किसानों को एनआईए के नोटिस से सियासत गरमाई, निशाने पर केंद्र सरकार

सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन करते किसान
– फोटो : पीटीआई
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
सार
- पंजाब की किसान यूनियनों सहित राजनीतिक दलों ने जताया विरोध, बोलीं- केंद्र बना रहा दबाव
- किसान संगठनों ने आंदोलन को जारी रख उग्र करने की दी चेतावनी
विस्तार
किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि केंद्र सरकार नोटिस भेजकर आंदोलन को वापस लेने का दबाव बना रही है, लेकिन अब आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। वहीं कुछ किसान संगठनों ने एनआईए की जांच में शामिल होने से किया इनकार कर दिया है।
पंजाब में 50 से अधिक किसानों को और आंदोलन का समर्थन करने वाले कलाकारों को एनआईए ने नोटिस भेज कर दिल्ली पेश होने को कहा है। किसान आंदोलन के बीच एनआईए के नोटिस से पंजाब का सियासी पारा चढ़ गया है। कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल (शिअद), आम आदमी पार्टी (आप), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सहित अन्य दलों के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
राजनीतिक दलों ने इन नोटिसों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। नेताओं का कहना है कि इससे पहले भी केंद्र सरकार कई केंद्रीय एजेंसियों का अपने लाभ के लिए दुरुपयोग करती आई है। अब किसान आंदोलन को लेकर एनआईए का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने मांग की है कि किसानों की मांग जायज है और केंद्र सरकार को विवादित कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए।
किसान यूनियनों ने भी नोटिस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केंद्र सरकार आंदोलन वापस लेने के लिए दबाव बना रही है, लेकिन केंद्र की यह कोशिश नाकाफी रहेगी। किसान अब लड़ने-मरने का मन बना चुका है। किसान नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि केंद्र ऐसे हथकंडों से बाज नहीं आता है तो आंदोलन को उग्र करने पर किसान विवश हो जाएगा।
एनआईए का दुरुपयोग करके किसानों को केंद्र सरकार द्वारा डराना बंद करना चाहिए। इसके साथ ही विवादित तीनों कृषि कानूनों को तत्काल वापस लेना चाहिए।
– राजिंदर सिंह बडहेडी, अध्यक्ष, आल इंडिया जट्ट महासभा, चंडीगढ़
भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक हितों की खातिर सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। सरकार की किसानी संघर्ष को कमजोर करने की यह भद्दी चाल विफल साबित होगी।
– सुखजिंदर सिंह रंधावा, कैबिनेट मंत्री, पंजाब सरकार
एनआईए के नोटिस से यह साबित हो गया है कि केंद्र सरकार किसानों के आंदोलन से बौखला गई है। वह नोटिस का दबाव बनाकर आंदोलन को वापस करवाना चाहती है, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाएगी।
– सुखबीर बादल, अध्यक्ष, शिरोमणि अकाली दल
केंद्र इससे पहले भी आंदोलन को वापस लेने की नाकाम कोशिश कर चुकी है, लेकिन किसानों के मजबूत इरादों के आगे सरकार इस बार फिर बेबस हो जाएगी। केंद्र के रुख से यह तय हो गया है कि आंदोलन अब उग्र होना चाहिए।
– सुखदेव सिंह कोकरी कलां, महासचिव, भाकियू एकता (उगराहां)
Source link