ा सहयोग हमें शहर के लोगों से मिला। उन्होंने हिम्मत और जिंदादिली से साथ दिया। संक्रमण के मामले में कभी आगरा देश का पहला क्लस्टर था आज हम प्रदेश में 12वें नंबर पर हैं। ये कहना है जिला मजिस्ट्रेट प्रभु एन सिंह का।
2007 बैच के आईएएस अधिकारी प्रभु एन सिंह ने खुद कोरोना को करीब से देखा है। वह स्वयं भी पॉजिटिव हो चुके हैं। उन्होंने कहा मार्च में जब पहली बार आगरा में कोरोना केस मिले, तो पूरा प्रशासन मुस्तैदी से जुट गया। एक-एक व्यक्ति को हमने ट्रेस किया। क्वारंटीन सेंटर बनाए। जांचें की गईं। तब जाकर स्थिति नियंत्रित हो सकी। आगरा मॉडल की चर्चा पूरे देश में हुई।
फिर बीच में वायरस कुछ बढ़ा, लेकिन फिर केस कम हो गए। यही सिलसिला चल रहा है। उन्होंने बताया कि मार्च-अप्रैल में संदिग्धों को क्वारंटीन सेंटर्स में रखा गया। वहां कुछ दिक्कतें आईं लेकिन होम क्वारंटीन शुरू होने के बाद स्थिति बदल गईं। फिर होम आईसोलेशन से लोगों को और राहत मिली।
मई-जून में सबसे ज्यादा मौतें
मई और जून में सबसे ज्यादा मृत्यु दर दर्ज हुई। मई में 10.29 फीसदी और जून में 10.65 फीसदी मृत्यु दर रही। डीएम ने कहा तब कोविड हॉस्पिटल में सुविधाएं भी कम थीं। जैसे-जैसे सुविधाएं बढ़ी, मृत्यु दर घट गई। उन दो माह में 54 मरीजों की मौत हुई।
50 हजार से ज्यादा होते केस
डीएम प्रभु एन सिंह ने बताया कि सही समय पर सही कदम उठाए। एक समय संक्रमण की रफ्तार ऐसी थी कि लग रहा था केस 50
हजार तक पहुंच जाएंगे। परंतु ये दस हजार पर थम गए। मरीजों के ठीक होने की रफ्तार भी 96% फीसदी है।
ये किए उपाय
– रैपिड रिस्पांस टीमों ने दिन-रात काम किया।
– कंटेनमेंट जोन में आवाजाही पर सख्ती बरती।
– संक्रमितों के घर तीन बार सेनिटाइज किए गए।
– नि:शुल्क कोविड टेस्ट की व्यवस्था की गई।
– आगरा चिकित्सकों ने सबसे अच्छा काम किया।
डॉक्टरों का भरोसा और खुद का हौसला, इन्हीं दो मंत्रों से कोरोना वायरस को मात दी। 10 महीने में 4.36 लाख लोगों की जांच में 10,272 लोग संक्रमित मिले। इनमें से 9,948 मरीज पूरी तरह से ठीक हो गए। जज्बे का आलम ऐसा कि शास्त्रीपुरम निवासी 103 साल की श्यामवती के आगे भी कोरोना की एक न चली, 15 दिन में कोरोना को मात देकर घर स्वस्थ लौटीं। कई मासूम भी कोरोना की चपेट में आए लेकिन कुछ ही दिनों में स्वथ्य हो गए। पढ़िए कोरोना काल के 10 महीनों का लेखाजोखा…
तीन मार्च को शहर में पहली बार कोरोना ने दस्तक दी। इस महीने 12 मरीज ही मिले। अप्रैल से संक्रमण की दर बढ़ी और जुलाई तक मरीजों की संख्या 1838 पहुंच गई। अगस्त से संक्रमण दोगुनी गति से बढ़ा और सितंबर तक वायरस के 7495 मामले सामने आए। दिसंबर में संक्रमण की गति में फिर कमी आई। अब 2021 में जनवरी में वैक्सीन लगने से इसके खात्मे की उम्मीद है।
सितंबर में रही सबसे भयावह स्थिति
इन दस महीने में सितंबर में भयावह स्थिति रही। इस महीने सबसे ज्यादा 2818 लोग संक्रमित हुए, मौत भी ज्यादा हुईं। 10 महीने में मार्च के बाद जून में सबसे कम संक्रमण रहा और 380 मरीज मिले।



एसएन मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी
– फोटो : अमर उजाला
दयालबाग, कमला नगर, आवास विकास कॉलोनी स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती बने हुए हैं। यहां पहले दिन से अब तक लगभग रोजाना मरीज मिल रहे हैं। अन्य कॉलोनियों में संक्रमण के मामलों में कमी आई है।
घर जाकर स्क्रीनिंग, दवाएं देने से नियंत्रित रहा संक्रमण: डॉ. आरसी पांडेय
सीएमओ डॉ. आरसी पांडेय ने बताया कि वायरस किस मौसम और तापमान में क्या असर करेगा, इसकी सटीक जानकारी नहीं थी। ऐसे में टीमें बनाकर घर-घर जाकर सर्वे कर स्क्रीनिंग कर संदिग्ध मरीजों की जांच कराई। सभी को दवाएं दीं। बाजारों में रैपिड जांच कराई। इससे संक्रमण नियंत्रित रहा और सकारात्मक परिणाम आए।
वायरस का पैटर्न समझ में आने पर इलाज हुआ आसान: डॉ. संजय काला
एसएन कॉलेज प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि वायरस नया था, इसके इलाज और आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था नहीं थी। इस कारण शुरुआत में दिक्कत हुई, बाद में सरकार ने तेजी से संसाधन उपलब्ध कराए। वायरस के प्रभाव को भी समझने लगे और इलाज आसान होता गया। इससे मौत की दर में भी कमी आई।



सुयश ने प्लाज्मा दान किया
– फोटो : अमर उजाला
विदेश से लौटे यात्री
कोरोना संक्रमण की यह पहली शृंखला थी। विदेश से यात्रा करके लौटे उद्यमी, छात्र और चिकित्सकों से दूसरों में संक्रमण फैला।
तब्लीगी जमात
दिल्ली में तब्लीगी जमात के आयोजन में शामिल होकर लौटे लोगों से संक्रमण के फैलाव की दूसरी शृंखला बनी। इनसे देहात तक संक्रमण पहुंच गया था।
निजी अस्पताल
तीन निजी अस्पतालों से संक्रमण आसपास के जिलों और देहात में तेजी से फैला। यहां से संक्रमित मरीज डिस्चार्ज कर दिए थे।
सब्जी विक्रेता
कोरोना संक्रमण की चौथी शृंखला सब्जी विक्रेता, दूधिया रहे। इनसे घनी आबादी और नए क्षेत्रों में संक्रमण फैला।
125 महादानी कर चुके हैं प्लाज्मा दान
कोरोना वायरस से संक्रमित होकर ठीक होने वाले 125 महादानियों ने गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा दान किया। हलवाई की बगीची निवासी अर्जुन सिंह, कैलाश चंद्र, रोहित अग्रवाल ने दो से अधिक बार प्लाज्मा दान किया। ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. नीतू चौहान ने बताया कि 120 मरीजों को अभी तक प्लाज्मा थेरेपी दी जा चुकी है।



एसएन मेडिकल कॉलेज पर पुष्पवर्षा का फाइल फोटो
– फोटो : अमर उजाला
संक्रमण से जंग जीतने में कोरोना योद्धा चिकित्सक और सहायक स्टाफ सबसे बड़ा कारक रहे। मरीजों का इलाज करते हुए 110 से अधिक चिकित्सक संक्रमित हो गए। इनमें 90 के करीब एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर शामिल हैं। 160 से अधिक चिकित्सकीय स्टाफ भी चपेट में आया। इनमें फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, वार्ड ब्वाय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल रहे।
गर्मी में 12 घंटे तक पीपीई किट पहनी
एसएन कॉलेज के कोविड अस्पताल में मरीजों का इलाज करने वाले डॉ. आशीष गौतम ने बताया कि मई-जून की भीषण गर्मी में चिकित्सक 10-12 घंटे तक पीपीई किट पहनकर रहते थे। हालत यह थी कि कई चिकित्सक बेहोश भी हो जाते थे, लेेकिन अपनी जिम्मेदारी को समझकर डॉक्टरों के हौसले कम नहीं हुए।
आईसीयू में मरीज के इलाज के साथ परिजनों की भूमिका निभाई
कोविड अस्पताल के आईसीयू प्रभारी डॉ. राजीव पुरी ने बताया कि संक्रमण तेजी से बढ़ा तो वेंटीलेटर कम थे, सरकार ने उपलब्ध कराए तो रातों ही रात आईसीयू तैयार कर दिया। चिकित्सक भर्ती मरीजों का इलाज कर ही रहे थे, उनके परिजनों की भूमिका भी निभा रहे थे। उनको खाना खिलाने समेत अन्य देखभाल भी करते।



कोरोना का नमूना लेता स्वास्थ्यकर्मी
– फोटो : अमर उजाला
मार्च: | 12 |
अप्रैल | 411 |
मई | 439 |
जून | 380 |
जुलाई | 566 |
अगस्त | 1145 |
सितंबर | 1818 |
अक्तूबर | 1528 |
नवंबर | 2004 |
दिसंबर | 911 |
जनवरी | 28 |



क्वारंटीन सेंटर
– फोटो : अमर उजाला
कोरोना से लड़ाई में सबसे बड़ा सहयोग हमें शहर के लोगों से मिला। उन्होंने हिम्मत और जिंदादिली से साथ दिया। संक्रमण के मामले में कभी आगरा देश का पहला क्लस्टर था आज हम प्रदेश में 12वें नंबर पर हैं। ये कहना है जिला मजिस्ट्रेट प्रभु एन सिंह का।
2007 बैच के आईएएस अधिकारी प्रभु एन सिंह ने खुद कोरोना को करीब से देखा है। वह स्वयं भी पॉजिटिव हो चुके हैं। उन्होंने कहा मार्च में जब पहली बार आगरा में कोरोना केस मिले, तो पूरा प्रशासन मुस्तैदी से जुट गया। एक-एक व्यक्ति को हमने ट्रेस किया। क्वारंटीन सेंटर बनाए। जांचें की गईं। तब जाकर स्थिति नियंत्रित हो सकी। आगरा मॉडल की चर्चा पूरे देश में हुई।
फिर बीच में वायरस कुछ बढ़ा, लेकिन फिर केस कम हो गए। यही सिलसिला चल रहा है। उन्होंने बताया कि मार्च-अप्रैल में संदिग्धों को क्वारंटीन सेंटर्स में रखा गया। वहां कुछ दिक्कतें आईं लेकिन होम क्वारंटीन शुरू होने के बाद स्थिति बदल गईं। फिर होम आईसोलेशन से लोगों को और राहत मिली।



जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह
– फोटो : अमर उजाला
मई और जून में सबसे ज्यादा मृत्यु दर दर्ज हुई। मई में 10.29 फीसदी और जून में 10.65 फीसदी मृत्यु दर रही। डीएम ने कहा तब कोविड हॉस्पिटल में सुविधाएं भी कम थीं। जैसे-जैसे सुविधाएं बढ़ी, मृत्यु दर घट गई। उन दो माह में 54 मरीजों की मौत हुई।
50 हजार से ज्यादा होते केस
डीएम प्रभु एन सिंह ने बताया कि सही समय पर सही कदम उठाए। एक समय संक्रमण की रफ्तार ऐसी थी कि लग रहा था केस 50
हजार तक पहुंच जाएंगे। परंतु ये दस हजार पर थम गए। मरीजों के ठीक होने की रफ्तार भी 96% फीसदी है।
ये किए उपाय
– रैपिड रिस्पांस टीमों ने दिन-रात काम किया।
– कंटेनमेंट जोन में आवाजाही पर सख्ती बरती।
– संक्रमितों के घर तीन बार सेनिटाइज किए गए।
– नि:शुल्क कोविड टेस्ट की व्यवस्था की गई।
– आगरा चिकित्सकों ने सबसे अच्छा काम किया।
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